BHOPAL. कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज, जिनके हाथ में प्रदेश कांग्रेस की कमान हैं- एक कमलनाथ और दूसरे दिग्विजय सिंह। दोनों ने बड़ी बेबाकी और हिम्मत से चुनाव से महज सात महीने पहले खुलकर कहा कि पार्टी का बूथ और मैनेजमेंट दोनों कमजोर हैं। सियासी गलियारों में इसके मायने तेजी से तलाशे जाने लगे। बीजेपी ने कतई देर नहीं की ये फैलाने में कांग्रेस इस कमजोरी के साथ कैसे जीतेगी। कांग्रेस के दूसरे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी इन बयानों को समझने की कोशिश की ही होगी। हमारा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के दो आला नेता जो बोल रहे हैं वो उनकी बेबसी है या इसके पीछे कोई ऐसी चुनाव स्ट्रैटजी है। जिस पर इन बेबस बयानों के चलते विरोधियां का ध्यान ही नहीं जा सका। थोड़ा तफ्सील से आपको ये चुनावी रणनीति समझाने की कोशिश करते हैं।
कमलनाथ-दिग्विजय दोनों के एक सुर- संगठन मजबूत पर बूथ कमजोर
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का एक बयान सुर्खियों में है। कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए दिग्विजय सिंह ने एक सभा में कहा कि हमारा संगठन कमजोर है। इसके बाद यही सवाल कमलनाथ से हुआ। कमलनाथ ने थोड़े संशोधन के साथ दिग्विजय सिंह के बयान से सहमती जता दी। कमलनाथ ने कहा कि हमारा संगठन मजबूती की तरफ बढ़ रहा, लेकिन हमारा बूथ कमजोर है। दोनों ने नेताओं के इन बयानों का लब्बोलुआब काफी कुछ एक सा है। जिसमें दोनों ने कार्यकर्ताओं को कमजोर बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के दो दिग्गजों के सुर में ये बेबसी दिखाई दी तो बीजेपी ने भी चुटकी लेने में वक्त नहीं गंवाया। बीजेपी ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस के बुरे हाल हैं। ऐसे में चुनाव जीतना दूर की कौड़ी है। इसके बाद से ही दोनों दलों के बीच वार पलटवार का दौर जारी है।
प्लानिंग में कुछ खास सीटें जिन पर कांग्रेस का खास फोकस है
दिग्विजय सिंह जैसा चतुर सुजान नेता और कमलनाथ जैसा तजुर्बेकार सियासतदां आखिर ऐसा बयान कैसे दे सकते है। इन बयानों के पीछे कोई खास मकसद है या फिर बस मजबूरी दिखाकर बैकफुट पर जाने का बहाना मिल गया। इस मुद्दे को गौर से देखेंगे और समझेंगे तो ये जान जाएंगे कि कांग्रेस में असल में चल क्या रहा है। कांग्रेस के इन बयानों के पीछे दरअसल वो रणनीति ओझल हो गई जिस पर वो असल में तेजी से काम कर रही है। ये प्लानिंग तकरीबन हर सीट पर जारी है, लेकिन कुछ खास सीटें ऐसी भी हैं जिस पर कांग्रेस का खास फोकस है। इन सीटों पर कांग्रेस खास रणनीति बनाकर काम करने की तैयारी में हैं।
बहुत कम अंतरों से हारी 66 सीटों पर दिग्विजय लगातार पहुंच रहे हैं
मंच पर खड़े होकर कार्यकर्ताओं को संगठन की कमजोरी का बात बोल रहे दिग्विजय सिंह प्रदेश में कांग्रेस के जमीनी हालात को खूब समझते हैं। जिस बयान में वो कार्यकर्ताओं को संगठन के कमजोर होने की बात बोल रहे हैं। उसी बयान में ये जिक्र भी कर चुके हैं कि वोटर कांग्रेस को वोट देना चाहता है, लेकिन संगठन की कमजोरी से ऐसा नहीं हो पा रहा। इस बयान का एक्सटेंशन है कमलनाथ का बयान जो बूथ की कमजोरी मान रहे हैं। ये वही दिग्विजय सिंह हैं जो लगातार प्रदेश के हर जिले का दौरा कर रहे हैं। प्रदेश की ऐसी 66 सीटें बताई जा रही हैं जिन पर दिग्विजय सिंह लगातार पहुंच रहे हैं। ये वो सीटें मानी जा रही हैं यहां कांग्रेस बहुत कम अंतरों से हारी और अब वहां जीत दर्ज कराने को बेचैन है। इन्हीं सीटों में से एक बीना सीट भी है जिस पर न सिर्फ दिग्विजय सिंह बल्कि, कमलनाथ का भी पूरा फोकस बताया जा रहा है। पर्दे के पीछे रहकर दिग्विजय सिंह इन सीटों पर संगठन को ही मजबूत करने का काम कर रहे हैं।
इसके अलावा भी कई सीटों पर कांग्रेस अलग-अलग रणनीति अपना रही है। इस चुनाव में बाजी मारने के लिए कांग्रेस ने अपने सिस्टम में जबरदस्त बदलाव किए हैं।
कांग्रेस की नई रणनीति
- टिकट का फैसला किसी एक नेता के हाथ में नहीं होगा।
इसके अलावा कांग्रेस को बहुत जगह से ये शिकायतें भी मिल रही हैं कि जहां कार्यकर्ता दमदार नजर आता है वहां उसे परेशान करने के तरीके ढूंढे जा रहे हैं। ऐसी सीटों के लिए कांग्रेस ने अलग रणनीति तैयार की है।
कार्यकर्ता को बचाने की मुहिम
- कांग्रेस को मिल रही हैं कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने की शिकायत।
इतने कम समय में क्या कांग्रेस कोई कमाल दिखा सकेगी?
इस रणनीति के साथ अब कांग्रेस पूरे एग्रेशन के साथ कार्यकर्ताओं का साथ देने के मूड में है। संगठन और बूथ दोनों को मजबूत करने के लिए ये रणनीति अपनाई जा रही है। बीजेपी के संगठन से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को मजबूत संगठन की दरकार तो है। पर इतने कम समय में क्या कांग्रेस वाकई कोई कमाल दिखा सकेगी।
कांग्रेस ने जो चुनावी पत्ते नहीं खोले उनमें कोई बड़ी चुनावी चाल छुपी है
चुनाव में बमुश्किल सात माह का समय बचा है। कमलनाथ ये दावा भी कर रहे हैं कि प्रत्याशियों को टिकट जल्दी दे दिया जाएगा ताकि उन्हें क्षेत्र में भरपूर समय मिल सके, लेकिन इस जल्दी के लिए भी समय कहां बचा है। क्या ये इस बात का संकेत है कि कांग्रेस कुछ दावेदारों को ये स्पष्ट कर चुकी हैं कि टिकट उन्हीं को मिलेगा और वो सक्रिय हो जाएं। खासतौर से उन 66 दावेदारों को जहां कम मार्जिन से हार हुई। कांग्रेस ने अब तक जो चुनावी पत्ते खोले नहीं है। क्या उनमें कोई बड़ी चुनावी चाल छुपी है।