मप्र में सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों पर कमलनाथ सरकार ने लिया था एक्शन, जांच रिपोर्ट के 3 साल बाद भी कार्रवाई नहीं

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Rahul Garhwal
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मप्र में सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों पर कमलनाथ सरकार ने लिया था एक्शन, जांच रिपोर्ट के 3 साल बाद भी कार्रवाई नहीं

अंकुश मौर्य, BHOPAL. मध्यप्रदेश में सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं में हुए घोटालों को लेकर कमलनाथ सरकार एक्शन मोड में आई थी। राजधानी की संस्थाओं में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस विधायक संजय यादव ने मार्च 2020 में विधानसभा में सवाल उठाया था। जिस पर तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने जांच के आदेश दिए थे। सहकारिता अधिकारी छविकांत बाघमारे और सुधाकर पांडे ने जांच की। 24 फरवरी 2021 को सामने आई जांच रिपोर्ट में तमाम खुलासे हुए और गड़बड़ियां पकड़ी गईं। लेकिन सहकारिता के अधिकारियों ने रिपोर्ट को दबा दिया। 3 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।



इन 7 संस्थाओं में हुई गड़बड़ियों के खिलाफ हुई जांच




  • गौरव गृह निर्माण सोसाइटी


  • महाकाली गृह निर्माण सोसाइटी

  • गुलाबी गृह निर्माण सोसाइटी

  • हेमा गृह निर्माण सोसाइटी

  • न्यू मित्र मंडल गृह निर्माण सोसाइटी

  • मंदाकिनी गृह निर्माण सोसाइटी

  • लाला लाजपत राय गृह निर्माण सोसाइटी



  • गिरोह बनाकर किए गए घोटाले



    भोपाल की संस्थाओं में हुए फर्जीवाड़ों को लेकर आरोप लगते रहे हैं कि गिरोह बनाकर ये घोटाले किए गए हैं। जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा भी हो गया। जांच में सामने आया कि एक ही व्यक्ति कई संस्थाओं में सदस्य है। जबकि सहकारिता के नियम के मुताबिक एक व्यक्ति एक ही संस्था में सदस्य रह सकता है।




    • दिनेश त्रिवेदी - मंदाकिनी, सितारा और महाकाली संस्था में सदस्य हैं।


  • अनीता बिष्ट भट्ट और पति संजय भट्ट - हेमा, महाकाली और गौरव संस्था में सदस्य हैं।

  • स्वप्निल तैलंग और पत्नी विनीता तैलंग - हेमा, महाकाली, सितारा और मंदाकिनी संस्था में सदस्य हैं।

  • विष्णु पटेल - हेमा, लाला लाजपत राय और महाकाली संस्था में सदस्य हैं। 

  • हरीशचंद्र - गुलाबी और सितारा संस्था में सदस्य हैं।

  • पवन - गौरव, हेमा और सितारा संस्था में सदस्य हैं।

  • संदीप सिंह राजपूत - महाकाली और गुलाबी संस्था में सदस्य हैं।

  • सुमन - हेमा और महाकाली संस्था में सदस्य हैं।



  • सहकारिता विभाग के पास लेनदेन की जानकारी नहीं



    इन सोसाइटियों में पदाधिकारी और सदस्य रहते हुए इन लोगों ने न केवल प्लॉट लिए और बेचे बल्कि संस्थाओं के खाते से भी करोड़ों रुपए भी निकाले। ये लेन-देन क्यों किया गया, इसकी जानकारी सहकारिता विभाग के पास भी नहीं है। लेकिन तथ्य सामने आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, न ही इन सदस्यों को संस्थाओं से हटाया गया।



    विधायक संजय यादव ने विधानसभा में उठाए सवाल



    इस रिपोर्ट में ये बात भी साफ हो गई कि जांच में सहकारिता के अधिकारियों ने ही सहयोग नहीं किया और जांच दल ने भी अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों को बचाने की कोशिश की। विधायक संजय यादव के विधानसभा में उठाए सवाल के आधार पर 4 बिंदुओं में जांच की गई थी। सवाल में महाकाली, गुलाबी, हेमा, न्यू मित्रमंडल, गौरव, मंदाकिनी और लाला लाजपत राय हाउसिंग सोसाइटी में हुए चुनाव और सदस्यों की जानकारी मांगी गई थी।



    जांच कमेटी को नहीं दी गई जानकारी



    चुनाव और सदस्यों के संबंध में संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या प्रशासक ने जांच कमेटी को जानकारी ही नहीं दी। जबकि तीन गृह निर्माण सोसाइटियों में सहकारिता विभाग के अधिकारी ही प्रशासक थे। गौरव गृह निर्माण और लाला लाजपत राय गृह निर्माण सोसाइटी में आरएस उपाध्याय और हेमा गृह निर्माण संस्था में अशोक वर्मा प्रशासक नियुक्त थे।



    जांच कमेटी के सदस्यों ने अपने विभाग के अधिकारियों को बचाया



    सवाल ये भी था कि गौरव गृह निर्माण संस्था में सहकारिता विभाग के अधिकारी या उनके परिजन के नाम पर प्लॉट आवंटित किए गए है ? लेकिन इस सवाल की जांच करते हुए जांच कमेटी के सदस्य सुधाकर पांडे और छविकांत बाघमारे ने अपने विभाग के अधिकारियों को बचा लिया। रिपोर्ट में लिखा कि किसी भी अधिकारी ने अपने या परिजन के नाम पर प्लॉट नहीं लिया है।



    गिरोह बनाकर प्रॉपर्टियों की बंदरबांट



    सहकारिता उपायुक्त, जिला भोपाल के पद पर रहते हुए बबलू सातनकर ने अपनी पत्नी सुनीता सातनकर के नाम पर गौरव गृह निर्माण सोसाइटी में प्लॉट आवंटित करा लिया था। जिसकी रजिस्ट्री 21 जून 2017 में कराई थी। लेकिन 2020-21 में जांच कर रही कमेटी इस बात का पता नहीं लगा सकी। जांच दल के प्रभारी छविकांत बाघमारे का कहना हैं कि जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के 6 महीने बाद उन्हें सातनकर की पत्नी के नाम पर लिए गए प्लॉट के बारे में पता चल सका। जांच रिपोर्ट में एक बार फिर ये बात ये सामने आई कि गौरव, हेमा, महाकाली और गुलाबी नगर गृह निर्माण संस्था को एक ही ऑफिस से चलाया जा रहा था। यानी गिरोह बनाकर प्रॉपर्टियों की बंदरबांट की गई। संस्थाओं में जमा राशि का गबन किया गया। रिपोर्ट में शाहपुरा थाने में फरवरी 2020 में दर्ज हुए मामले का हवाला दिया गया है।



    द सूत्र ने की मामले की पड़ताल



    द सूत्र ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि फरवरी 2020 में दर्ज हुई एफआईआर पर 3 साल बाद भी पुलिस अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी है। टीआई अवधेश सिंह भदौरिया ने बताया कि अनीता बिष्ट, दिनेश त्रिवेदी, नरेंद्र सोनी, राजकुमार चौरसिया, संदीप राजपूत, सुमन और विष्णु पटेल के खिलाफ धारा-420 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। लेकिन पुलिस अब तक विवेचना ही कर रही है। यानी एफआईआर दर्ज हो जाने पर भी गुनहगारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।



    सबूत मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते जिम्मेदार



    सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं में हुए फर्जीवाड़ों के तमाम तथ्य सामने आ चुके हैं लेकिन जिम्मेदार कोई कार्रवाई नहीं करते। ऐसे में 70-80 साल की उम्र में भी प्लॉट के लिए संघर्ष कर रहे संस्थापक सदस्यों ने न्याय की उम्मीद ही छोड़ दी है। दूसरी तरफ जिम्मेदार पद पर बैठे हुए अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय मीडिया को भी गुमराह कर देते हैं। द सूत्र ने जब जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई के संबंध में उपायुक्त विनोद सिंह से सवाल किया तो उन्होंने हाईकोर्ट के स्टे का हवाला दे दिया। जबकि हाईकोर्ट ने विधासनभा के सवाल पर हुई जांच पर कोई स्टे नहीं दिया है। विनोद सिंह को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने व्हाट्सएप पर मैसेज किया। उन्होंने कहा कि फाइल देखकर बताएंगे। लेकिन उसके बाद मिलने का समय ही नहीं दिया।



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