कांग्रेस का अभेद किला है कसरावद, दिवंगत पूर्व डिप्टी सीएम सुभाष यादव का रहा खासा दबदबा, बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती

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Vivek Sharma
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कांग्रेस का अभेद किला है कसरावद, दिवंगत पूर्व डिप्टी सीएम सुभाष यादव का रहा खासा दबदबा, बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती

KASRAWAD. भगवान राम के पुत्र कुश के नाम पर इस जगह का नाम कुशावृत्त था। इलाके के पास में बहने वाली कसाड़ नदीं को मिलाकर बाद में नाम पड़ा कसरावद। खरगौन जिले की इस विधानसभा सीट का प्रदेश की राजनीति में सीधा दखल है। साल 2018 में यहां से जीते सचिन यादव कमलनाथ सरकार में कृषि मंत्री थे। 





सियासी मिजाज





 कसरावद विधानसभा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। पूर्व डिप्टी सीएम दिवंगत कांग्रेस नेता सुभाष यादव का इस पूर्वी निमाड़ में खासा दबदबा रहा। साल 1993, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सुभाष यादव यहां से लगातार चुनाव जीते। अपनी ही सरकार और उसके मुखिया तत्कालिन सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुभाष यादव को प्रदेश में सहकारिता का जनक माना जाता है। पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने के परिणाम भी सुभाष यादव को भुगतने पड़े और साल 2008 में बीजेपी के आत्माराम पटेल के हाथों अपने आखिरी चुनाव में बड़ी मात खाई। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि सुभाष यादव भीतरघात के चलते हारे थे। इससे पहले साल 1977 में अस्तित्व में आई इस सीट से पहले विधायक बने बंकिम जोशी। अब तक इस सीट पर 10 बार चुनाव हुए जिसमें 7 बार कांग्रेस , 2 बार बीजेपी और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की।





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सियासी समीकरण 





 कसरावद में जहां कांग्रेस का एकतरफा राज हैं तो वहीं बीजेपी को यहां अंदरुनी कलह से जूझना पड़ रहा है। इस सीट से बीजेपी में कई दावेदार हैं। साल 2018 में यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और अरुण यादव के छोटे भाई सचिन यादव ने जीत दर्ज की और कमनलाथ सरकार में कृषि मंत्री का पद संभाला। हाल ही में बड़े भाई अरुण यादव की कमलनाथ से खटपट होने की चर्चा और राहुल गांधी की यात्रा में यादव के कट्टर विरोधी और बुरहानपुर विधायक शेरा को प्रबंधन का मौका मिलने के बाद भी कसरावद में सचिन के आगे कोई संकट नहीं है। दरअसल कांग्रेस के पास कसरावद में सचिन के कद के बराबर कोई दूसरा चेहरा नहीं है। यहां से सचिन ही 2023 में कांग्रेस का संभावित चेहरा है।





मुद्दे 





 कसरावद में मूलभूत सुविधाओं का अभाव दिखता है...यहां सड़क-बिजली-पानी-शिक्षा-रोजगार-व्यापार-स्वास्थ्य को लेकर जनता काफी परेशानियों का सामना करती है। यहां चेहरा और मुद्दे अक्सर जनता को सोचने पर मजबूर करते हैं।



जनता की इन समस्याओं को लेकर जब हमने दोनों दलों के नेताओं से जवाब मांगे तो दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए.. 



द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकल कर आए....







  •  इलाके में बंद पड़ी मंडियों को लेकर क्या कदम उठाए ?



  •  बंद पड़ी जीनिंग फैक्ट्रियों को लेकर आपने क्या कदम उठाए ?


  •  इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल है, इसके लिए आपने क्या प्रयास किए?


  •  4 साल में आपने इलाके में मूलभूत सुविधाओं के लिए कितनी राशि खर्च की ?


  •  सड़क-बिजली-पानी जनता को निर्बाध रुप से मिल सके, इसके लिए क्या प्रयास किए 






  • जनता के इन सवालों के जवाब में विधायक क्या कुछ बोले आइए आपको सुनवाते हैं







    • 'मेरे इलाके में लोगों से पारिवारिक संबंध।



  • 'चुनावी राजनीति नहीं, सेवा के लिए हमेशा मौजूद।


  • मंडी के विकास की तरफ बीजेपी का ध्यान नहीं।


  • मेरे कृषि मंत्री रहते मंडी को लेकर कई योजना बनाई।


  • सरकार जाने के बाद योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हुआ


  • बीजेपी मेरे विधानसभा इलाके से भेदभाव करती है।


  • सीएम सिर्फ बीजेपी विधायकों से विकास की बात करते हैं, हमसे नहीं।


  • इलाके में एग्रीकल्चर कॉलेज की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया।


  • किसान ऋणमाफी योजना को बीजेपी सरकार ने बंद किया।






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