सुप्रीम कोर्ट में कूनो के चीतों को मुकंदरा पार्क में शिफ्ट करने की रिपोर्ट पेश, एक्सपर्ट्स बोले- कूनो अन्य विकल्पों से बेहतर

author-image
Neha Thakur
एडिट
New Update
सुप्रीम कोर्ट में कूनो के चीतों को मुकंदरा पार्क में शिफ्ट करने की रिपोर्ट पेश, एक्सपर्ट्स बोले- कूनो अन्य विकल्पों से बेहतर

BHOPAL. मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकंदरा नेशनल पार्क में चीतों को शिफ्ट करने की सबसे अधिक वकालत की जा रही है, वह उनके लिए और भी असुरक्षित है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने चीताें की शिफ्टिंग क्यों नहीं की जा रही है, को लेकर विशेषज्ञों से सवाल किया था। विशेषज्ञों ने SC में एक रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि मुकंदरा में अच्छे प्रे-बेस (भोजन के लिए शाकाहारी जानवर) की भारी कमी चीतों के लिए संकट बन सकती है। इससे पहले 5 मई को यहां एकमात्र मादा टाइगर एमटी-4 की पेट में इंफेक्शन के कारण मौत हो गई थी। एमटी-4 गर्भवती थी, जिसे 2019 में रणथंबौर से लाकर मुकंदरा में बसाया गया था। शिकार के अभाव में उसने कुछ गलत खा लिया था। 2020 में भी पेट में इंफेक्शन से नर टाइगर एमटी-3 की मौत हुई थी।



केवल एक टाइगर बच पाया



2013 में टाइगर रिजर्व बनाए गए मुकंदरा में अभी तक 7 टाइगर बाहर से लाकर बसाए गए हैं। इनमें से 6 की मौत किसी न किसी बीमारी के कारण हो चुकी है। सिर्फ एक नर टाइगर एमटी-5 यहां अकेला खुले जंगल में भटक रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पूछा था कि कूनो में ज्यादा चीते होने पर राजस्थान में शिफ्ट करने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है।



सुरक्षित विकल्प तैयार नहीं



चीता अभी मध्यप्रदेश की पहचान बन गया है। राजस्थान की टूरिज्म इंडस्ट्री को लगता है कि चीते राजस्थान नहीं गए, तो पर्यटक भविष्य में मध्यप्रदेश का ही रुख करेंगे। चीता टास्क फोर्स ने बताया कि 2023 के अंत या विधानसभा चुनावों तक सभी चीतों को कूनो में ही रखना होगा। इसके अलावा सुरक्षित विकल्प तैयार नहीं है। चीता एक्शन प्लान में कूनो के अलावा 4 लैंडस्केप मुकुंदरा, गांधीसागर, नौरादेही और शाहगढ़ को प्राथमिकता में रखा गया था। मुकंदरा की कूनो से नजदीकी और 82 किमी लंबा चेन लिंक फेंसिंग बाड़ा इसे दूसरे विकल्पों से बेहतर बनाता है।



ये भी पढ़ें...



द केरल स्टोरी 200 करोड़ का आंकड़ा पार करने से बस इतनी दूर, फिल्म का सपोर्ट कर धीरेंद्र शास्‍त्री ने दिया बड़ा बयान



गांधीसागर में आबादी से टकराव का खतरा



टाइगर एक्शन प्लान में मुकंदरा में प्रे-बेस की कमी दूर करने की शर्त थी। मंदसौर की गांधीसागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी मुकंदरा के पास है। यहां प्रे-बेस बढ़ाने का काम हो गया है, लेकिन फेसिंग नहीं होने से चीतों का आबादी से टकराव का खतरा है।



4-5 चीतों को शिफ्ट करना था, निर्णय में देरी से तैयारी अटकी



वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पूर्व डीन और टाइगर प्रोजेक्ट तैयार करने वाले डॉ. वायवी झाला ने बताया कि अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए मौजूदा चीतों से दो पॉपुलेशन तैयार की जानी थी। 12 से 14 चीतों को कूनो में रखना है, जबकि 4 से 5 चीतों को किसी दूसरे पार्क या सेंचुरी में भेजना था। कूनो के नजदीक होने के कारण मुकंदरा या गांधीसागर इसके लिए सबसे मुफीद थे, लेकिन निर्णय लेने में देरी और राजनीतिक दखलंदाजी के कारण वक्त रहते तैयारियां नहीं की गईं।



कूनो ज्यादा सुरक्षित-विशेषज्ञ



मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के जिस मुकंदरा नेशनल पार्क में चीतों को शिफ्ट करने की सबसे अधिक वकालत की जा रही है, वह उनके लिए और भी असुरक्षित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यहां अच्छे प्रे-बेस (भोजन के लिए शाकाहारी जानवर) की भारी कमी चीतों के लिए संकट बन सकती है। दरअसल, 2019 में रणथंबौर से लाकर मुकंदरा में जिन टाइगर को बसाया गया था। शिकार के अभाव में उसने कुछ गलत खा लिया था। 2020 में पेट में इंफेक्शन से नर टाइगर एमटी-3 की मौत हुई थी।


MP News सुप्रीम कोर्ट चीता निर्णय मुकंदरा नेशनल पार्क कूनो चीते शिफ्टिंग supreme court cheetah decision mukandra national park kuno cheetah shifting चीतों की मौत एमपी न्यूज death of cheetahs
Advertisment