इंदौर हाईकोर्ट बेंच में बोले पीड़ित- भूमाफिया  फोन करके बोलते हैं आपत्ति मत लगाना, अलग सेटलमेंट रिपोर्ट पर घिरी कमेटी 

author-image
BP Shrivastava
एडिट
New Update
इंदौर हाईकोर्ट बेंच में बोले पीड़ित- भूमाफिया  फोन करके बोलते हैं आपत्ति मत लगाना, अलग सेटलमेंट रिपोर्ट पर घिरी कमेटी 

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट बेंच में भूमाफिया चंपू अजमेरा, चिराग शाह, नीलेश अजमेरा, निकुल कपासी, हैप्पी धवन, महावीर जैन के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान पीड़ित खुद की खड़े हो गए। एक महिला फरियादी ने साफ कहा कि हमें फोन आते हैं कि कोर्ट में आपत्ति मत लगाना। जस्टिस ने पूछा कौन फोन करते हैं। महिला ने कहा किसी साजिद का फोन आता है। मैंने प्लाट निकुल कपासी से लिया था, वह बोलते हैं कि मैं तो नौकर आदमी हूं, मालिक तो चिराग शाह है। हमें कहा जाता है कि हम एक-दो दिन में सेटलमेंट कर देंगे, हाईकोर्ट में खड़े होकर आपत्ति मत लगाना, कह देना कि सेटलमेंट हो गया है। 





अगली सुनवाई अब 17 अप्रैल को





एक बुजुर्ग फरियादी ने कहा कि हमने जमीन के लिए इन्हें पैसे दिए थे, लेकिन यह मामूली ब्याज देकर जमीन देने से बच रहे हैं। हम ने ब्याज पर पैसा नहीं चलाया था, जमीन चाहिए। एक फरियादी ने कहा कि हर बार सुनवाई के लिए आता हूं और 20-25 हजार रुपए लग जाते हैं। हम कई साल से परेशान हो रहे हैं। हमें अपना हक चाहिए। हाईकोर्ट ने सभी से कहा है कि वह कमेटी के प्रमुख अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर से मिलें और अपनी बात बताएं। इसके साथ ही 17 अप्रैल अगली सुनवाई तय गई है।





ये भी पढ़ें...











प्रशासन की रिपोर्ट पर उठे सवाल, अपर कलेक्टर बेड़ेकर को बुलाया





हाईकोर्ट सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित जिला प्रशासन की कमेटी की अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट को लेकर लंबी बहस चली। भूमाफियाओं की ओर से तर्क रखे गए कि हमने तो 96 लाख के चेक भी दिए हुए हैं, इसकी जानकारी भी आरटीआई में प्रशासन से ली हुई है, यह चेक इन्हीं के पास हैं। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में हमारे सेटलमेंट हो चुके हैं। यह रिपोर्ट भी पुटअप हो चुकी है और अब कमेटी अलग रिपोर्ट पेश करती है और कह रही है कि सेटलमेंट नहीं हुआ है। शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इन्होंने सेटलमेंट का वादा किया था, शपथ पत्र दिए, इसके आधार पर ही सेटलमेंट रिपोर्ट दी थी, लेकिन बाद में पीड़ितों ने हमें बताया कि यह सभी वादे से मुकर गए। उनके शपथ पत्र फिर से हमारे पास आए हैं। इसके चलते अलग सेटलमेंट रिपोर्ट दी गई है। हाईकोर्ट ने इस पर पूछा कि फिर इनके पास आरटीआई में यह जानकारी कैसे आई कि चेक आपके पास हैं? पीड़ित भी कोर्ट में बोले हमारा कुछ नहीं हुआ। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगली पेशी पर अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर, जो कमेटी के प्रमुख हैं वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।





सुप्रीम कोर्ट के बाद एक भी केस का सेटलमेंट नहीं हुआ





भूमाफियाओं के वकीलों ने प्रशासन को जमकर घेरा, उन्होंने कहा कि कमेटी की कोई मंशा ही नहीं थी कि वह केस सेटल कराए। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कमेटी ने काम करना ही बंद कर दिया। उन्होंने इसकी कोई मंशा ही नहीं दिखाई। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने आपत्ति लेते हुए कहा कि कमेटी को सेटलमेंट नहीं करना है। चंपू, चिराग को सेटलमेंट करने हैं। रुपए और प्लाट इन्हें देना हैं, जो यह नहीं कर रहे हैं। कमेटी अपना काम कर रही है, लेकिन यह सभी बस किसी भी तरह से मामले को आगे बढ़ाते रहना चाहते हैं और आज भी यही कर रहे हैं। यह सभी अपनी जिम्मेदारी कमेटी पर डाल रहे हैं।





जमानत रद्द की बात हुई तो यह सब अड़ंगे लगा रहे





शासकीय अधिवक्ता ने यह बात भी रखी कि जब इन सभी के वादे, शपथपत्र झूठे निकले तो प्रशासन ने सेटलमेंट रिपोर्ट बदलकर पीड़ितों के बयानों के आधार पर दूसरी दाखिल की, लेकिन इसके बाद भी इन्होंने सेटलमेंट नहीं किए। इन आधार पर कमेटी ने सभी की जमानत रद्द करने का आवेदन दे दिया। इसके बाद से ही यह सभी लोग सेटलमेंट रिपोर्ट, कमेटी के काम को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। एक अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के पूर्व जज की कमेटी बना सकते हैं, इस पर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि वह भूल जाइए, अभी सभी को सुनेंगे।





तीन अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट हुई है पेश





नवंबर 2021 से यह मामला चल रहा है। जब सुप्रीम कोर्ट ने भूमाफियाओं को जमानत इस शर्त पर दी थी कि वह पीड़ितों के सेटलमेंट करेंगे। कालिंदी, फिनिक्स और सेटेलाइट कॉलोनी में 255 पीड़ित सामने आए थे। जिसमें पहले 55-60 फीसदी तक सेटलमेंट होना बताया गया। इसके बाद यह 50 फीसदी हो गया और फिर तीसरी सेटलमेंट रिपोर्ट में यह 35-40 फीसदी के बीच आ गया और बताया गाया कि 255 पीड़ितों में से सौ के ही केस सेटल हुए हैं। हालांकि, प्लाट देना भी बताया गया। उनकी नए सिरे से रजिस्ट्री नहीं हुई है। इसके अलावा भी अलग से कई पीड़ित पहुंचे हैं। इन सभी की वास्तविक स्थिति देखी जाए तो वास्तव में 10-15 फीसदी से ज्यादा सेटलमेंट हुए ही नहीं है। वहीं, नवंबर 2021 से ही सभी भूमाफिया जमानत के मजे ले रहे हैं और बाहर घूम रहे हैं। इन्हें लेकर पुलिस भी रिपोर्ट दे चुका है कि इन भूमाफियाओं के अपराध हार्डकोर क्रिमिनल की तरह हत्या, बलात्कार की श्रेणी के हैं, इन्हें जमानत पर नहीं रखा जाना चाहिए।



Indore land mafia इंदौर चंपू चिराग मध्यप्रदेश न्यूज हाईकोर्ट जमीन सुनवाई Indore Champu Chirag High Court land hearing Madhya Pradesh News इंदौर भूमाफिया इंदौर जमीन घोटाला Indore land scam