अरुण तिवारी, BHOPAL. बीजेपी को गुजरात में मिली अभूतपूर्व जीत के बाद ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात फॉर्मूला मध्यप्रदेश में भी लागू होगा। गुजरात में एक परिवार-एक टिकट का फॉर्मूला चला था जो अब प्रदेश में होने वाले चुनाव में लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी कह चुके हैं जो फॉर्मूला है उसे अमल में लाया जाएगा। मध्यप्रदेश में पिता यदि बेटिकट होते हैं तो उनके बदले पुत्र-पुत्रियों को राजनीति की पिच पर उतारा जा सकता है। नेता पुत्र भी पैड बांधकर राजनीति के खेल में उतरने को तैयार हैं। नेता पुत्र खेल के जरिए राजनीति की गोटिंया फिट करने लगे हैं। महाआर्यमन के एमपीसीए के सदस्य बनते ही चुनावी साल में प्रवेश कर रहे प्रदेश में वंशवाद की चर्चा फिर चल पड़ी है। क्या ये क्रिकेट के बहाने राजनीति की पिच पर उतरने की तैयारी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र की सक्रियता
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र की सक्रियता ने इन बातों को हवा दे दी है कि महाआर्यमन अब राजनीति के खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहे हैं। खेल के जरिए राजनीति में प्रवेश का चलन चल पड़ा है। यही कारण है कि नेता पुत्रों का खेल प्रेम बढ़ गया है। गुजरात में एक परिवार-एक टिकट का फॉर्मूला हिट हुआ है तो बीजेपी मध्यप्रदेश में भी यही फॉर्मूला अपनाएगी। पिता यदि बेटिकट होते हैं तो बेटों को टिकट देकर राजनीति की बस की सवारी कराई जा सकती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा इस बात का इशारा कर चुके हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर भी तैयार
महाआर्यमन के अलावा और भी नेता पुत्र हैं जो खेलप्रेमी हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर हॉकी इंडिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय वैसे तो खेल संघ से अभी नहीं जुड़े हैं लेकिन अपने पिता के चुनावी क्षेत्र बुदनी में क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित करते रहते हैं। कैलाश विजयवर्गीय चुनावी मैदान से हटे तो उनके पुत्र आकाश ने खाली स्थान भर दिया। आकाश अपने पिता की विधानसभा सीट से विधायक बन चुके हैं और तब से कैलाश विजयवर्गीय चुनावी राजनीति से दूर होकर संगठन के पद पर काम कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री के पुत्र कार्तिकेय चौहान चुनावों में सक्रिय नजर आने लगे हैं। जब मध्यप्रदेश में उपचुनाव हुए थे तब वे ग्वालियर-चंबल की उन सीटों पर प्रचार के लिए गए थे जहां पर किरार समुदाय ज्यादा है। बुदनी में वे हमेशा पिता के चुनाव प्रचार में सक्रिय रहते हैं। हालांकि कार्तिकेय फिलहाल चुनाव से दूर होकर लॉ की प्रेक्टिस करना चाहते हैं। उम्र के क्राइटेरिया में आए तो मंत्री गोपाल भार्गव और वरिष्ठ नेता गौरीशंकर बिसेन पैवेलियन में लौटकर अपना बल्ला टांग सकते हैं। बिसेन इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह भी चुके हैं। बिसेन की बेटी मौसम अब चुनावी तैयारी में जुटी हैं। वहीं गोपाल भार्गव के क्षेत्र के लोग कहते हैं कि गोपाल हों या अभिषेक भार्गव उनके लिए दोंनो एक हैं। अभिषेक पिछले दो चुनावों से टिकट के दावेदार बने हुए हैं जरुरत तो गोपाल भार्गव के हाथों से बैटन अभिषेक को सौंपने की है।
नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण मिश्रा चुनावी प्रबंधन संभाल रहे
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण मिश्रा भी पिता का पूरा चुनावी प्रबंधन संभाले हुए हैं। दतिया का कामकाज वही देखते हैं। वे खुद की राजनीति की बात तो नहीं करते लेकिन संभले हुए राजनेता की तरह चुनाव जीतने का पूरा श्रेय अपने पिता की जगह पार्टी को देते हैं। वे भी चुनावी राजनीति में उतरने को तैयार हैं,देरी पिता की हरी झंडी की है।
बीजेपी में वंशवाद की लंबी डाली है। कई और भी नेता पुत्र हैं जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गौरीशंकर शेजवार की जगह उनके बेटे मुदित शेजवार को सांची विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, तब वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से 10,571 वोटों से हार गए थे। राजी-नाराजी को लेकर मुदित शेजवार सांची के दावेदार हैं।