राहुल शर्मा,BHOPAL.द सूत्र की खबर पर एक बार फिर मुहर लगी है। इटारसी रेलवे माल गोदाम की वजह से हो रहे पाल्यूशन और उससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर की रिपोर्ट तैयार करने जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक संयुक्त कमेटी 12 दिसंबर को इटारसी पहुंची थी, यहां टीम ने पाल्यूशन को मापा।कमेटी ने जो रिपोर्ट दी वह द सूत्र की पड़ताल से हुबहू मिलती है।
द सूत्र ने प्रमुखता से उठाया था मामला
द सूत्र ने अपनी खबरों में बताया था कि इटारसी रेलवे माल गोदाम की वजह से प्रदूषण की विस्फोटक स्थिति है, इसके बाद मामला एनटीजी पहुंचा था। एनजीटी ने नर्मदापुरम कलेक्टर की अध्यक्षता में ज्वाइंट कमेटी गठित की, इस रिपोर्ट में भी माल गोदाम की वजह से प्रदूषण की पुष्टि हुई है। इटारसी माल गोदाम के आसपास रह रहे लोगों के स्वास्थ को देखते हुए कमेटी ने अनुशंसा की है कि जब तक यहां सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की गाइडलाइन के अनुरूप व्यवस्था न हो जाए, तब तक इटारसी रेलवे माल गोदाम से सीमेंट-फर्टिलाइजर की लोडिंग-अनलोडिंग को तुरंत रोक दिया जाना चाहिए। हालांकि इस रिपोर्ट का जवाब देने के लिए रेलवे ने समय मांगा। जिसके बाद अब इस रिपोर्ट पर अगली सुनवाई में चर्चा होगी।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह पाया
कमेटी ने अपने निरीक्षण में पाया कि माल गोदाम क्षेत्र में बहुत अधिक मात्रा में धूल उड़ रही है, माल गोदाम में फैली इस धूल को साफ करने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसके अलावा यहां काम करने वाले मजदूरों के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। प्रबंधन ने एयर और वॉटर पाल्यूशन को रोकने वर्तमान में कोई बुनियादी ढांचा विकसित ही नहीं किया है। प्रदूषण को लेकर कोई ग्रीन बेल्ट तक डेवलप नहीं किया गया है।
अब तक बनाई गई सिर्फ खानापूर्ती की दीवार
द सूत्र की खबर के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रेलवे को 28 जुलाई 2022 और 24 अगस्त 2022 को नोटिस जारी किए। जिसके बाद रेलवे ने माल गोदाम में सड़क की ओर एक दीवार बना दी। पर इसमें भी हास्यात्मक यह रहा कि दीवार की हाइट के उपर रेलवे का प्लेटफार्म था, जहां रैक के आने पर लोडिंग अनलोडिंग होती है। ऐसे में यह दीवार किसी काम की नहीं थी। द सूत्र ने दोबारा यहां एयर पाल्यूशन को मापा, दीवार के बाद भी स्थिति विस्फोटक ही मिली। रेलवे अब दीवार की हाइट बढ़ाने की जगह जीआई शीट लगाकर इसकी उंचाई बढ़ा रहा है। कुछ हिस्से में पक्के फर्श का निर्माण भी किया गया था। डस्ट सेप्रेशन की व्यवस्था करने की भी बात कही गई है।
ज्वाइंट कमेटी ने रिपोर्ट में की ये अनुशंसाएं
1. रेलवे प्रबंधन जल्द से जल्द सीपीसीबी के दिशानिर्देशों के अनुसार सभी व्यवस्थाओं के साथ वर्तमान मोल गोदाम को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की संभावना तलाशेगा।
2. रेलवे प्रबंधन लोडिंग/अनलोडिंग गतिविधियों के दौरान उड़ने वाली धूल को साफ करने और हटाने के लिए मैकेनिकल स्वीपर की व्यवस्था करेगा।
3. रेलवे प्रबंधन वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र वाले वाहनों को ही अनुमति देगा।
4. रेलवे प्रबंधन वाहनों के लिए उचित पार्किंग स्थान प्रदान करेगा और ट्रैफिक जाम से बचने के लिए वाहनों की पार्किंग के संबंध में ट्रांसपोर्टर के कर्तव्यों का भी पता लगाएगा।
अफसरों के सामने ट्रांसपोर्टर रख रहे थे पक्ष
एनजीटी के आदेश पर 12 दिसंबर को जब कमेटी इटारसी माल गोदाम का निरीक्षण करने पहुंची थी तब अफसरों के सामने रेल्वे से ज्यादा यहां काम करने वाले ट्रांसपोर्टर सफाई देते हुए नजर आए। हम्माल और मुकदम बोलते रहे कि साहब आप एक महीने बाद आइए पूरी तस्वीर बदल जाएगी। दरअसल इस माल गोदाम की शिफ्टिंग में सबसे बड़ी रूकावट ट्रांसपोर्टर को ही माना जाता है। वे इस क्षेत्र में पूरी तरह से हावी है और इसी वजह से लोगों के स्वास्थ्य को दरकिनार कर बीच शहर में होने के बावजूद यहां से माल गोदाम नहीं हट पा रहा है। यहां रेलवे की जमीन पर इनका अघोषित कब्जा है, जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टर कभी नहीं चाहेंगे कि रेलवे माल गोदाम यहां से हटे। हालांकि मामला अब एनजीटी तक पहुंच चुका है। ऐसे में अब पूरे मामले में एनजीटी को ही फैसला लेना हैं।