बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गजों की अहमियत का पैमाना तय करेंगे मप्र विधानसभा चुनाव के नतीजे

author-image
Rahul Garhwal
एडिट
New Update
बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गजों की अहमियत का पैमाना तय करेंगे मप्र विधानसभा चुनाव के नतीजे

BHOPAL. राजनीतिक चुनाव और न्यायालय प्रकरण के बारे में जितनी मर्जी चाहें, अटकल-अनुमान लगाते रहें। अंतिम सच तो नतीजे-फैसले जो सामने आते हैं, वही होता है। ऐसा ही कुछ वर्तमान संदर्भ में मध्यप्रदेश में नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी है। आज अटकल पच्चीसी करते रहें, लेकिन चतुर सुजान मतदाता ने जो अपना अभिमत मतपर्ची पर दर्ज कर दिया, वही शाश्वत सत्य है। फिर भी जो कुछ संकेत मिलते हैं, वे संभावनाओं को बलवान बनाते हैं और आशंकाओं को खारिज करते हैं। तो इन चुनावों को लेकर जो आरंभिक संकेत हैं, वे तो भारतीय जनता पार्टी को ताकत देते नजर आते हैं। फिर परिणाम का ऊंट जिस करवट बैठ जाए, यह तो समय की बलिहारी ही है।



बीजेपी-कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण चुनाव



वैसे इस बार के चुनाव बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं। कांग्रेस-बीजेपी के लिए, कमलनाथ-शिवराज सिंह चौहान (यदि तब तक मुख्यमंत्री रहे तो), कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के लिए, कैलाश विजयवर्गीय-नरोत्तम मिश्रा के लिए, वी.डी. शर्मा-उमा भारती के लिए, नरेंद्र सिंह तोमर और निश्चित ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी। ये वो चेहरे हैं, जिनकी अहमियत का पैमाना भी इस बार के नतीजे तय करेंगे।



राजनीति की नई अवधारणा का प्रमाण होंगे नतीजे



जिस तरह से गर्भ धारण के औसत 9 माह बाद जन्मे शिशु का लिंग पता चलता है, वैसे ही तकरीबन 9 माह बाद चुनाव के परिणाम ये बताएंगे कि मतदान की कोख से कांग्रेस जन्मी है या बीजेपी। ये चुनाव इसलिए भी महत्व रखते हैं कि नतीजों से यह मुहर लगेगी कि जो कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ किया था, वह गलत था या जो सिंधिया-शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के साथ किया था, वह गलत था। ये नतीजे राजनीति की एक नई अवधारणा की मजबूती या खारिजी का प्रमाण भी होंगे। हालांकि दलबदल से सरकारें पहले भी आई-गई हैं और आगे भी वैसा होता ही रहेगा, फिर भी जो थोड़ा बहुत असर होगा, वह दिखाई देगा, याद रखा जाएगा।



राजनीति अनिश्चितता का दूसरा नाम



कहने को एक ही जगह लगातार किसी सरकार या व्यक्ति के प्रमुख बने रहने का जो नकारात्मक पहलू सामने आता है, उसने असर किया है या नहीं, यह भी स्पष्ट होगा। इसे सरकार विरोधी हवा करार दिया जाता है। एक ही चेहरे, एक ही दल की सरकारों के सुदीर्घ जीवन की अब ज्यादा मिसाल नहीं मिलतीं, क्योंकि देश में अब 2 दलीय व्यवस्था नहीं है, न ही ऐसे चेहरे हैं, जिन पर जनता आंख मूंदकर भरोसा जताती है। वह शिवराज सिंह चौहान ही हैं, जो करीब 17 साल के कार्यकाल में चौथी बार मुख्यमंत्री हैं जिसमें किसका कमाल है, यह न तो बीजेपी जानती है, न खुद शिवराज सिंह। दल बदल, क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या, हर हाल में सत्ता पाने के लिए चुनाव पूर्व और चुनाव पश्चात बनते-बिगड़ते गठबंधन, समीकरण, समायोजन ने राजनीति के मूल चरित्र की तो कब की मिट्‌टी पलीत कर दी। चरित्रहीन और मूल्यविहीन राजनीति के दौर में जो हो जाए, कम है। ऐसे में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में नतीजों का आज आंकलन करना ज्यादती होगी। बावजूद इसके कि राजनीति अनिश्चितता का दूसरा नाम है, वर्तमान हालात बीजेपी के लिए अनुकूल दिखाई दे रहे हैं। उसकी वजह है। देश में 2019 के आम चुनाव के बाद से बीजेपी का आत्मविश्वास जबरदस्त बढ़ा है। साथ में बढ़ोतरी हुई है राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की भावना की। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलता ही है। वही इन बातों की बड़ी और पहली पक्षकार जो रही है। वरना तो शेष दलों ने मुस्लिम तुष्टिकरण, दलित-पिछड़ा कार्ड, कर्ज माफी, मुफ्तखोरी को ब्रम्हास्त्र की तरह उपयोग करने से परहेज नहीं किया। इतना ही नहीं तो इन सारे हित पोषण के बीच इन विरोधी दलों ने हिंदू हितों की अनदेखी में भी कसर नहीं रखी।



2018 के विधानसभा चुनाव में किसान कर्ज माफी का मुद्दा अहम रहा



ऐसे में यदि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार हुई थी तो केवल किसान कर्ज माफी की वजह से, वरना तो 10-15 सीटों का अंतर कोई बड़ी खाई नहीं थी, जो शिवराज सिंह चौहान नहीं पाट पाते। उनके जैसा बुलंद भाग्य वाला तो बिरला ही होता है, जो अगले 5 साल का शर्तिया इंतजार करने की बजाय सवा साल में ही श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास में फिर जा पहुंचे। एक यही बात है जो शिवराज सिंह चौहान को पांचवीं बार भी मुख्यमंत्री का ताज पहनने की संभावना को प्रबल करता है तो दूसरी ओर यही बात उनके पक्ष की नकारात्मकता को भी बढ़ाता है। अब यह तय होगा, चुनाव पूर्व की गई दोनों दलों की बाजीगरी से, मतदाताओं को रिझाने की तरकीबों से, बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के उपयोग के असर से, मोदी ही बीजेपी के मनोभाव से और कांग्रेस की सिर-फुटोव्वल से, जो चालू तो हो ही चुकी है।



कांग्रेस के हक में ज्यादा कुछ नहीं



अभी तक कांग्रेस के हक में ज्यादा कुछ नहीं है, सिवाय इस सहानुभूति के कि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया और कमलनाथ और कांग्रेस के सामने से परोसी रखी 56 भोग की थाली छीन ली। वैसे मतदाता पर ऐसे मुद्दे ज्यादा भावुक असर नहीं डालते, क्योंकि वे भी इतना तो जानते ही हैं कि जो अपना घर नहीं संभाल सकते वे भला प्रदेश को कैसे संभाल कर रख सकते थे या रख पाएंगे। कांग्रेस में कलह तो जैसे स्थायी भाव है ही। कमलनाथ के सामने अभी से ही चुनौतियां पैदा की जा रही हैं। पहले नेता प्रतिपक्ष उनके हाथ से गया, अब विरोधियों की नजर प्रदेश अध्यक्ष पद पर है। यूं कांग्रेस आलाकमान का उन पर भरोसा कायम है, लेकिन इसमें कब, कितनी सेंध लग जाए, कौन जाने।



राजनीति में मझधार में मांझी बदल दिए जाते हैं



ऐसे में सारा खेल आखिरी के 2-3 महीने में ही होगा। प्रत्याशियों का समय पर चयन, गुटीय संतुलन के साथ टिकट वितरण, बागियों को साधने के जतन, संसाधनों की बहुलता और उपलब्धता, मतदाताओं के बीच उछाले गए जुमले, योजनाएं, परोसी गई थाली में सजाये गए व्यंजन यानी सीधे तौर पर किसकी जेब में, घर में, जेब में क्या जा रहा है, इसका हिसाब-किताब। पुरानी पेंशन की बहाली, बिजली बिल की 300-400 यूनिट प्रतिमाह की माफी और भी जो कुछ हो सकता है। इसी के साथ बीजेपी द्वारा किए गए वादे, उतारे गए प्रत्याशी, केंद्रीय नेतृत्व का दखल, सिंधिया समर्थकों को दिए गए व काटे गए टिकट और उसके बदले पुराने कार्यकर्ताओं को मिला प्रतिसाद या उपेक्षा का असर सुनिश्चित है। फिर ये मानना भी नादानी होगी कि बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की मियाद खत्म हो चुकी है। गुजरात में विधानसभा चुनाव के 2-3 महीने पहले ही मुख्यमंत्री और ढेर सारे मंत्री चलते कर दिए गए थे। उस लिहाज से मध्यप्रदेश में तो अभी काफी अवधि बची है। सो, दिल थामकर रखिए। शो तो शुरू हो रहा है। टीवी धारावाहिकों में कुछ एपिसोड के बाद नायक बदलने की तरह राजनीति में भी मझधार में मांझी बदल दिए जाते हैं। मौजूदा हालातों को देखते हुए 10 नंबर में से बीजेपी को 7 और कांग्रेस को 8 नंबर देता हूं।


MP Assembly Election 2023 एमपी में किसकी बनेगी सरकार एमपी विधानसभा चुनाव 2023 Scindia-Chambal and JYAS will decide the results in MP Assembly Election MP-2023 गर्भ में सरकार-किसकी होगी जय-जयकार एमपी में सिंधिया-चंबल और जयस तय करेंगे नतीजे एमपी में बीजेपी की चुनौती एमपी में कांग्रेस की चुनौती Whose government will be formed in MP