बालाघाट: ज्वेलर परिवार बना जैन मुनि; जीवन भर में कमाई 11 करोड़ की संपत्ति दान की

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
बालाघाट: ज्वेलर परिवार बना जैन मुनि; जीवन भर में कमाई 11 करोड़ की संपत्ति दान की



Balaghat. वर्तमान दौर में दौलत हासिल करने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार होते हैं, मगर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट (Balaghat) जिले में एक सराफा कारोबारी ने तो 11 करोड़ की संपत्ति को दान कर दिया। साथ ही पूरे परिवार ने सांसारिक जीवन को त्यागकर दीक्षा ले ली है। बताया गया है कि यहां के सर्राफा कारोबारी ( bullion trader) राकेश सुराना (Rakesh Surana) ने अपनी 11 करोड़ की संपत्ति गौशाला और धार्मिक संस्थानों को दान कर दी है। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पत्नी लीना (36) और बेटे अमय (11) के साथ सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम पथ पर चलने के लिए निकल चुके हैं। यह तीनों सदस्य जयपुर में आयोजित एक समारोह में दीक्षा भी लेने वाले हैं। जयपुर में हुए दीक्षा समारोह में बालाघाट से 300 से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। संयम व्रत लेने के पूर्व सुराणा परिवार ने शेष बची संपत्ति भी जयपुर एवं श्री नमिऊण पार्श्वनाथ तीर्थ के लिए दान कर दी।





धूमधाम से की विदाई





जैन समाज ने सुराना परिवार के फैसले को लेकर उनका स्वागत किया और पूरे परिवार का सम्मान किया। सकल जैन समाज ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में नगर के लोग शामिल हुए। दीक्षा ग्रहण करने के पूर्व राकेश सुराना उनकी पत्नी लीना सुराना और 11 वर्षीय बेटे अमय सुराना की धूमधाम से विदाई की। दीक्षा समारोह से पहले उनका वरघोड़ा निकाला गया। इसके बाद श्रेष्ठ गुरुजनों की निश्रा में संपूर्ण संस्कार पूर्ण कराए गए। दीक्षा से पहले राकेश सुराणा और उनके पुत्र को कंधे पर बैठाकर लाया गया। दीक्षा समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।





तीनों के नए नाम मिले





राकेश सुराणा अब श्री यशोवर्धनजी मसा के नाम से जाने जाएंगे। वहीं लीना सुराना (Leena Surana) श्री संवररुचि जी मसा व अमय सुराणा बाल (Surana Bal) साधु श्रीजिनवर्धनजी मसा के नाम से जाने जाएंगे।  सुराना ने संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि उनका हृदय परिवर्तन महेंद्र सागर महाराज और मनीष सागर महाराज के प्रवचन से मिली प्रेरणा के कारण हुआ और उसके चलते ही उन्हें धर्म, अध्यात्म और आत्म स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा मिली। उनकी पत्नी लीना जो अमेरिका में पढ़ी है, उन्हें बचपन से ही संयम पथ पर जाने की इच्छा थी, इतना ही नहीं बेटा अमय जब 4 साल का था तभी वह संयम के पथ पर जाने की बात करता था, मगर बहुत कम उम्र होने के कारण उन्होंने सात साल तक इसके लिए इंतजार किया। 





छोटी सी ज्वेलरी दुकान से शुरू किया कारोबार





राकेश सुराना की बालाघाट में सोने-चांदी की एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी मगर धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ा और करोड़ों की संपत्ति हो गई। उन्हें नाम और शोहरत दोनों ही हासिल हो चुके हैं मगर उन्होंने यह संपत्ति दान कर वैराग्य के मार्ग पर चलने का फैसला ले लिया। आधुनिकता के इस दौर की सुखमय जीवन की तमाम सुविधाएं उनके घर-परिवार में थीं। उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की, लेकिन सुराना परिवार अपनी सालों की जमा पूंजी दान कर आध्यात्म की तरफ रुख कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो उनकी मां ने भी गृहस्थ जीवन त्याग कर दीक्षा ली थी और उनकी एक बहन भी दीक्षा ले चुकी है, अब वह मां और बहन की राह पर चल पड़े हैं और दीक्षा लेने जा रहे हैं। जयपुर में जैन संत श्री महेंद्र सागर जी महाराज साहब समेत कई अन्य संतों की निश्रा में दीक्षा समारोह हुआ।



Madhya Pradesh मध्य प्रदेश Balaghat बालाघाट Jainism जैन धर्म bullion trader Rakesh Surana Leena Surana राकेश सुराना सर्राफा कारोबारी लीना सुराना Surana Bal सुराणा बाल