BHOPAL: मध्य प्रदेश में गायों पर पक्ष और विपक्ष की उठापठक कोई नई बात नहीं है। चुनावों के चलते राजनीति के केंद्र में रहने वाले गोवंश के भले के लिए शिवराज सरकार नए-नए प्लान की घोषणा आए दिन करती रहती हैं। कभी इन आवारा गायों के लिए एंबुलेंस चलाने की बात होती है तो कभी ICU और स्मार्ट गौशालाएं बनाने की बात होती है। अब सरकार असलियत में सड़कों पर आवारा घूम रहीं गायों की कितनी चिंता करती है इस बात की पोल खुद सरकारी रिपोर्ट्स खोल रहीं हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने ‘आवारा पशुओं के प्रबंधन' के लिए एक नई नीति लाने का फैसला किया है। इसके लिए अटल बिहारी सुशासन संस्थान (AIGGPA) ने बाकायदा ड्राफ्ट बनाकर सरकार को सौंप भी दिया है। और अब इस संबंध में गेंद सरकार के पाले में है। आपको ये जानकार अचरज होगा कि 'द स्ट्रे एनिमल्स मैनेजमेंट पालिसी फॉर MP ड्राफ्ट' (संवेदना नीति) के मुताबिक़ पिछले एक दशक में आवारा गोवंश के संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जबकि राज्य में आवारा कुत्तों की संख्या में कमी आई है।
MP में 853971 आवारा गौवंश
रिपोर्ट में कहा गया है की 20वीं पशु संगणना (16 अक्टूबर 2019) के हिसाब से मध्य प्रदेश की सड़कों पर 8 लाख 53 हज़ार 971 गौवंश है, जबकि 19वीं पशु संगणना (15 अक्टूबर 2012) में ये संख्या 4 लाख 37 हज़ार 910 थी..यानी करीब 95 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी! वहीं अगर बात करें राज्य में अवर कुत्तों की तो 20वीं पशु संगणना (16 अक्टूबर 2019) के अनुसार राज्य में 10 लाख 9 हज़ार 076 आवारा कुत्ते हैं, जबकी 19वीं पशु संगणना (15 अक्टूबर 2012) में आवारा कुत्तों की संख्या 12 लाख 8 हज़ार 539 थी...यानी करीब 17 फीसदी की कमी।
'राज्य में आवारा गौवंश की संख्या नियंत्रण के बाहर, सरकारी प्रयास नाकाफी'
खुद पालिसी बनाने वाले ये मान रहें हैं कि राज्य में आवारा गौवंश की संख्या नियंत्रण के बाहर हो रही है । और इसे मैनेज करना एक बड़ा चैलेंज है। सरकार ने राज्य में आवारा गाय-भैंसों, मवेशियों, चौपायों और आवारा कुत्तों के पुर्नवास और संख्या नियंत्रण के लिए लिए कई तरीके अपनाए तो, लेकिन मैदानी स्तर पर इन सभी प्रयासों में रुकावटें हैं। वर्तमान समय में गायों के लिए गौशालाएं भी पर्याप्त नहीं हैं।
वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम, नशामुक्ति केन्द्र, जेल और श्मसान घाट पर बंधे जाएंगे आवारा गोवंश!
हालांकि, पालिसी ड्राफ्ट में एक यही इंट्रेस्टिंग बात नहीं हैं। इस प्रस्तावित पालिसी के ड्राफ्ट में कुछ हैरान करने वाले सुझाव भी दिए गए हैं। दरअसल, ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है कि राज्य के वृद्धाश्रमों में, अनाथ आश्रमों में, नशामुक्ति केन्द्रों में, प्रदेश के सभी कारागृह/जेलों में, शवदाह गृह / श्मसान घाटों पर सड़को पर आवारा घूम रहे गोवंश और कुत्तों को रखे जाने की व्यवस्था की जाए। ऐसा करने के पीछे तर्क दिया गया है कि इस व्यवस्था से सेवा के इच्छुक वरिष्ठ नागरिक, अनाथ बच्चे, कैदी इन आवारा गोवंश की सेवा का आनंद ले सकेंगे और साथ ही पशु थेरेपी उपचार का फायदा भी इन्हे मिल पाएगा...इसके साथ ही गायों के गोबर से निर्मित कंडे एवं गौ काष्ठ एवं अन्य गौउत्पादों के निर्माण एवं विक्रय से इन जगहों पर रहने वाले लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। पालिसी ड्राफ्ट में ये भी दवा किया गया है कि पशुपालन एवं डेरी विभाग विभाग के पास पर्याप्त बजट है, जिसे नीति में दिए गये प्रावधानों के तहत मदों में आबंटित किया जाए तो नीति में दिए गए सभी सुझावों का सफल क्रियान्वयन हो सकता है।
होगी गायों की जिओटैगिंग; बनेंगे पशु विहार और पशु थेरेपी उपचार केन्द्र; पुलिस मित्र की तर्ज पर बनेंगे पशु मित्र
द स्ट्रे एनिमल्स मैनेजमेंट पालिसी फॉर MP ड्राफ्ट में कुछ और इंट्रेस्टिंग सुझाव दिए गए हैं...जैसे:
- Geo tagging / QR code / Microchip आवारा गायों, कुत्तों और अन्य पशुओं की पहचान एवं स्वामित्व के निर्धारण के लिए जिओ टेगिंग / QR कोड / माइक्रोचिप लगाने का कार्य किया जाए। हर पशु की जिओ टेगिंग या मार्किंग इस तरह से की जाएगी जिसे स्केन करते ही कोई भी आम नागरिक पशु की पूरी जानकारी प्राप्त कर सके।