54 करोड़ बचाने 35 करोड़ नहीं दे रही मध्यप्रदेश सरकार, बजट पास करने वाली विधानसभा खुद के लिए लाचार

author-image
Arun Dixit
एडिट
New Update
54 करोड़ बचाने 35 करोड़ नहीं दे रही मध्यप्रदेश सरकार, बजट पास करने वाली विधानसभा खुद के लिए लाचार

BHOPAL. अजीब इत्तेफाक है कि प्रदेश में सालभर खर्च करने के लिए बजट पास करने वाली विधानसभा खुद के फंड के लिए लाचार है। प्रदेश की विधानसभा बजट सत्र में भी ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। 54 करोड़ बचाने के लिए सरकार 35 करोड़ रुपए ही नहीं दे पा रही है। एक साल पहले बड़े जोर-शोर से कहा गया था कि पंद्रहवीं विधानसभा के आखिरी बजट सत्र में प्रदेश में ई-विधान लागू हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।



70 करोड़ रुपए की जरूरत



मध्यप्रदेश विधानसभा को पेपरलेस और ऑनलाइन करने के लिए 70 करोड़ रुपए की जरुरत है। विधानसभा, सरकार को एक साल पहले ही इस खर्च का ब्यौरा भेज चुकी है। ई-विधान व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा की टीम केरल और कर्नाटक राज्य का दौरा कर चुकी है। इसके बाद भी मध्यप्रदेश में ई-विधानसभा बनना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। प्रस्ताव भेजने के 1 साल भी सरकार ने विधानसभा को फंड नहीं दिया है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम कहते हैं कि यदि सरकार आधा बजट यानी 35 करोड़ रुपए भी दे देगी तो कंप्यूटर इन्स्टालेशन समेत विधानसभा की कार्यवाही ऑनलाइन करने तक की व्यवस्था हो जाएगी। लेकिन दावे के मुताबिक विधानसभा का आखिरी बजट सत्र में ई-विधान लागू नहीं हो पाया।



वीडियो देखें.. ऑनलाइन नहीं हुई विधानसभा, सरकार के पास नहीं 35 करोड़ रुपए



एक पोर्टल से जुड़ेंगी सभी विधानसभा



ई-विधानसभा लागू होने के बाद देश की सभी विधानसभा एक ही पोर्टल से जुड़ जाएंगी। जितने भी एजेंडे, नोटिस, प्रश्‍न और उनके उत्‍तर होंगे वे सब एक स्थान पर ही होंगे। विधायकों के बैठने के स्थान पर लैपटॉप लगाए जाएंगे और शुरुआती दौर में उनको चलाने के लिए सहायक दिए जाएंगे, लेकिन विधायकों को लैपटॉप बांटने और ट्रेनिंग देने के बाद भी उनकी रुचि ऑनलाइन सवाल भेजने में नहीं है। वर्तमान में जितने भी सवाल आते हैं उनमें आधे से ज्यादा ऑफलाइन ही आ रहे हैं। इस बार सरकार परंपरा अनुसार सभी विधायकों को आईपैड दे रही है ​जिसमें बजट अपलोड करके दिया जाएगा। इस बार बजट की हार्ड कॉपी नहीं होगी। बजट सत्र के बाद सिर्फ शीतकालीन सत्र ही आएगा और फिर चुनाव आ जाएंगे यानी पंद्रहवीं विधानसभा में ई-विधानसभा बन पाएगी ये संभव नहीं दिखाई देता।



हर साल बचेंगे 54 करोड़ रुपए



विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि ई-विधान व्यवस्था लागू होने के बाद दैनिक कार्यसूची, प्रश्नोत्तरी, बिल समेत सब कुछ डिजिटल होगा, इसके बाद पेपर पर कुछ नहीं होगा। इसके अलावा ई-विधान व्यवस्था लागू होने के बाद विधानसभा के 54 करोड़ रुपए हर साल बचेंगे और 28 करोड़ A4 साइज के कागज बचेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इससे हमारा 70 प्रतिशत खर्च कम होगा। हर विधायक की सीट के सामने कम्प्यूटर सिस्टम लगाया जाएगा जिसमें पूरी जानकारी सिंगल क्लिक से मिलेगी, यानी पूरी विधानसभा हाईटेक और डिजिटल होगी।


मध्यप्रदेश विधानसभा CM Shivraj सीएम शिवराज Madhya Pradesh Vidhansabha Madhya Pradesh Vidhansabha helpless e-legislation in Madhya Pradesh no fund for e-legislation मध्यप्रदेश विधानसभा लाचार मध्यप्रदेश में ई विधान ई विधान के लिए फंड नहीं