INDORE.इंदौर के 24 वें मेयर के रूप में बीजेपी (BJP) के पुष्यमित्र भार्गव (Pushyamitra Bhargava) आज शपथ (takes oath)लेने वाले हैं। इंदौर की जनता ने एक युवा चेहरे को अपना मेयर (mayor)चुना है। चुनाव के दौरान पुष्यमित्र भार्गव और बीजेपी ने अपने वचन पत्र (Promissory note) में 17 वादे किए हैं। आज जैसे ही पुष्यमित्र भार्गव शपथ लेंगे उसके बाद इन वादों को पूरा करने का काउंटडाउन शुरू हो जाएगा।
ये वादे किए हैं पुष्यमित्र भार्गव ने
इंदौर की जनता ने वचन पत्र के वादों को देखकर अपना मेयर चुना है या राजनीतिक दल को देखकर इसका कई तरह से विश्लेषण हो सकता है लेकिन किसी जमाने में इंदौर की जनता ने केवल चुनावी मुद्दे को देखकर ही वोट किया था। ये 1958 का नगर निगम चुनाव था ।
क्या हुआ 1958 के चुनाव में ?
इंदौर में आजादी के बाद 1950 और 1955 में नगर पालिका (Municipality)के चुनाव हुए थे। उस वक्त इंदौर नगर निगम नहीं बना था। दो नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इंदौर का नगर पालिका से नगर निगम बनने का साल 1956 था। 1955 के नगर पालिका चुनाव के बाद अध्यक्ष बने थे ईश्वरचंद जैन,उन्होंने ही मेयर के रूप में एक साल का यानी 1956 से 1957 तक का कार्यकाल पूरा किया था। 1958 में नगर निगम बनने के बाद पहला चुनाव हुआ ।
नागरिक मोर्चे का हुआ था गठन
1957 के विधानसभा चुनाव में कॉमरेड होमी दाजी (Com. Homi Daji)ने श्रमिक नेता गंगाराम तिवारी को चुनाव में भारी वोटों से हरा दिया था। इस जीत से होमी दाजी और उनके साथी उत्साहित थे। सभी लोगों ने तय किया कि 1958 के नगर निगम चुनाव में एक नया मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा जाएं। इस तरह से अस्तित्व में आया नागरिक मोर्चा। होमी दाजी ने नागरिक मोर्चा के बैनर तले अपने उम्मीदवार खड़े किए ।
साइकिल टैक्स खत्म करने के वादे ने दिलाई जीत
होमी दाजी ने इस चुनाव में जनता से एक वादा किया था, वो यह कि यदि वो सत्ता में आते हैं तो साइकिल पर लगने वाला टैक्स खत्म कर देंगे। दरअसल उस वक्त यातायात के इतने साधन नहीं थे, प्राइवेट गाड़ियां न के बराबर हुआ करती थी। ऐसे में सस्ता,सुलभ यातयात का साधन साइकिल ही थी। उस दौर में इंदौर में 6 कपड़ा मिले थी, जिसमें 15 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे। इसलिए साइकिलों की संख्या अच्छी खासी थी। उस दौर में करीब 30 हजार से ज्यादा साइकिल थीं। नगर पालिका तब मजदूरों और आम लोगों पर साइकिल पर लगने वाला सालाना टैक्स लेती थी जो एक रु. से भी कम था। 1944-45 और 1945-46 की नगर पालिका के बजट के दस्तावेज के मुताबिक पालिका को उस वक्त साइकिल टैक्स से 20 हजार 999 और 21 हजार 13 रुपए मिलते थे। लेकिन तब ये पैसा भी लोगों को बोझ लगता था। आय के साधन नहीं थे और गरीबी ज्यादा थी।
वादा काम कर गया,नागरिक मोर्चा जीत गया
होमी दाजी का ये वादा काम कर गया और 1958 के चुनाव में नागरिक मोर्चा ने कांग्रेस और जनसंघ के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी। नागरिक मोर्चा के पुरुषोत्तम विजय,कॉमरेड हरिसिंह, सुरेंद्र नाथ गुप्ता, रणछोड़ रंजन, बालाराव इंगले, नारायण प्रसाद शुक्ला, वासुदेवराव लोखंडे जैसे कई नेताओं ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1958 से लेकर 1965 तक मोर्चा की नगर परिषद ने 8 लोगों को बारी -बारी से मेयर बनाया। उस वक्त मेयर का कार्यकाल केवल 1 साल का हुआ करता था।