मप्र के 4 जिलों सहित भारत के 29 जिलों में जापानी एनसिफेलिटिस के 186 केस, पिछले 3 सालों में 70 फीसदी की हुई बढ़ोतरी 

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The Sootr
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मप्र के 4 जिलों सहित भारत के 29 जिलों में जापानी एनसिफेलिटिस के 186 केस, पिछले 3 सालों में 70 फीसदी की हुई बढ़ोतरी 

अजय छाबरिया, BHOPAL. मीजल्स रूबेला निर्मूलन एवं जेई टीकाकरण के बारे में मीडिया वर्कशॉप का आयोजन 28 मार्च, मंगलवार को हुआ। राज्य आरआई सेल एनएचएम और यूनिसेफ ने यह आयोजन किया।  यहां डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि गंभीर बीमारियों को रोकने टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। खसरा और रूबेला जैसी भयानक बीमारियों के लिए टीकाकरण करवाना जरूरी है। 



नवजात बच्चों को टीके लगना होते हैं जरूरी



जन्म लेने के बाद शिशु बाहरी परिवेश में आता है। तब बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसकी वजह से बच्चे जल्दी बीमारियों का शिकार हो जाते हंै। इसलिए बीमारियों से लड़ने के लिए बच्चे को जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर बीसीजी, हेपेटाइटिस बी, ओपीव्ही के टीके लगाए जाते हैं, जिससे बच्चे की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ सकें। इसके लिए पहले 3 फिर 5 टीके का ग्रुप बनाकर लगाए जाते हैं। 



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चिकन पॉक्स का टीककरण भी आवश्यक  



लोगों में भ्रम बना रहता है कि  चिकन पॉक्स माता वाली बीमारी है, लेकिन यह बिल्कुल मिथ्या और झूठी कहनी है, यह एक वायरस जनित रोग है। इसमें चिकित्सक की सलाह पर दवा लेना जरूरी है। चिकन पॉक्स की बीमारी से ग्रस्त होने पर दवा नहीं ली जाती है तो यह बीमारी से जान भी जा सकती है। इसके अलावा आंखों की बीमारी या अन्य त्वचा की बीमारी हो सकती है। इसके लिए बेहतर है कि जन्म से लेकर 16 साल तक के लगने वाले  सभी टीकाकरणों को अवश्य लगवाए, जिससे जल्द ही मीजल्स मुक्त भारत बन सकें। 



भारत में बढ़ने लगे हैं जापानी एनसिफेलिटिस के केस



डॉ हिमांशु जायसवाल ने कहा कि जापानी एनसिफेलिटिस बीमारी के केस भारत में बढ़ने लगे हैं। पिछले 5 सालों की रिपोर्ट देखी जाए तो भारत के 29 जिलों में 186  केस मिले है, जिनमें मध्यप्रदेश के 4 जिले और उत्तर प्रदेश के 13  जिले शामिल है। पिछले 3 सालों में 70  फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।



जानिए क्या है जापानी एनसिफेलिटिस?  



चावलों के खेतों में पनपने वाले क्युलेक्स ट्रायटेनियरहिंचस  समूह के मच्छरों के काटने से यह वायरस जनित बीमारी होती है। यह बीमारी मनुष्य में एक-दूसरे को छूने से फैलती नहीं है। ऐसे स्थान जहां पर सूअर को पाला जाता है और गंदगी ज्यादा है। वहां मच्छरों में अधिक से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 



भोपाल के 98  प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हुआ



भोपाल की एएनएम मीना शर्मा ने बताया कि हम जब फील्ड पर जाते हैं। तब हम दो तरीके से सर्वे करते हैं। जिसमें पहले जन्म से लेकर 5 वर्ष तक और पलायन  करने वाले बच्चों की जानकारी जुटाकर लोगों को यह समझाया जाता है। इससे बच्चों को फायदा होगा और यह भी बता देते है कि अगला टीका बच्चे को इस दिन लगेगा। बता दें कि मीना शर्मा और रेखा बधोले के नेतृत्व में मीजल्स और रूबेला के टीकाकरण में भोपाल के 98  प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण कर दिया है। 



टीकाकरण के फायदे




  • बच्चे को समय पर टीका लगवाने से भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है।


  • बच्चे को जन्म से लेकर युवा अवस्था तक के सभी टीका देना जरूरी है। 

  • टीकाकरण सही समय पर करवाने से आर्थिक बोझ से बचा जा सकता है। 

  • टीकाकरण से 80 प्रतिशत विकलांगता को काम किया जा सकता है। 

  • मंगलवार और शुक्रवार को सरकारी स्वास्थ केंद्रों पर टीकाकरण निःशुल्क उपलब्ध रहता है।


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