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BHOPAL. राजधानी भोपाल में हाल ही में मां बनी उन मां के लिए अच्छी खबर आ रही है, जिन्हें किसी कारणवश दूध नहीं आता है। दूध नहीं आने के कारण अपने नवजात को मां दूध नहीं मिला पाती थी, लेकिन अब ऐसे नवजातों को भी मां का दूध नसीब हो सकेगा। राजधानी भोपाल स्थित एम्स अस्पता में मिल्क बैंक की शुरुआत होने जा रही है।
मां का दूध नवजात के लिए बेहद जरुरी
जब भी कोई गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देती है तो नवजात शिशु को मां का ही दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। शिशु को कई बीमारियों से भी बचाता है। यही नहीं मां का दूध नवजात शिशुओं की मृत्युदर को कम करने में भी कारगर है।
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6 महीने नहीं खराब होगा दूध
आपको बता दें कि शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह एक अच्छा प्रयास साबित होगा। राजधानी भोपाल के एम्स अस्पताल में मिल्क बैंक की शुरुआत की जाएगी। इस मिल्क बैंक में पाश्चराइजेशन यूनिट, रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीज और आरो प्लांट जैसे संसाधनों के माध्यम से छह महीने तक मां के दूध को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इस बैंक में महिलाएं अपना दूध भी दान कर सकेंगी, ताकि यह दूध उन नवजात शिशुओं को उपलब्ध कराया जा सके जिनकी मां को दूध नहीं आता या किसी कारणवश वे अपने नवजात को दूध नहीं पिला पा रही।
क्या है मदर मिल्क बैंक
यहां नवजात शिशुओं के लिए मां का सुरक्षित दूध स्टोर किया जाता है, इसकी मदद से उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है, जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ रहती हैं। इस केंद्र में दो तरह की महिलाएं दूध दान करती हैं। पहली स्वेच्छा से और दूसरी वे माताएं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकती, जिनके बच्चे दूध नहीं पीते अगर उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है, उनके लिए दूध दान का करना अच्छा विकल्प है।
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