राहुल शर्मा, भोपाल. कोरोनाकाल में 6वीं और 9वीं कक्षा में आने का खामियाजा सूबे के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 8.60 लाख स्टूडेंट भुगतेंगे। इन स्टूडेंट को सरकार से साइकिल (School bicycle) नहीं मिल पाएगी। इनकी गलती सिर्फ यह है कि यह कोरोनाकाल यानी वर्ष 2021-21 और 2021-22 में कक्षा 6वीं और 9वीं में आए। इन दो सालों में नियमित रूप से शैक्षणिक सत्र पूरा नहीं चल पाया, जिसके कारण इन दो सालों के पात्र स्टूडेंट को साइकिल देने के लिए बजट (Budget) में कोई प्रावधान ही नहीं किया गया है। यानी भले ही ये स्टूडेंट अब 7-8वीं कक्षा में पढ़ रहे हों या 10वीं-11वीं के स्टूडेंट हो, इन्हें अपने ही साधन से स्कूल आना-जाना होगा। इन्हें सरकार की ओर से साइकिल नहीं मिल पाएगी।
पहले समझिए, क्या है योजना? निःशुल्क साइकिल वितरण योजना का फायदा ऐसे ग्रामीण क्षेत्र के स्टूडेंट्स को मिलता है, जो सरकारी सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और वह जिस गांव के निवासी है उस गांव में सरकारी माध्यमिक विद्यालय/हाई स्कूल संचालित नहीं है। ऐसे स्टूडेंट पढ़ने के लिए किसी अन्य गांव/शहर के सरकारी स्कूल में जाते है, उन्हें निःशुल्क साइकिल दी जाती है। इसके अतिरिक्त ऐसे मजरे/टोले जिनकी दूरी स्कूल से 2 किमी से ज्यादा है तो ऐसे मजरे टोले से विद्यालय में आने वाले छात्रों को भी साइकिल दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कन्या छात्रावास में अध्ययनरत छात्राएं जिनका स्कूल छात्रावास से 2 कि.मी या अधिक दूरी पर है, उन्हें भी साइकिल मिलती है। छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं इनका प्रयोग कर सकेगी। छात्रावास छोडते समय साइकिलें छात्रावास में ही जमा करना आवश्यक होता है। शुरूआत में इसमें सिर्फ 9वीं कक्षा के स्टूडेंट को शामिल किया गया था, बाद में इसमें 6वीं कक्षा के स्टूडेंट को भी शामिल कर लिया गया।
करोड़ों की 66 हजार साइकिल दो साल से खा रही धूल: मध्यप्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए 24 जून 2019 को 4.32 हजार स्टूडेंट को साइकिल का वितरण हुआ था। इसके बाद से प्रदेश में स्टूडेंट को साइकिल वितरित नहीं हुई। 2019-20 में स्कूल शिक्षा विभाग ने करीब 5 लाख साइकिल खरीद ली। तब से 66 हजार साइकिल धूल ही खा रही है। यदि एक साइकिल की कीमत 3 हजार से 4 हजार मानी जाए तो इन साइकिलों की कीमत करीब 20 से 25 करोड़ है।
साइकिल को रिपेयर कर नए शैक्षणिक सत्र में देने की तैयारी: सरकार कंडम हो रही 66 हजार साइकिल को रिपेयर कर नए सत्र में देने की तैयारी कर रही है। दरअसल यदि सरकार कोरोनाकाल के पात्र स्टूडेंट को साइकिल देती है तो उस पर 258 करोड़ से लेकर 344 करोड़ तक का अतिरिक्त भार आएगा। इसलिए सरकार अब साइकिल नए सत्र यानी 2022-23 में पात्र स्टूडेंट को बांटेगी। जिसमें 129 से 172 करोड़ का कुल खर्च आएगा। इसमें से भी 20 से 25 करोड़ की 66 हजार साइकिल पहले से मौजूद है, जिनकी मरम्मत भर होना है और ये स्टूडेंट को मिल जाएगी।
मंत्री ने कहा- सबसे ज्यादा साइकिल छिंदवाड़ा में हो रही कंडम: विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के दौरान कांग्रेस विधायक हिना लिखीराम कावरे और शरद जुगलाल कोल ने सरकारी स्कूलों में साइकिल वितरण का मुद्दा उठाया था। हिना कावरे सदन में लगातार स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदरसिंह परमार से कहती रही कि कोविड काल में पात्र स्टूडेंट को योजना का लाभ दिया जाए, क्योंकि यह आज भी स्कूलों में अध्ययनरत है, लेकिन मंत्री परमार ने उनकी इस मांग को यह कहते हुए नकार दिया कि बजट में प्रावधान ही नहीं है, क्योंकि इन दो सालों में स्कूलों में नियमित रूप से क्लास लगी ही नहीं। आने वाले सत्र से पात्र स्टूडेंट को इसका लाभ दिया जाएगा। द सूत्र से बात करते हुए मंत्री इंदरसिंह परमार ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय जरूरत से ज्यादा साइकिल खरीदी गई। इनमें से भी सबसे ज्यादा साइकिल छिंदवाड़ा में भेजी गई जो कंडम हो रही है। हम इनकी मरम्मत करवाकर पात्र स्टूडेंट को वितरित करेंगे।