जबलपुर. प्राइवेट कॉलेजों में पूरी फीस लेने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP Highcourt) ने सरकार से जवाब-तलब किया है। 2 फरवरी को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि कोरोना काल में प्राइवेट कॉलेजों में भी सिर्फ ट्यूशन फीस (private college only tuition fees) क्यों नहीं वसूली जा रही। इस मामले में हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग, आयुक्त लोक शिक्षण, कलेक्टर जबलपुर और प्राचार्य एनईएस लॉ कॉलेज से जवाब-तलब किया है।
याचिकाकर्ता ने सवाल खड़े किए: NES लॉ कॉलेज जबलपुर के स्टूडेंट सतीश प्रसाद विश्वकर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायिर की थी। यचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने दलील देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने पहले जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना काल में प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को महज ट्यूशन फीस वसलूने का आदेश (School tuition fees) दिया था। इसके बाद सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने का आदेश जारी किया।
समानता के अधिकार का उल्लंघन: याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए कहा कि ऐसे सवाल उठता है कि जब राज्य के स्कूलों में सिर्फ ट्यूशन फीस वसूली जा रही है, तो फिर प्रदेश के प्राइवेट कॉलेजों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? यह भेदभावपूर्व रवैया संविधान में दिए गए समानता के अधिकार (right to equality) के विपरीत होने के कारण चुनौती के योग्य है। याचिकाकर्ता ने पहले इससे संबंधित आवेदन NES कॉलेज में दिया था। लेकिन कॉलेज ने उच्च शिक्षा विभाग का हवाला देते हुए इस मांग को दरकिनार कर दिया था। इसके बाद सतीश विश्वकर्मा ने हाईकोर्ट का रूख किया।