अब मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल ने ''जो जीता वही सिकंदर'' मुहावरा बदला, बोले-जो जीता वही बाजीराव; उज्जैन विवि ने भी की थी पहल

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Neha Thakur
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अब मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल ने ''जो जीता वही सिकंदर'' मुहावरा बदला, बोले-जो जीता वही बाजीराव; उज्जैन विवि ने भी की थी पहल

BHOPAL. मध्यप्रदेश में एक बार फिर 'जो जीता वही सिकंदर' मुहावरे को बदलने की मांग उठी है। दरअसल, खरगोन के एक कार्यक्रम में मप्र कृषि मंत्री कमल पटेल बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधी पर उनकी पुण्य तिथि के समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस अवसर में उन्होंने मुहावरे को एक नया रूप दे दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि अब 'जो जीता वे सिकंदर' नहीं पढ़ाया जाएगा, बल्कि उसकी जगह 'जो जीता वही बाजीराव' पढ़ाया जाएगा। इससे पहले भी उज्जैन विवि के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे ने भी 'जो जीता वहीं सिकंदर' की जगह, 'जो जीता वहीं विक्रमादित्य' होगा। इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी।







— Shaikh Shakeel (@ShakeelABP) April 28, 2023





28 अप्रैल को थी पुण्यतिथि





खरगोन के रावेरखेड़ी में स्थित बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि पर 28 अप्रैल को बाजीराव पेशवा की पुण्य तिथि का समारोह मनाया गया। इस समारोह में मध्यप्रदेश के कृषिमंत्री और खरगोन के प्रभारी मंत्री कमल पटेल भी शामिल हुए। इस अवसर पर एक सामाजिक संस्था ने नर्मदा नदी पर बनने वाले नए पुल का नाम बाजीराव पेशवा के नाम पर रखे जाने की मांग कृषि मंत्री से की। साथ ही कुछ लोगों ने आसपास के क्षेत्र को मिलाकर एक नया जिला ओंकारेश्वर को बनाने की मांग भी की। सामाजिक संस्था के अनुसार बाजीराव पेशवा के नाम से पुल का नाम रखे जाने पर पुल से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उनका स्मरण होता रहेगा।





बाजीराव अजेय योद्धा थे





संस्था ने बताया कि बाजीराव पेशवा एक महान और अजेय योद्धा थे। संस्था के सदस्यों ने प्रभारी मंत्री को बाजीराव पेशवा की समाधि स्थल से लगे हुए क्षेत्रों के विकास के लिए ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, महेश्वर, मंडलेश्वर, करही, काटकुट को मिलाकर ओंकारेश्वर के नाम से नया जिला बनाए जाने की मांग भी की।





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मुहावरा भी हमें गलत पढ़ाया गया





बाजीराव पेशवा की पुण्यतिथि समारोह में उनकी समाधी स्थल पर पहुंचे प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा- बाजीराव पेशवा एक अजेय योद्धा थे। एक कहावत है जिसमें कहा गया है जो जीता वही सिकंदर, लेकिन वो हमें गलत पढ़ाया गया है। उन्होंने कहा -जो जीता वो बाजीराव यही पढ़ाया जाएगा और सिखाया जाएगा और पूरी दुनिया में इसी का विस्तार किया जाएगा।





कुलपति ने भी की थी मांग





बता दें की बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि खरगोन जिले के रावेरखेड़ी में स्थित है, जहां कल बाजीराव पेशवा प्रथम की 283 वीं पुण्यतिथि समारोह के कार्यक्रम में कृषि मंत्री पहुंचे थे। इससे पहले भी उज्जैन के विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय ने भी 'जो जीता वही सिकंदर' मुहावरे को बदलने की बात कही थी। कुलपति का कहना था कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं। सिकंदर को किसी भी स्थिति में युवाओं के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करना गलत है।



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