MP: वीडी शर्मा के सामने संगठन की कसौटी पर खरे उतरने की चुनौती, निकाय चुनाव करेंगे राजनीतिक भविष्य का फैसला

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Shivasheesh Tiwari
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MP: वीडी शर्मा के सामने संगठन की कसौटी पर खरे उतरने की चुनौती, निकाय चुनाव करेंगे राजनीतिक भविष्य का फैसला

अरुण तिवारी, BHOPAL. प्रदेश में होने वाले ​नगरीय निकाय चुनाव (urban body elections)  सिर्फ सरकार के कामकाज का लिटमस टेस्ट नहीं हैं बल्कि इनके नतीजे संगठन के मुखिया वीडी शर्मा (VD Sharma) के राजनीतिक भविष्य का फैसला भी करेंगे। निकाय चुनाव के बाद बीजेपी संगठन के चुनाव (BJP organization elections) होने हैं। इन चुनावों से ही प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) तक की दूसरी पारी का फैसला होगा। वीडी पहली पारी के लिए संगठन की तरफ से नियुक्त किए गए थे लेकिन दूसरी पारी के लिए उनको निर्वाचित होना होगा। पूर्व अध्यक्षों के लिए निर्वाचन का पैमाना बहुत अच्छा नहीं रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वीडी शर्मा दो साल से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। 



नड्डा ने संसदीय बोर्ड के पाले में डाली गेंद 



बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President JP Nadda) के भोपाल दौरे पर उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही प्रदेश का विधानसभा चुनाव होगा। इस सवाल पर नड्डा ने कहा कि इस बारे में पार्लियामेंट्री बोर्ड फैसला करता है। हालांकि उन्होंने सीएम की तारीफ करते हुए कहा कि प्रदेश में सरकार अच्छी चल रही है तो फिर सवाल क्यों खड़े करना लेकिन उन्होंने वीडी शर्मा के बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा। 



अचानक हटाए गए थे प्रभात झा,नंदकुमार,राकेश सिंह




  • पूर्व सांसद प्रभात झा को मई 2010 में निर्वाचित अध्यक्ष बनाया गया। झा के समय ही पार्टी संविधान में संशोधन कर अध्यक्ष के लिए लगातार दूसरे कार्यकाल का कॉलम जोड़ दिया गया। राजनीतिक गलियारों में तय हो गया कि प्रभात झा दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित हो जाएंगे लेकिन जनवरी 2013 में उनकी जगह नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। ये साल विधानसभा चुनाव का साल था। नाराज प्रभात झा ने इसे पोखरण विस्फोट बताया। 


  • 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र में मंत्री बन गए। उनकी जगह अगस्त 2014 में नंदकुमार सिंह चौहान को प्रदेश संगठन की कमान सौंप दी गई। जनवरी 2016 में वे प्रदेश अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचित हो गए। लेकिन नंदकुमार चौहान को भी विधानसभा चुनाव के ऐन पहले अप्रैल 2018 हटा दिया गया। उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि वे संसदीय क्षेत्र खंडवा को समय नहीं दे पा रहे इसलिए उन्होंने संगठन से कार्यमुक्त करने का अनुरोध किया था। लेकिन इसके मायने सबकी समझ में आ गए। उनका कार्यकाल 2019 तक था। 

  • 18 अप्रैल 2018 को अचानक हटाए गए नंदकुमार सिंह चौहान की जगह सांसद राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। राकेश सिंह से भी प्रभात झा और नंदकुमार सिंह चौहान की तरह प्रदेश अध्यक्ष पद ले लिया गया। 2020 में राकेश सिंह के हाथ से प्रदेश संगठन की कमान छीन ली गई। 

  • 15 फरवरी 2020 को प्रदेश संगठन का अध्यक्ष वीडी शर्मा को बना दिया गया। वीडी शर्मा की इस नियुक्ति के दो साल से ज्यादा हो गए हैं। अब एक बार फिर संगठन के चुनाव आ गए हैं। इस साल के अंत तक संगठन चुनाव अपेक्षित हैं। 2023 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। वीडी शर्मा की कोशिश है कि वे निर्वाचित होकर अपनी दूसरी पारी खेलें और वे इसी कोशिश में जुट गए हैं। 



  • इन सफलताओं से आस लगाए वीडी शर्मा



    वीडी शर्मा अपने कार्यकाल की कुछ सफलताओं से बहुत उम्मीद लगाए बैठे हैं। वीडी शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और कमलनाथ की जगह एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। दलबदल से बनी इस सरकार के बाद 2020 में 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए जिसमें से 19 सीटें बीजेपी ने जीतीं और कांग्रेस महज 9 सीट ही जीत पाई। 2021 में फिर विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें से दो सीटें भाजपा के खाते में आईं। वीडी शर्मा के बाद कांग्रेस के कई विधायक एक के बाद एक बीजेपी में शामिल होते गए। वीडी शर्मा ने संगठन विस्तार योजना से बूथ को मजबूत करने का काम किया। 65 हजार बूथों पर तैनात हुए कार्यकर्ताओं का डिजिटलाइजेशन कर संगठन के विस्तार का दावा किया। 



    क्या निकाय चुनाव में नंदकुमार का करिश्मा दोहरा पाएंगे वीडी



    वीडी शर्मा को निकाय चुनाव से बहुत उम्मीदें हैं। नंदकुमार सिंह चौहान के कार्यकाल में बीजेपी ने 16 में से 16 नगर निगमों में अपने मेयर बनाए थे। अब सवाल यही खड़ा होता है कि प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां हैं उनको देखते हुए क्या वीडी शर्मा, नंदकुमार का करिश्मा दोहरा पाएंगे। निकाय चुनाव से वीडी को बहुत उम्मीदें हैं। इन चुनावों के नतीजे भी वीडी की दूसरी पारी का फैसला करने में अहम साबित हो सकते हैं। 



    संगठन चुनाव से पहले होगी सदस्यता



    संगठन चुनाव की शुरुवात पार्टी के सदस्यता अभियान से होगी। इस सदस्यता में पार्टी के मौजूदा  सदस्यों को भी दोबारा सदस्य बनना पड़ेगा। इसमें सीएम से लेकर प्रदेश अध्यक्ष,सांसद,विधायक सभी शामिल हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान भी चलाया जाएगा। संगठन चुनाव में बूथ, मंडल, जिला और फिर प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होगा। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। 

     


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