हिमांशु अग्रवाल, CHHATARPUR. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कई दिनों से दिए जा रहे तीखे बयानों से कन्नी काट ली। उमा भारती पर पूछे जा रहे सवालों पर प्रहलाद पटेल कभी ना-नुकुर में गर्दन हिलाते रहे तो कभी मुस्कुराते दिखे। केंद्रीय मंत्री छतरपुर के सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता कर रहे थे। पत्रकारों ने उमा भारती द्वारा मध्य प्रदेश में चलाए जा रहे शराबबंदी आंदोलन को लेकर सवाल दागे तो केंद्रीय मंत्री ने साफ कह दिया कि मैं उमा जी पर कोई भी टिप्पणी करने को तैयार नहीं हूं। पत्रकारों ने प्रहलाद से पूछा कि क्या वे मध्य प्रदेश में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जा सकते हैं तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि आइए, भोजन करने चलते हैं।
पत्रकारों से प्रहलाद बोले- एक सवाल कितनी बार पूछोगे
पत्रकारों ने प्रहलाद से यह भी पूछा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक कार्यक्रम में कहा था कि लोधी समाज का वोट बंधुआ (बंधकर वोट करने वाला) नहीं है, इस पर प्रहलाद ने कहा कि ये सवाल कितनी बार पूछोगे। प्रहलाद पटेल से पत्रकारों ने नदियों से रेत के अवैध उत्खनन के बारे में भी सवाल पूछे तो केंद्रीय मंत्री ये सवाल को टालते नजर आए। पटेल केन बेतवा लिंक परियोजना पर बोले कि यह सिर्फ कैबिनेट से पास नहीं है, बल्कि परियोजना के तौर पर भारत सरकार उसे स्वीकार कर चुकी है। इस पर आने वाली करीब 44 हजार करोड़ की लागत भारत सरकार देने वाली है। यह देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है और मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमिपूजन करेंगे। यह ऐसी परियोजना है, जो देश की दिशा तय कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान की शुरुआत की थी।
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उमा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं प्रहलाद
28 जून 1960 को नरसिंहपुर के गोटेगांव (श्रीधाम) में जन्मे प्रहलाद पटेल प्रदेश ही नहीं, देश की राजनीति में कद्दावर नेता माने जाते हैं। प्रहलाद पटेल 1989 में पहली बार में ही लोकसभा सांसद चुन लिए गए थे। इसके बाद 1996 में दूसरी बार और 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। 2003 में उन्हें अटल सरकार में कोयला राज्य मंत्री बनाया गया। 2005 में जब उमा ने भारतीय जनशक्ति पार्टी (भाजश) बनाई तो प्रहलाद भी उनके साथ हो गए थे। 2009 में वे बीजेपी में आ गए। 2014 में दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सांसद बने। उमा प्रकरण के बाद वे जैसे ही बीजेपी में लौटे, उन्हें कई और जिम्मेदारियां दी गईं। उन्हें भारतीय जनता मजदूर महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया।
प्रहलाद पटेल 1980-81 में नर्मदा परिक्रमा करके वे चर्चा में आए थे। इसके बाद उन्होंने फिर नर्मदा परिक्रमा की। महाकौशल क्षेत्र में उनकी अलग पकड़ है। लोधी और ओबीसी वोट बैंक प्रहलाद के साथ रहा है। अब भी इसी वोट बैंक में प्रहलाद की गहरी पैठ है। पटेल एक बार छिंदवाड़ा से कमलनाथ से लोकसभा चुनाव हार गए थे।
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छतरपुर में प्रहलाद पटेल बोले- उमा जी पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, CM की रेस में होने पर कहा- भोजन करने चलते हैं
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हिमांशु अग्रवाल, CHHATARPUR. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कई दिनों से दिए जा रहे तीखे बयानों से कन्नी काट ली। उमा भारती पर पूछे जा रहे सवालों पर प्रहलाद पटेल कभी ना-नुकुर में गर्दन हिलाते रहे तो कभी मुस्कुराते दिखे। केंद्रीय मंत्री छतरपुर के सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता कर रहे थे। पत्रकारों ने उमा भारती द्वारा मध्य प्रदेश में चलाए जा रहे शराबबंदी आंदोलन को लेकर सवाल दागे तो केंद्रीय मंत्री ने साफ कह दिया कि मैं उमा जी पर कोई भी टिप्पणी करने को तैयार नहीं हूं। पत्रकारों ने प्रहलाद से पूछा कि क्या वे मध्य प्रदेश में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जा सकते हैं तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि आइए, भोजन करने चलते हैं।
पत्रकारों से प्रहलाद बोले- एक सवाल कितनी बार पूछोगे
पत्रकारों ने प्रहलाद से यह भी पूछा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक कार्यक्रम में कहा था कि लोधी समाज का वोट बंधुआ (बंधकर वोट करने वाला) नहीं है, इस पर प्रहलाद ने कहा कि ये सवाल कितनी बार पूछोगे। प्रहलाद पटेल से पत्रकारों ने नदियों से रेत के अवैध उत्खनन के बारे में भी सवाल पूछे तो केंद्रीय मंत्री ये सवाल को टालते नजर आए। पटेल केन बेतवा लिंक परियोजना पर बोले कि यह सिर्फ कैबिनेट से पास नहीं है, बल्कि परियोजना के तौर पर भारत सरकार उसे स्वीकार कर चुकी है। इस पर आने वाली करीब 44 हजार करोड़ की लागत भारत सरकार देने वाली है। यह देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है और मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमिपूजन करेंगे। यह ऐसी परियोजना है, जो देश की दिशा तय कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान की शुरुआत की थी।
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उमा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं प्रहलाद
28 जून 1960 को नरसिंहपुर के गोटेगांव (श्रीधाम) में जन्मे प्रहलाद पटेल प्रदेश ही नहीं, देश की राजनीति में कद्दावर नेता माने जाते हैं। प्रहलाद पटेल 1989 में पहली बार में ही लोकसभा सांसद चुन लिए गए थे। इसके बाद 1996 में दूसरी बार और 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। 2003 में उन्हें अटल सरकार में कोयला राज्य मंत्री बनाया गया। 2005 में जब उमा ने भारतीय जनशक्ति पार्टी (भाजश) बनाई तो प्रहलाद भी उनके साथ हो गए थे। 2009 में वे बीजेपी में आ गए। 2014 में दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सांसद बने। उमा प्रकरण के बाद वे जैसे ही बीजेपी में लौटे, उन्हें कई और जिम्मेदारियां दी गईं। उन्हें भारतीय जनता मजदूर महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया।
प्रहलाद पटेल 1980-81 में नर्मदा परिक्रमा करके वे चर्चा में आए थे। इसके बाद उन्होंने फिर नर्मदा परिक्रमा की। महाकौशल क्षेत्र में उनकी अलग पकड़ है। लोधी और ओबीसी वोट बैंक प्रहलाद के साथ रहा है। अब भी इसी वोट बैंक में प्रहलाद की गहरी पैठ है। पटेल एक बार छिंदवाड़ा से कमलनाथ से लोकसभा चुनाव हार गए थे।
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