पीथमपुर हार से सामने आया CM का दर्द- हमारे वाले ही हरवाने में लगे रहे, BJP नेताओं ने निर्दलीय के पक्ष में रीकाउंटिंग का दबाव बनाया

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Vijay Choudhary
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पीथमपुर हार से सामने आया CM का दर्द- हमारे वाले ही हरवाने में लगे रहे, BJP नेताओं ने निर्दलीय के पक्ष में रीकाउंटिंग का दबाव बनाया

संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान का नगरीय निकाय चुनाव में पीथमपुर नगर पालिका की हार का दर्द बाहर आया। सीएम ने कहा कि एक बीजेपी नेता पीथमपुर में निर्दलीय की हार पर अधिकारियों पर रिकाउंटिंग का दबाव बना रहे हैं, यह क्या हो रहा है। हम काम कर रहे हैं, वो हमारे साथ घूमते हैं, लेकिन हम उन्हें बागी होकर खड़ा होने से रोक नहीं पा रहे है। हमारे अपने वाले ही हार की वजह बन रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मांडू में हुई बीजेपी की बैठक में भी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने चेताया था कि बीजेपी को इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस या दूसरी पार्टी से नहीं बल्कि बीजेपी से ही खतरा है। मप्र-छग के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल ने भी यही बात दूसरे तरीके से कही, उन्होंने कहा कि जब हमें पता है कि भाग्य से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता तो फिर क्यों आपस में लगे रहते हो और पीछे भागते हो, अपना काम करते चलो, समय पर मिलेगा। 



ये हुआ पीथमपुर में, सीएम खुद गए थे प्रचार में



पीथमपुर निकाय चुनाव में कुल 31 वार्ड में से कांग्रेस 17, बीजेपी 13 और निर्दलीय ने एक पर जीत हासिल की। इसमें अहम बीजेपी वालों का अलग होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ना रहा, पांच वार्ड में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर बीजेपी नहीं बल्कि निर्दलीय रहे। पीथमपुर की हार इसलिए भी सीएम को खल रही है क्योंकि यहां पर सीएम से लेकर कई तमाम बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किया था। सत्ता में बीजेपी ही थी और संजय वैष्णव नगर पालिका अध्यक्ष थे, वह खुद तो पार्षद का चुनाव जीत गए लेकिन परिषद नहीं बचा पाए। 



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अभी भी नीचे नहीं पहुचें हम, सब कागजी बातें- जामवाल



जामवाल ने कहा कि हम लोग इतने सालों से काम कर रहे हैं, बूथ तक टीम बनी है, पन्ना प्रमुख तक के लोग हमारे पास हैं, फिर भी हम कोई चुनाव क्यों हार जाते हैं, इसकी वजह है। मैं मंडल में जाता हूं (मंडल बीजेपी का संगठनत्मक स्तर है, एक विधानसभा में चार से पांच मंडल होते हैं), तो वहां बैठकों में तो वहां 30-35 लोग ही आते हैं, उनसे पूछता हूं कि पार्टी के जो छह तय कार्यक्रम होते हैं उसमें कितने लोग आते हैं, तो बताते हैं कि वहीं 30 से 40 लोग, फिर पूछता हूं कि इसमें कितने लोग 15-20 सालों से आ रहे हैं तो पता चलता है कि यही लोग, यानि कि हम नए लोग जोड़ ही नहीं पा रहे हैं। मंडल के नीचे हमारा काम उतरा ही नहीं है, बूथ मजबूत यह सब कागजी बात है। बूथ को मजबूत करना ही होगा, नहीं तो जीत नहीं पाएंगे। 



मोदी की मन की बात सुनने में आगे मप्र के बूथ



बैठक में बताया गया कि बूथ हमे मजबूत करना है। पीएम मोदीजी की मन की बात अभी मप्र के 62 हजार बूथ में से सात हजार बूथ पर सुना गया जो पूरे देश में अग्रणी रहा और ऱाष्ट्रीय कार्यसमिति में इसे मॉडल के रूप में माना गया। अब अगले कार्यक्रम को 25 हजार बूथ पर सुनने का लक्ष्य रखा गया है। बैठक में यह भी बताया कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव और साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 14 हजार बूथ पर हारे हैं, इन पर हमे फोकस करना है।


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