संजय गुप्ता, INDORE. इंदौरियों सावधान, इस बार सफाई में जुट जाना, कई शहर लगे हुए है इंदौर को पछाड़ने में, मेरे पास इसे लेकर गंभीर सूचनाएं हैं। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर गौरव दिवस के अवसर पर 31 मई को नेहरू स्टेडियम में मंच से कही। मुख्यमंत्री इंदौर टीम को आगाह भी कर गए। लेकिन सपनों के शहर इंदौर से ज्यादा वे भोपाल में सफाई के लिए अधिक उत्साह जगाने में जुटे हुए हैं। यह बात एक दिन बाद ही 1 जून को उनकी भोपाल की आई फोटो से साफ हुआ। यहां सीएम ने खुद कचरा गाड़ी में कचरा डाला और लोगों को शपथ दिलाई कि भोपाल को हमें स्वच्छतम राजधानी का दर्जा दिलाने के साथ ही भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाना है। क्लीन शहर और ग्रीन शहर हो हमारा भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज का भोपाल को लेकर जुट जाना सफाई के ब्रांड एंबेसडर इंदौर की चिंता बढ़ा रहा है।
सफाई सर्वेक्षण में छठे नंबर पर है भोपाल
बीते सफाई सर्वेक्षण में भोपाल का देश में छठा स्थान था। भोपाल में इस बार सफाई को लेकर सीएम ज्यादा सजग है और उनका हर दिन पौधा लगाने का अभियान भी तेजी से चल रहा है। भोपाल महापौर और टीम सीएम के साथ लगातार जुड़ी हुई है। ऐसे में इंदौर को सूरत, नवी मुंबई के साथ इस बार भोपाल से भी कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने जा रही है।
इंदौर में नेता और ब्यूरोक्रेसी की लड़ाई बन रही समस्या
इंदौर में सफाई को लेकर इस बार घबराहट महसूस की जा रही है। निगम के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही है, कोई बड़ा इनोवेशन भी सफाई को लेकर ऐसा नहीं हुआ है, जिसे लेकर विशेष अंक हासिल किए जा सकें। नगर निगम में जनप्रतिनिधियों और ब्यूरोक्रेसी के बीच चल रही तनातनी का सीधा असर सफाई अभियान में दिख रहा है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव को बोलना पड़ रहा है कि प्रेम की भाषा नहीं समझते हो तो डंडा लेकर चलना पड़ेगा, लालफीताशाही नहीं चलेगी। पार्षद और निगम के अमले के बीच में भी कोई समन्वय नहीं बैठ पा रहा है। ऐसे में सफाई के ताज को लेकर हाईलेवल पर सभी चिंतित हैं।
इंदौर में सफाई ब्रांड बन चुकी है, इसमें ऊंच-नीच तो शहर माफ नहीं करेगा
इस सफाई को लेकर आमजन ने भारी कीमत चुकाई है और निगम की हर पेनाल्टी, नियम को स्वीकार किया है और सफाई को आदत बनाया है। उनकी सहभागिता के कारण ही यह शहर नंबर वन बना है और केवल नेता और अधिकारियों की अनबन के कारण इस ब्रांड पर आंच आना शहर माफ नहीं करेगा। नेताओं की समस्या यह है कि अधिकारी तो ट्रांसफर होकर चले जाएंगे, उन्हें शहर में ही रहना है और यहीं राजनीति करना है, ऐसे में उन्हें जवाब देना भारी पड़ जाएगा।
सफाई को लीड करने वाला नेता, अधिकारी ही नहीं मिल रहा
इंदौर को अवार्ड मिलने उसका श्रेय लेने के लिए, साथ में हाथ लगाने के लिए तो कई सामने आ जाते हैं, लेकिन फिलहाल इस समय पूरे सफाई अभियान को लीड करने वाला कोई नहीं दिख रहा है। जब सफाई में नंबर वन बने हैं, तब महापौर मालिनी गौड़ के साथ तत्कालीन निगमायुक्त मनीष सिंह ने इसे लीड किया, बाकी सभी सपोर्ट में रहे, फिर निगायुक्त आशीष सिंह ने लीड किया, इसके बाद प्रशासक संभागायुक्त के साथ मिलकर निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने मोर्चा संभाला और इस काम को समझते हुए लीड किया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव अपनी कोशिश पूरी कर रहे हैं लेकिन फिलहाल राजनीति में कनिष्ठ की तरह वह ट्रीट किए जा रहे हैं। एमआईसी सदस्य तक राजनीति में उनसे बहुत वरिष्ठ है, ऐसे में राजनीतिक रूप से उनकी अपनी समस्याएं हैं। हालांकि, यह भी है कि इस चुनौती को भार्गव पार पाते हैं तो वह राजनीतिक रूप से एकदम अगले पायदान पर पहुंच जाएंगे। वहीं, प्रशासनिक तौर पर निगमायुक्त हर्षिका सिंह को पहली बार इंदौर आई है, उनके पास समय काफी कम है। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी भी पहली बार इंदौर में पदस्थ हुए हैं, वहीं निगम में अब खुद का सिस्टम है, ऐसे में वह वहां लीड करने की स्थिति में नहीं है।