BHOPAL. मप्र में चुनाव से पहले कांग्रेस ने जातिगत आधार पर जनगणना का नया दांव खेला है। टीकमगढ़ में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस के प्रदेशअध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि जातिगत गणना होना चाहिए वो उसके पक्ष में है। सवाल है कि कमलनाथ ने ये मुद्दा उठाकर क्या जातिगत जनगणना के मुद्दे को हवा दे दी है ? खास बात ये भी है कि बिहार में चल रही जातिगत जनगणना को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार( 20 जनवरी) को खारिज कर दिया ये कहते हुए कि याचिकाकर्ता पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर करें, यानी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर याचिका को खारिज कर नीतीश सरकार को एक तरह से राहत दी है
मीडिया से बातचीत में क्या कहा कमलनाथ ने
जातिगत जनगणना करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्यों नहीं होना चाहिए। हम किस चीज से डर रहे हैं। ये फैसला तो तत्काल होना चाहिए। आज हमारे प्रदेश में कितनी विविधताएं, ये सब बातें जनगणना में सामने आ जाएंगी
कांग्रेस खारिज करती रही है मांग
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने क्या अचानक ही जातिगत जनगणना का मुद्दा उठा दिया है या फिर सोची समझी रणनीति के तहत ये पांसा फेंका है क्योंकि कांग्रेस जातिगत जनगणना को लेकर कभी उत्साहित नहीं रही है। यूपीए सरकार के समय भी जातिगत आधार पर जनगणना का मुद्दा उठा था। लालू-नीतीश और बाकी क्षेत्रीय दल जो उस समय यूपीए का हिस्सा थे तब उनके दबाव में 2011 में जातिगत जनगणना हुई जरूर थी मगर उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।
150 सीटों पर SC-ST का प्रभाव
पिछले दिनों भोपाल में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति, जनजाति का सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में कमलनाथ ने कहा था कि 150 सीटें ऐसी है जिनपर एससी-एसटी वर्ग का प्रभाव है। कमलनाथ ने इस सम्मेलन में ये भी कहा था कि आंकड़ों के आधार पर कोई भी उनसे बहस कर सकता है। साथ ही कमलनाथ ने ये भी कहा था कि हर जिले और संभाग में अलग अलग जातिवर्ग के लोग रहते हैं इसलिए उनके हिसाब से चुनाव की रणनीति बनाना जरूरी है। यानी कमलनाथ जातियों को साधने का माइक्रोमैनेजमेंट सामने लेकर आए थे।
फूल सिंह बरैया लाए 181 सीटों का फॉर्मूला
इसी सम्मेलन में अनुसूचित जाति की राजनीति करने वाले कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया ने तो जाति के वोटों के आधार पर बड़ा दावा किया कि उनका फॉर्मूला सक्सेस हुआ तो 2023 में बीजेपी को 50 सीटें भी नहीं मिलेगी
फूल सिंह बरैया ने सम्मेलन में इस तरह दिया गणित
- बरैया ने बताया कि 2018 में कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख वोट मिले थे, तो सरकार बन गई थी।
बीजेपी ने कहा स्टैंड क्लीयर करें कांग्रेस
कमलनाथ का बयान सामने आने के बाद बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रजनीश अग्रवाल ने द सूत्र से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस पहले जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं रही। अग्रवाल ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जातिगत आधार पर जनगणना की मांग क्षेत्रीय दल ही करते रहे हैं तो क्या कांग्रेस भी अब खुद को राष्ट्रीय दल की बजाए क्षेत्रीय दल मानने लगी है।
जातिगत जनगणना से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य ये है कि जो भी दल सत्ता में रहता है वो जातिगत जनगणना को खारिज करता है और जब वो ही दल विपक्ष में होता है तो इसकी पुरजोर तरीके से मांग करता है। जातिगत जनगणना के पक्ष और विपक्ष में क्या दलीलें दी जाती है और क्यों दी जाती है। वो भी समझना जरूरी है।
जातिगत गणना के पक्ष में दलीलें
- जातिगत जनगणना करवाने से जो आंकड़े मिलेंगे उन्हें आधार बनाकर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के उन तबकों तक पहुंचाया जा सकेगा,जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
जातिगत जनगणना के विरोध में दलीलें
- जातिगत जनगणना की बात आते ही अक्सर बहुत सी चिंताएं और सवाल भी खड़े हो जाएंगे।
लेकिन क्या भारत को जातिगत जनगणना की जरूरत है, तो जानकार कहते हैं-
- जाति की वजह से मिल रहे विशेषाधिकारों को पहले खत्म करना होगा।