राहुल शर्मा । भोपाल. मध्य प्रदेश में मक्का उगाने वाले किसान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (CM Shivraj) के वादे पर भरोसा करके खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सीएम ने मक्का की उपज का सही दाम (Maize rate) न मिलने पर पिछले साल अक्टूबर में किसानों को बकायदा एक बड़े सार्वजनिक मंच से प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया था। उन्होंने वादा किया था कि मक्का उत्पादक किसानों को जल्द ही प्रोत्साहन राशि का भुगतान कराया जाएगा। उनकी इस घोषणा का असर यह हुआ कि प्रोत्साहन राशि (CM shivraj Announcement on maize farmers) के लाभ के फेर में दूसरे किसानों ने भी मक्के की फसल (Maize Crop) लगानी शुरू कर दी। इससे प्रदेश में मक्के का उत्पादन (Maize Production) 8.26 लाख मीट्रिक टन बढ़ गया और बाजार (Corn Market in mp) में इसके दाम गिर गए। इसके चलते 12 लाख किसानों को करीब 1800 करोड़ का नुकसान (Loss of farmers) उठाना पड़ा है। मप्र में मक्के की खरीद के बारे में हाल ही में राज्यसभा में केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल (Food Minister Piyush Goyal) के जवाब से भी साफ हो गया है कि मक्के की खरीद को लेकर मुख्यमंत्री का ऐलान सिर्फ और सिर्फ चुनावी घोषणा ही थी। गोयल ने बताया कि मक्के की सरकारी खरीद के लिए मप्र से केंद्र को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया।
12 लाख किसानों को 1799.70 करोड़ का घाटा
केंद्र सरकार ने इस साल मक्के का समर्थन मूल्य 1870 रुपए प्रति क्विंटल (Maize crop msp rate) निर्धारित किया है। वहीं, इसका लागत मूल्य 1246 रूपए प्रति क्विंटल है। सरकारी खरीद नहीं होने से किसान औने-पौने दाम में मक्का बेचने को मजबूर है। इस साल मक्का 1200 से लेकर 1500 रूपए प्रति क्विंटल तक बिका है। मतलब एक क्विंटल मक्के पर किसानों को न्यूनतम 350 रूपए तक का घाटा हुआ। यदि उत्पादन के हिसाब से देखें तो प्रदेश के 12 लाख मक्का उत्पादक किसानों को इस साल 1799.70 करोड़ का घाटा हुआ है। कुछ तो अपनी लागत तक नहीं निकाल सके हैं।
1 साल में बढ़ा 8.26 लाख मीट्रिक टन उत्पादन
मक्का मध्यप्रदेश (MP Corn Production) में खरीफ की मुख्य फसल में से एक है। पिछले 5 साल के औसत की बात करें तो 12.63 लाख हेक्टेयर पर मक्के की बोवनी हुई है। खरीफ के सीजन में 2021 में प्रदेश में मक्के का रकबा 15.150 लाख हेक्टेयर रहा। मक्का उत्पादन से प्रदेश के करीब 12 लाख किसान जुड़े हुए हैं। प्रदेश में 2019-20 में 43.69 लाख मीट्रिक टन, 2020-21 में 43.16 लाख मीट्रिक टन और 2021-22 में 51.42 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन हुआ है। मतलब एक साल में करीब 8.26 लाख मीट्रिक टन उत्पादन बढ़ गया।
कृषि मंत्री का तर्क- सरकार बिजनेस नहीं करती
हाल ही में सोशल मीडिया पर कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel on corn crop) का एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें वे मक्का खरीद नहीं करने के पीछे तर्क देते हुए कह रहे हैं कि सरकार व्यवसाय नहीं करती। वह किसानों से अनाज इसलिए खरीदती है ताकि वो उसे कम दाम या मुफ्त में गरीबों में बांट सके। लेकिन मक्का नहीं बांट सकती इसलिए नहीं खरीदती है। इसके बाद सवाल उठता है कि अगर कृषि मंत्री कमल पटेल का तर्क सही है तो फिर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मक्का उत्पादक किसानों की समस्या के निराकरण की बात किस आधार पर कही थी।
2016 में 50 हजार मीट्रिक टन की हुई थी खरीदी
प्रदेश में 2016 में मक्का की सरकारी खरीद हुई थी। उस दौरान सरकार ने 50 हजार मीट्रिक टन मक्का खरीदा था। वर्ष 2018 में भावांतर मूल्य (differential value scheme) मिलने के बाद मक्का के बुरे दिन शुरू हो गए थे। वर्ष 2019 में मक्का किसानों का पंजीयन नहीं किया गया था। वर्ष 2020 में कोविड संकट के चलते सरकार समर्थन मूल्य घोषित नहीं कर सकी। अब 2021 में भी वहीं परिस्थितियां उत्पन्न हो रही है। इन दो साल में मक्का बाजार में एक हजार रुपए क्विंटल तक बिकी। जब 2021 में भी सरकार ने मक्का की खरीद नहीं की तो फिर से यह स्थिति बन गई।
कमलनाथ सरकार में कॉर्न फेस्टिवल का आयोजन
कमलनाथ सरकार के समय मक्का के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने और इससे जुड़े किसानों को बेहतर दाम दिलाए जाने के लिए छिंदवाड़ा में कॉर्न फेस्टिवल (Corn festival in chhindwara) का आयोजन किया गया था। इस फेस्टिवल में मक्के की विभिन्न किस्मों की भी प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसके अलावा किसानों के ऑनलाइन कैंपेन किसान सत्याग्रह (Farmers Satyagraha) से जुड़कर युवा किसानों ने 2 अक्टूबर 2019 से मक्का सत्याग्रह आंदोलन भी शुरू किया था। जिसकी मुख्य मांग मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी थी, पर इन सबका कहीं कोई असर नहीं हुआ और मक्का उत्पादक किसान (Corn production farmers and area) आज भी परेशान हैं।
राज्यसभा में गूंजा MP के मक्के का मुद्दा
हाल ही में 10 दिसंबर 2021 में राज्यसभा में दिग्विजय सिंह (Digvijay singh on corn purchased) ने मध्यप्रदेश के मक्के का मुद्दा उठाया था। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के अधिकांश आदिवासी इलाकों (Tribal Area) में मक्का बोई जाती है, ये वहां की प्रमुख फसल है। 2019-20 में प्रदेश में इसकी खरीदी हुई, क्या केंद्र सरकार को इसकी जानकारी है। हालांकि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इस बात से साफ इंकार किया।
बड़ा सवाल: आखिर खरीदी करेगा कौन?
राज्यसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति (Niranjan Jyoti) ने कहा कि मोटा अनाज खरीदने का विषय राज्य सरकार का है। राज्य यदि अपने उपभोक्ताओं को ये देना चाहती है तो दे सकती है। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैंने खाद्य उपार्जन पॉलिसी देखी है। ये कोई बाध्यता नहीं है कि यदि राज्य सरकार निवेदन करेगी तो ही केंद्र सरकार खरीदी करेगी। केंद्र सरकार भी खरीद कर सकती हैं। इसलिए क्या आदिवासी क्षेत्र में मक्का खरीदने के लिए केंद्र सरकार कोई प्रोत्साहन देगी।
CM का वादा पर हुआ कुछ नहीं
सीएम शिवराज ने सिवनी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक दिनेश राय मुनमुन (Dinesh rai munmun) के सामने ही मक्का उत्पादक किसानों की समस्याओं को हल करने का भरोसा दिलाया था। जब द सूत्र ने विधायक दिनेश राय मुनमुन से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि मक्का के दाम सही मिल सकें, इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। पहले भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था। विधानसभा में वह इस मुद्दे को दोबारा उठाएंगे।
CM और मंत्री पर किसानों ने किया था भरोसा
किसान सत्याग्रह के फाउंडर मेंबर और सिवनी के किसान शिवम बघेल ने बताया कि मुख्यमंत्री के वादे और कृषि मंत्री के भरोसे के बाद ही किसानों ने पुनः मक्का बोया, जबकि पिछली फसल में वह घाटा खा चुका था। इसलिए प्रदेश में मक्के का उत्पादन बढ़ा पर किसानों को आज भी मक्के के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं।
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