MP में चुनावी साल में सरकार तेंदूपत्ता बीनने वाले 15 लाख आदिवासी परिवारों को उनके बोनस के 261 करोड़ से बांटेगी जूते-चप्पल और साड़ी

author-image
Arun Dixit
एडिट
New Update
MP में चुनावी साल में सरकार तेंदूपत्ता बीनने वाले 15 लाख आदिवासी परिवारों को उनके बोनस के 261 करोड़ से बांटेगी जूते-चप्पल और साड़ी

BHOPAL. चुनावी साल में सरकार जो ना करे वो कम है। अब सरकार ने नई योजना शुरू की है, लेकिन इस नई योजना में बड़ी चालबाजी दिखाई है। एक कहावत है कि हींग लगे ना फिटकरी और रंग आए चोखा। तेंदूपत्ता बीनने वाले 15 लाख आदिवासी परिवारों को सरकार उनके ही 261 करोड़ रुपयों से खुश करने वाली है। यानी सरकार की जेब से एक धेला भी खर्च नहीं हो रहा और आदिवासियों को अपने पाले में लाने की पूरी तैयारी भी है। क्या है पूरा ताना-बाना हम आपको बताते हैं।



15 लाख परिवारों को जूते-चप्पल और साड़ी



प्रदेश के जंगलों में तेंदूपत्ता बीनने वाले 15 लाख आदिवासी परिवारों को सरकार चुनावी साल में जूते-चप्पल, साड़ी, पानी की बोतल और छाता देने वाली है। 15 लाख परिवार में करीब 40 लाख सदस्य हैं। इसमें पुरुषों को जूते, महिलाओं को चप्पल और साड़ी, एक परिवार को एक पानी की बोतल और एक छाता दिया जाएगा। जूते-चप्पल अच्छी क्वालिटी के होंगे। ये सामग्री 2022 में तेंदूपत्ता जमा करने वाले कार्डधारी परिवारों को ही मिलेगी। ये सामग्री प्रदेश सरकार की संस्था लघु उद्योग निगम के जरिए खरीदने जा रही है। इस खरीदी में 261 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सरकार की कोशिश आदिवासियों के प्रति संवेदना दिखाना है ताकि इसका फायदा आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके।



वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.. चरणपादुका योजना 2.0 पर क्यों उठ रहे सवाल?



ये होगी इस सामग्री की कीमत



जूते 15.24 लाख - 291 रुपए जोड़ी 

चप्पल 15-20 लाख - 195 रुपए जोड़ी

साड़ियां 18-20 लाख - 402 रुपए प्रति साड़ी

पानी की बोतल 15.24 लाख - 285 रुपए प्रति बोतल

छतरी 15.24 लाख - 200 रुपए प्रति छतरी



सरकार ने इस तरह दिखाई चालबाजी



सरकार इस साल 16 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता की खरीदी करने वाली है। एक बोरा की कीमत ढाई हजार से बढ़ाकर 3 हजार रुपए कर दी है। इस तरह लघु वनोपज संघ आदिवासियों से 480 करोड़ का तेंदूपत्ता खरीदेगा। इसके अलावा जो लाभांश मिलेगा वो भी आदिवासियों को बांटा जाएगा। सरकार इन तेंदूपत्ता संग्राहकों का 250 करोड़ का लाभांश बांट रही है, लेकिन ये लाभांश साल 2020-21 का है। वहीं इस लाभांश के 261 करोड़ आदिवासियों को ना देकर उनके लिए सामग्री खरीदकर वाहवाही बटोर रही है।



डिजाइन और क्वालिटी 2018 वाली ही



सरकार ने इसी तरह की योजना 2018 में भी चलाई थी जिसका नाम चरण पादुका था, लेकिन ये योजना विवादों में आ गई थी। क्योंकि एक सरकारी लैब ने रिपोर्ट दी थी कि जूते-चप्पल में जो सामग्री उपयोग की गई है उससे कैंसर हो सकता है। इसके बाद ये योजना विवादों में घिर गई थी। इस बार जूते-चप्पल और साड़ी की डिजाइन 2018 वाली ही रखी गई है। इसके अलावा सैंपल जांचने वाली एजेंसी भी पुरानी ही है। लघु वनोपज संघ के संचालक मंडल की बैठक में क्वालिटी और इनकी डिजाइन को मंजूरी दे दी गई। सदस्यों ने तय किया कि 2018 की तरह ही डिजाइन, स्पेसिफिकेशन और क्वालिटी रखी जानी है। छतरी की जांच लघु वनोपज संघ द्वारा निर्धारित संस्था करेगी।



कांग्रेस ने योजना पर उठाए सवाल



कांग्रेस ने सरकार की इस पूरी योजना पर सवाल उठाए हैं। आदिवासी विधायक डॉ. हीरा अलावा ने कहा कि इस पूरी योजना में बड़े घोटाले की बू आ रही है। यदि सरकार आदिवासियों का भला चाहती है तो वो उनके बैंक खाते में राशि क्यों नहीं डालती। इसके अलावा उनके बोनस के पैसे से ही क्यों उनको सामग्री खरीदी जा रही है। इसके लिए सरकार को अलग फंड देना चाहिए। वहीं युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि आदिवासी सरकार के इस छलावे से प्रभावित होने वाले नहीं हैं और सरकार को चुनावी साल में ही क्यों आदिवासियों के नंगे पांव चलने की चिंता हो रही है। पिछले साल भी सरकार ने कैंसर वाले जूते-चप्पल बांटे थे। आदिवासी इस बात को भूले नहीं हैं।



बीजेपी ने कहा- सरकार संवेदनशील है



वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि सरकार संवेदनशील है, इसलिए आदिवासियों की चिंता कर रही है। वे नंगे पैर चलते हैं इसलिए उनको जूते-चप्पल दिए जा रहे हैं। वे ठंडा पानी पी सकें इसलिए बोतल दी जा रही है। धूप से बचने के लिए छाता और महिलाओं को साड़ी दी जा रही है। बीजेपी के प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस को आदिवासियों के बारे में बोलने का कोई हक नहीं है। सरकार हमेशा से आदिवासियों की चिंता करती रही है।


मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 Madhya Pradesh Assembly Elections 2023 15 लाख आदिवासियों को मिलेगा सामान मध्यप्रदेश सरकार की चालबाजी आदिवासियों के लिए नई योजना 15 lakh tribals will get goods trickery of Madhya Pradesh government new scheme for tribals