BHOPAL. नौतपा में तापमान के उतार-चढ़ाव में राजनीति का पारा भी ऊपर-नीचे हो रहा है। देश को नई संसद मिल गई, 'साहेब' ने रिकॉर्ड समय में काम पूरा करके इतिहास में नाम दर्ज करा लिया। नई संसद की मांग 'हाथ' वालों ने ही उठाई थी, पर अब वो मानने को तैयार नहीं। 'साहेब' का विरोध करना है तो राष्ट्रपति का मसला ले आए। अब ऐसे विरोध तो कई आए, कई गए, 'साहेब' जस के तस हैं। हाल ही में पीएम ने 3 देशों का दौरा किया। एक छोटे से द्वीप देश के पीएम ने हमारे पीएम के पैर छू लिए। ऑस्ट्रेलिया में भी भारत के पीएम का भव्य स्वागत हुआ। सिडनी के एरेना में 20 हजार भारतवंशी जुटे। वहां विपक्ष के नेता ने तो यहां तक कह दिया कि हमारे यहां के नेता भारतीय पीएम से जलते हैं, क्योंकि जितने लोग उनके लिए उमड़े, नारे लगे, वैसे हमारे किसी नेता के लिए दुनिया में इतने लोग जुटा पाना नामुमकिन है। क्या देश, क्या विदेश, 'साहेब' का जलवा जलाल है। इधर, मध्य प्रदेश में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने को लेकर अफवाहों को दौर चला। इसी में सोशल मीडिया के रणबांकुरों ने बधाइयां दे दीं। हमारा पहला मीडिया हाउस था, जिसने डंके की चोट पर बताया कि साहेबान रुक जाइए, कोई फैसला नहीं हुआ। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर 'पंडित जी' ही काबिज हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में एक नए किस्म का मामला सुर्खियों में रहा। एक छोटे डैम (एनीकट) के पास मौज-मस्ती करने पहुंचे एक अफसर का महंगा मोबाइल उसके तालाब में गिर गया, फिर क्या था, अफसर ने मोबाइल खोजने के लिए एनीकट का 21 लाख लीटर पानी बहा दिया। भई, मोबाइल के आगे पानी की क्या कीमत। हालांकि, अफसर साहब नप भी गए। गजब है, जो चीज (पानी) अब तक सिर्फ हमारे गोले पर पाई जाती है, उसकी अहमियत हमें पता ही नहीं। खैर...चुनावी माहौल में कई खबरें पकीं, कुछ पकते-पकते रह गईं, आप तो बस अंदरखाने उतर आइए...
WOW फैक्टर क्यूं नही आ रहा....
मामा इन दिनों काफी बैचेन हैं, वो अपने कोठरी के अफसरों से एक ही बात पूछ रहे हैं कि हमने तीन सालों में बिजली सब्सिडी से लेकर जल जीवन मिशन सहित अन्य हितग्राही योजनाओं पर अरबों लुटा दिए, लेकिन अब तक वॉओ (WOW) फैक्टर क्यूं नहीं आया। मामा ने हिदायत दी है कि लाड़ली बहना की पहली किश्त खाते में जाने पर प्रदेश में उत्सव का माहौल बनना चाहिए, हर महिला खुशी से झूम रही है, ऐसा संदेश जाना चाहिए। मामा के इस फरमान के बाद से मंत्रालय से लेकर मैदानी अफसरों के पसीने छूटे हुए हैं। दरअसल जो कार्यकर्ता माहौल बनाता है, वो तो घर बैठा हुआ है।
आदिवासी चेहरे का संकट
एमपी बीजेपी में आदिवासी नेता के बड़े चेहरे का संकट गहरा गया है। यूं कहने को नेता बहुतेरे हैं, कोई एक ऐसा सर्वमान्य चेहरा शीर्ष नेतृत्व को नजर नहीं आता, जिसकी अगुवाई में आदिवासी वोटर्स को साधा जाए। यही वजह है कि केन्द्र के फरमान के बाद अब मुख्यमंत्री अपने साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल को आदिवासी जिलों में साथ ले जा रहे हैं। उमरिया के बाद डिंडोरी में सीएम-राज्यपाल का एक साथ जाना पार्टी में चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्यपाल ने राजभवन में आदिवासियों के हित की योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए बाकायदा एक विंग बना रखी है, इस विंग की जिम्मेदारी रिटायर्ड आईएएस अफसर को सौंपी गई है।
लो साहब...डिजिटल भी मजहबी हुआ
मुरली की कब कौन सी तान छिड़ जाए कह नहीं सकते, पहले तो वो कार्यकर्ताओं को फिजिकल से ज्यादा डिजिटल होने पर जोर देते रहे, अब नए फंडे के साथ नए मिशन में जुट गए हैं। उनका नया मिशन है- डिजिटल हिंदू। भोपाल के बाद इंदौर में बड़ा आयोजन कर डिजिटल पर हिन्दुत्व का राग छेड़ने वाले इन्फलुएंसर का सम्मेलन कर डिजिटल का मजहबी बना दिया है। सीधा सा मतलब है- आने वाले चुनाव में डिजिटल पर साम्प्रदायिकता की जंग छिड़ेगी।
कांग्रेस के पट्ठावादी नेता बैचेन
प्रदेश में कांग्रेस का माहौल भले ही अच्छा खड़ा हो गया हो, लेकिन अंदरखाने में पट्ठावादी बड़े नेता खासे बैचेन है। उनकी बैचेनी की वजह है कि मुखिया के आगे उनकी एक नहीं चल रही है। कमलनाथ ने दो टूक कह दिया है कि जो सर्वे में आएगा वो ही टिकट पाएगा। अब ऐसे में उन बड़े नेताओं की दुकानदारी पर संकट आ गया है, जो सालों से पट्ठावाद चलाकर अपनी दुकान जमाए हुए थे। उन्हें डर है कि यदि सर्वे में उनके पट्ठे का नाम नहीं आया तो कमलनाथ उनकी सिफारिश भी नहीं सुनेंगे। अंदरखाने की खबर है कि कमलनाथ पर दबाव बनाने के लिए सारे पट्ठावादी नेता एक जुट हो रहे हैं। बहरहाल, समय बताएगा कि नाथ दबाव में आते हैं या फिर अपनी बात पर कायम रहते हैं।
महिला आईपीएस को एक्टिंग का चस्का
ब्यूटी विथ ब्रेन महिला आईपीएस सिमाला प्रसाद एक बार फिल्म बॉलीवुड इंडस्ट्री में एंट्री मारने की तैयारी में हैं। मैडम को पुलिसगिरी से ज्यादा एक्टिंग करने का चस्का लगा हुआ है। उन्होंने सरकार से फिल्म में एक्टिंग करने की अनुमति मांगी है। फिल्म डायरेक्टर जैगम इमाम ने पहली बार सिमाला को स्क्रीन पर आने का मौका दिया था। उनकी फिल्म ‘अलिफ‘ में उन्हें रोल मिला था, इसके दूसरी फिल्म ‘नक्काश‘ में एक पत्रकार का रोल किया था।
कलेक्टर के वकील या लाइजनर...
नर्मदा नदी से सटे जिले के कलेक्टर साहब की महिमा अपरंपार है। साहब ने अपनी छवि ईमानदार अफसरों में बनाए रखने के लिए एक वकील साहब को ही लाइजनर बना लिया है। वकील साहब भोपाल बैठते हैं, जिसे काम करना होता है, वो सवा सौ किमी का सफर करके वकील साहब से मिलता है, नमस्ते होते ही काम हो जाता है। कलेक्टर साहब का मानना है कि सामने वकील हो तो झमेला का झंझट ना के बराबर रहता है। हम आपकी सुविधा के लिए बता दें, ये साहब कुछ दिनों पहले अपने कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करने को लेकर खासे चर्चा में आ चुके हैं।
मॉरीशस में एन्जॉय करेंगे साहब लोग
चुनावी साल में सरकार चकर-मकर हुई पड़ी है, वहीं दिन दुनिया से परे तीन आईपीएस अफसरों ने विदेश में सैर सपाटा करने जा रहे हैं। तीनों आईपीएस अफसरों ने मॉरीशस की बेल्ले मेयर प्लेज बीच में एन्जॉय करने का प्लान बनाया है। तीनों जा एक साथ रहे हैं, लेकिन छुट्टी आगे पीछे ली ,है जिससे पीएचक्यू में उनकी यारी दोस्ती को लेकर चर्चाएं न चल पड़े। अब जानने वाले तो जान ही जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये तीनों पीएचक्यू में पदस्थ है, इनमें दो डीआईजी और एक एआईजी है।