सिंधिया फैमिली में 400Cr के शेयर किसके? 3 बुआ, 2 भतीजियों और भतीजे के बीच खींचतान

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सिंधिया फैमिली में 400Cr के शेयर किसके? 3 बुआ, 2 भतीजियों और भतीजे के बीच खींचतान

भोपाल। मध्य प्रदेश में कई राजघरानों में संपत्ति (Property) को लेकर विवाद चल रहे हैं। इनमें सबसे नया नाम देवास राजघराने का है। प्रदेश के पूर्व मंत्री और देवास राजघराने से जुड़े स्व. तुकोजीराव पवार (Tukoji Rao Pawar) की बहन शैलजा राजे (Shailja Raje) ने अपने पिता की पारिवारिक 1239 करोड़ की संपत्ति में हिस्सेदारी मांगी है। इसके लिए जिला कोर्ट में केस दायर किया। इसके खिलाफ देवास की विधायक और तुकोजीराव पंवार की पत्नी गायत्री राजे की तरफ से इस केस को खारिज करने की याचिका लगाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। साफ है कि संपत्ति का ये विवाद पर कोर्ट में लड़ा जाएगा। संपत्ति को लेकर पिछले दो दशक से राजपरिवारों में रिश्ते तार तार हो रहे हैं। कई बार सरेआम मारपीट, गाली गलौच और संपत्ति हड़पने जैसे आरोप लगते रहे हैं। 400 करोड़ के शेयरों में सिंधिया परिवार में से किसका हक है, इस पर खींचतान मची है।

ये है मामला

मध्य प्रदेश सरकार के मुंबई स्थित सार्वजनिक उपक्रम प्रोविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड (PICL) के करीब 400 करोड़ रुपये मूल्य के  40 शेयर्स के बंटवारे को लेकर सिंधिया परिवार (scindia family) में विवाद (property dispute of scandia family) सुलझ नहीं पा रहा। राज्य की खेल एवं युवा मामलों की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (yashodhara raje scindia) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) के तीसरे कार्यकाल (2013-18)  में शपथ पत्र के आधार पर  स्वयं और अपनी बहनों ऊषा राजे राणे (Usha Raje Rane), वसुंधरा राजे (vasundhara raje) और  स्वर्गीय पद्मा राजे (Late Padma Raje) की दो बेटियों कनिका देवी सिंह (kanika devi singh)  एवं प्रतिमा सिंह राणा (Pratima singh rana) को उत्तराधिकारी बताया था। इसी आधार पर 29 दिसंबर 2015 को सभी उत्तराधिकारियों  (successors of scindia family) को कंपनी के 8-8 शेयर बांटने का निर्णय लिया गया।

कांग्रेस सरकार में सिंधिया ने बदलवा दिया था फैसला

पीआईसीएल के शेयर बांटे जाने के मामले की जानकारी मिलने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी कि शपथ-पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही उनसे इस बारे में कोई सहमति ली गई। इसके बाद भी कंपनी ने सिंधिया परिवार के शेयर्स का बंटवारा कैसे कर दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण चोपड़ा (advocate varun chopra)  के माध्यम से पीआइसीएल को कंपनी एक्ट में नोटिस भिजवाकर कहा कि हिन्दू अविभाजित परिवार (hindu undivided family) के तहत इन सभी शेयर के मालिक वे (ज्योतिरादित्य सिंधिया) ही हैं। शेयरों को उनकी अनुमति के बिना परिवार के सदस्यों में बांटा नहीं जा सकता। नोटिस में यह भी कहा गया कि सिंधिया परिवार की संपत्ति पर अधिकार को लेकर ग्वालियर कोर्ट में मामला विचाराधीन है। लेकिन तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के कारण उनकी सुनवाई नहीं हुई। लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार बनते ही सिंधिया ने 5 फरवरी 2020 को पीआईसीएल बोर्ड के 29 दिसंबर 2015 को लिए गए फैसले का बदलवा दिया। 

शेयर्स हासिल करने के लिए शपथपत्र पर बनवाई गई वंशावली

कंपनी के शेयर्स हासिल करने के लिए सिंधिया परिवार की ओर से चारों बेटियां मध्य प्रदेश सरकार को लंबे समय से पत्र लिख रहीं थीं। लेकिन पारिवारिक बंटवारा ना होने के कारण कंपनी मैनेजमेंट ने शेयर बांटने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ऊषा राजे राणे, वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और स्व. पद्मा राजे की दोनों प़ुत्रियों कनिका देवी सिंह एवं प्रतिमा सिंह राणा ने एक शपथ पत्र के माध्यम से सिंधिया परिवार की वंशावली ( फैमिली ट्री) बनाकर पीआइसीएल मैनेमेंट को दी थी। इसके बाद कंपनी ने बोर्ड की बैठक में सिंधिया परिवार की वंशावली के आधार पर पांच मुख्य उत्तराधिकारियों में 8-8 शेयर्स का बांटने का निर्णय लिया। लेकिन इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही कंपनी बोर्ड के फैसले को निरस्त करवा दिया।

यह है सिंधिया घराने की फैमिली ट्री

  • जीवाजी राव सिंधिया के 1961 में निधन के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया उत्तराधिकारी बनी। जनवरी 2001 में राजमाता के निधन के बाद उनकी चार बेटियां ( पद्मा राजे, ऊषा राजे, वसुंधरा राजे,यशोधरा राजे) और उनके बेटे माधवराव सिंधिया उत्तराधिकारी बने। 

  • महारानी पद्मा राजे त्रिपुरा का निधन 1964 में हुआ। उनकी दोनों बेटी कनिका देवी सिंह और प्रतिमा सिंह राणा को उत्तराधिकारी के रूप में कंपनी के  4-4 शेयर दिए।
  • उषा राजे राणे को 8 शेयर दिए गए। 
  • माधवराव सिंधिया का निधन सितंबर 2001 में हुआ। उनके 8 शेयर उत्तराधिकारी के रूप में पत्नी माधवीराजे सिंधिया, बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और बेटी चित्रांगदा राजे को 2-2 शेयर दिए गए। बाकी 2 शेयर तीनों सदस्यों में बराबर-बराबर बांटे गए।
  • वसुंधरा राजे को 8 शेयर दिए गए। 
  • यशोधरा राजे सिंधिया को 8 शेयर दिए गए। 
  • PICL के पास है 10 हजार करोड़ की प्रॉपर्टी

    मुंबई के एडवर्ड विला स्थित पीआइसीएल कंपनी के पास करीब 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। इनमें से अधिकांश प्रॉपर्टी पर किराएदारों ने कब्जा कर रखा है, जिसका केस अभी मुंबई हाईकोर्ट  में चल रहा है।  कंपनी के तत्कालीन मैनेजर अतुल वी. बोरिकर पर भी कंपनी की करोड़ों की प्रॉपर्टी और लाखों रुपए के शेयर बेचने का भी मामला राज्य सरकार ने मुंबई के एक थाने में दर्ज कराया है।

    PICL कंपनी में ऐसे हुई सिंधिया परिवार की हिस्सेदारी

    अंग्रेज शासन में तत्कालीन बॉम्बे के एक कारोबारी मथुरादास गोकुलदास (mathuradas gokuldas) ने 1925 में सिंधिया राजघराने (scindia dynasty) से कर्ज लिया था। इसके ऐवज में मथुरादास ने थाणे जिले के यउर व माजीवाड़ा गांव में स्थित अपनी 314 एकड़ जमीन सिंधिया राजघराने के पास गिरवी रखी थी। इस मामले में एक  बिचौलिए फ्रेमरोज एदुलजी दिनशॉ ने सिंधिया राजघराने के पक्ष में गिरवी रखी गई जमीन का अनुबंध पत्र (Bond) बॉम्बे के सब रजिस्ट्रार आफिस में करवाया था। सिंधिया परिवार ने लोन के रूप में कारोबारी के दिया पैसा ग्वालियर स्टेट रेलवे के फंड से दिया गया था।

    400 करोड़ के हैं पीआईसीएल के 40 शेयर

    आजादी के बाद इस गिरवी जमीन का समायोजन भारतीय रेलवे में कर दिया गया। सारी संपत्ति भी सरकार के पास स्थानांतरित कर दी गई। इसकी देख-रेख के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी प्रोविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी (पीआइसीएल) बना दी। इस कंपनी को केंद्र सरकार ने भी बॉम्बे, पुणे व थाणे की गिरवीं रखी संपत्तियों की देखरेख का काम सौंपा। इसमें गोकुलदास परिवार की गिरवी रखी गई 314 एकड़ जमीन भी शामिल थी। इस जमीन के ऐवज में कंपनी के कुल 5000 शेयर्स में से 40 शेयर  सिंधिया परिवार को उनकी हिस्सेदारी के रूप में दिए गए। इन बेशकीमती शेयरों का वर्तमान बाजार मूल्य करीब 400 करोड़ रुपए बताया गया है। 

    पन्ना राजघराने में भी विवाद

    पन्ना राजघराना भी कुछ महीनों पहले सुर्खियों में आया था। इस राजघराने की संपत्ति की लड़ाई सड़क पर आ गई थी। पुलिस ने पन्ना की महारानी जीतेश्वरी देवी को गिरफ्तार कर लिया था। राजपरिवार की सबसे वरिष्ठ सदस्य राजमाता दिलहर कुमारी की शिकायत पर ये गिरफ्तारी की गई थी।

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