BHOPAL. एक फिल्म और एक राज्य, दोनों जगह गहमागहमी सी है। पर्दे पर द केरल स्टोरी खूब धूम मचा रही है। लोग तो लोग, नेतागण भी इस फिल्म को खूब देख रहे हैं। ये बात अलग है कि फिल्म देखने के बाद सियासत और माहौल के हिसाब से बयान भी दे रहे हैं। फिल्म की सरगर्मी का इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को 'दीदी के मोहल्ले' में फिल्म दिखाने का कहना पड़ा। उधर, कर्नाटक में आखिरकार सरकार का गठन हो गया। पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद कई बैठकों में भी सीएम का नाम तय नहीं हो पा रहा था। तय ना हो पाने की एक ही वजह होती है- जो चुनाव में स्टार बनकर उभरा, उसे पद नहीं देना था। पद जिसे देना था, वो चुनाव में स्टार बनकर नहीं उभरा। पर फैसला हो ही गया। कांग्रेस आलाकमान ने कह ही दिया- इति सिद्धम। वीकेंड शुरू होता, उससे पहले दो बातें हुईं। मध्य प्रदेश में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक थी। अपने इंदौरी भिया ने दो टूक कह दिया कि प्रभारी मंत्री इलाकों में आंधी की तरह जाते हैं, तूफान की वापस आ जाते हैं। जिलाध्यक्ष कुर्सी से खड़े नहीं होते, चाहे सामने जो आ जाए। शाम होते-होते आरबीआई ने ऐलान कर दिया कि 2 हजार को नोट एक तय तारीख से बंद हो जाएंगे। हालांकि, जनता ज्यादा नहीं चौंकी, क्योंकि 2 हजार के नोट आम लोगों के पास उतने हैं ही नहीं। अब जिनके पास हों, वो तनाव लें। जनता के लिए ये भी चौंकाने वाला रहा कि इतनी बड़ी सूचना 'मित्रों' के संबोधन से नहीं मिली। वैसे तो मध्य प्रदेश में कई खबरें पकीं, कइयों ने खुशबू बिखेरी, कई पकते-पकते रह गईं, आप तो सीधे अंदर खाने उतर आइए...
बीजेपी की बैठक में छाए रहे KDK
बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में पूरे समय केडीके छाए रहे, अरे केडीके बोले तो, के मतलब कमलनाथ, डी मतलब दिग्विजय और के मतलब कर्नाटक...ये बैठक हाईकमान के फरमान पर बुलाई गई थी, इसका एक सूत्रीय एजेंडा था कि मोदी के 9 साल पूरे होने पर प्रदेश भर में कैसा जश्न मनाया जाए, लेकिन प्रदेश बीजेपी के आला नेता केडीके को लेकर इतने दबाव में दिखे कि बैठक का रुख मोदी जश्न से ज्यादा केडीके को काउंटर करने में तब्दील हो गया। जिस साए से पार्टी अपने कार्यकर्ताओ को बचाकर रखने की कोशिश कर रही है। पार्टी के अग्रिम पंक्ति के नेता ही उससे नहीं बच पा रहे हैं। सिर्फ सीएम शिवराज सिंह चौहान ही नहीं, कार्यसमिति की बैठक में मौजूद हर नेता के भाषण में कांग्रेस, कमलनाथ, कर्नाटक और दिग्विजय सिंह का जिक्र करता नजर आए।
किसने लीक किया डेटा?
सरकार की थिंक टैंक संस्था अटल बिहारी गुड गवर्नेंस स्कूल से डेटा लीक हो गया है। इसकी जानकारी उपर तक चली गई है। सरकार एफआईआर कराने से पहले चैक करवा रही है कि आखिर लिक होने वाला डेटा कितना महत्वपूर्ण था। सूत्र बताने हैं कि वहां सूबे की सियासत का गुणा भाग करने के लिए एक टीम काम कर रही थी, उसके पास कोई महत्वपूर्ण डेटा था, जिसके लीक होने से बड़ा नुकसान होने का अंदेशा हैं। फिलहाल संस्थान के सभी रिसचर्सर को मोबाइल पर संदेशा देकर धमकाया गया है। दरअसल जो डेटा लीक हुआ है, वो पॉलिटिकल मैटर का है, ऐसे में सरकार कैसे एफआईआर करवाएगी, इसका गुणा-भाग चल रहा है।
अब श्यामला हिल्स में लगेगा दरबार
चुनावी उत्सव आ गया है। अब घर बैठे कार्यकर्ताओं को मनाने का हर जतन शुरू होगा। इतना ही नहीं, अब श्यामला हिल्स पर मुखिया जी अपना दरवाजा खोलकर बैठेंगे और दरबार लगाएंगे। इससे ये संदेश जाए कि मामा आज भी उतने सरल सहज हैं, जितने पहले थे, बेवजह जलकुकड़ों ने बदनाम कर दिया। कोई भी कुछ भी कह ले, चुनाव समर आते-आते मामा के तरकश में रखे एक से एक तीर निकलना शुरू होंगे। वो बात अलग है कि इस बार बीजेपी कार्यकर्ता अपने दिमाग की गर्मी से कांग्रेस की बजाय अपनी ही पार्टी को लू ना लगा दे।
मामा जी कलेक्टर नहीं, माध्यम का दोष था
जनता की नजर में कलेक्टर भले ही जिले का राजा हो, लेकिन सरकार के लिए तो एक ढोल ही है, जब चाहे बजा दो, भले ही उसका दोष हो या ना हो। अब देखिए ना, निवाड़ी की सभा में मामा का माइक गड़बड़ हो गया तो बेचारे का डांट पड़ गई, इतना ही नहीं भरी वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मामा ने कलेक्टरों का कह दिया कि माइक तो अच्छे लगाया करो, मुझे फेफड़ों से बोलना पड़ता है। मामा के इस कड़वे वचनों को सुनने के बाद अब कलेक्टर एक दूसरे से कहते फिर रहे हैं कि सभा के आयोजन का काम माध्यम करता है, काम घटिया वो करता है, डांट हमें खानी पड़ती है। कुछ कलेक्टर बोले कि डांट क्यों नहीं पड़ेगी हम तो सरकार के लिए ढोल हैं, जब चाहे बजा दो।
एक्सटेंशन से बढ़ा टेंशन
बड़े साहब का एक्सटेंशन क्या हुआ, चार इमली से लेकर 74 बंगले तक टेंशन फेल गया, क्या मंत्री और क्या ब्यूरोक्रेट सभी अपने अपने लोगों को फोन लगाकर खुसर-फुसर कर रहे हैं। एक मायने में कहा जाए तो साहब के एक्सटेंशन से सत्ता में मातम है तो विपक्ष में खुशियां। कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि हम तो पहले से दुआ मांग रहे थे कि चुनाव बड़े साहब के नेतृत्व में हो। हमारी दुआ कबूल हो गई तो हमारा खुश होना तो बनता ही है। इधर, मंत्री कह रहे हैं कि बचे हुए छह महीने भी सूखे सूखे गुजरेंगे क्या। हर बड़ी फाइल उपर जाकर होल्ड हो जाती है। तबादला सीजन भी अटका हुआ है, आखिर मॉनसून कब आएगा, इसका सबको बेसब्री से इंतजार है।
30 हजारी कॉन्ट्रैक्ट इंजीनियर
30 हजार का वेतन पाने वाली महिला इंजीनियर के करोड़पति होने का राज क्या खुला, अब चर्चा होने लगी कि महिला में कुछ तो खास होगा, तभी तो दो-दो बार इस्तीफा देकर फिर से संविदा नियुक्ति ले ली। ऐसे ही कुछ प्याज के छिलके पीएचक्यू और मंत्रालय में बैठे अफसर निकाल रहे हैं। खाकी वाले बड़े साहब लोग अब हिसाब-किताब भी लगा रहे हैं कि जब 30 हजारी करोड़ों डकार सकती है तो एमडी पद पर बैठे साहब लोगों की गिनती तो अरबों से शुरू होगी। कुछ इसलिए परेशान है कि उन्हें पुलिस हाउसिंग में एमडी बनने का मौका नहीं मिला तो कुछ इसलिए परेशान हैं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वहां सोने की खान थी, नहीं तो वे भी हाथ-पैर मारकर पोस्टिंग करवा लेते।
बीजेपी में बाएं हाथ से कौन खा रहा है?
मध्य प्रदेश के बीजेपी प्रभारी मुरलीधर राव ने हाल ही में बीजेपी मीडिया की बैठक ली। लोकेंद्र पाराशर के बाद आशीष अग्रवाल ने बीजेपी मीडिया प्रभारी का कार्यभार संभाला। राव ने मीडिया विभाग को नसीहत देने के लिए एक किस्सा सुनाया। बोले- 'हमारे यहां संघ की बैठक हुई, जिसमें कई पदाधिकारी आए, बाद में खाने-पीने का कार्यक्रम हुआ। खाने के लिए कई डिश परोसी गईं। सरदार जी पूछा कि खाने की शुरुआत कहां से करूं तो कहा गया कि कहीं से करो, लेकिन बाएं हाथ से मत खाना।' मैं भी यहां यही कहना चाहता हूं कि बाएं हाथ से मत खाना। असल में मुरलीधर बाएं हाथ की बातों-बातों में नसीहत दे गए कि चुनावी साल में दाएं-बाएं मत करिए। सीधा-सीधा रास्ता चलिए। अब सवाल ये उठता है कि मुरली ने नसीहत के बहाने किसकी तान छेड़ी यानी किसको निशाने पर लिया।