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BHOPAL. मध्यप्रदेश में मौसम तेजी से करवट बदल रहा है। अभी गर्मी ने आमद दी ही कि मौसम वैज्ञानिकों ने फिर से हल्की ठंड आने का इशारा कर दिया। संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण जमकर बहस हुई। असली नजारा तो राहुल गांधी के भाषण और फिर पीएम नरेंद्र मोदी के पलटवार में दिखा। राहुल ने अडाणी को केंद्र मे रख मोदी को जमकर आड़े हाथ लिया। इसके एक दिन बाद मोदी ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए शेरो-शायरी में कांग्रेस और विपक्ष की बखिया उधेड़ी। हालांकि, ‘अडाणी’ पर कुछ नहीं बोले। इधर, मौसम की तरह मध्य प्रदेश की राजनीति में भी कुछ इसी तरह की उठापटक अंदर ही अंदर तेज हो गई है। चुनावी समर नजदीक आते ही बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गज अपना कद ऊंचा करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने के लिए बिसात बिछाने में लग गए हैं। कौन, किसे निपटा पाएगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन अभी प्रदेश के राजनीति और प्रशासनिक गलियारों के अंदरखाने में क्या चल रहा है, ये जानने के लिए अब आप सीधे नीचे उतर आइए...
दिग्गी को कोर्ट तक ले ही गए विष्णु
राजनीति में कहा जाता है कि दिग्गी राजा काटा पानी भी नहीं मांगता, लेकिन इस बार विष्णु पर हमला बोलना भारी पड़ गया। सियासत में आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहते हैं, लेकिन उन्हें कोई व्यक्तिगत लेकर यदा-कदा ही पलटवार करता है। दिग्गी ने वीडी को संघ और व्यापमं का बिचौलिया वीडी बताया था। वीडी ने आरोपों का जवाब देने के लिए सीधे मानहानि का मामला ठोक दिया। मामला इतना बढ़ गया कि दिग्गी को अदालत की चौखट पर जाकर जमानत लेनी पड़ी। पहली पेशी पर नहीं आए थे तो कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया।
ब्राह्मण द ग्रेट...
संघ प्रमुख मोहन भागवत की पंडितों को लेकर की गई टिप्पणी के बाद देश में ब्राह्मणों को लेकर हो रही सियासत में मध्यप्रदेश के एक मुस्लिम आईएएस अफसर भी कूद पड़े हैं। आईएएस नियाज खान ने ट्वीट किया- ब्राह्मणों का आईक्यू ज्यादा होता है, उनका सम्मान करना चाहिए। इस विवाद के बीच नियाज खान का ट्वीट के मायने सिर्फ इतने हैं कि उन्होंने इस आड़ में अपनी किताब ब्राह्मण द ग्रेट की ब्रांडिंग का मौका तलाश लिया है। नियाज कश्मीर फाइल्स का विरोध करके सरकार के निशाने पर भी आ चुके हैं।
सुन रहे हैं न मामाजी...
सरकार में क्या वाकई इतना भ्रष्टाचार है, जिस पर अब विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के नेता भी खुलकर बोलने लगे हैं। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण सामने आए हैं, जब बीजेपी नेता जनता की तरफ से बल्लेबाजी करते हुए अफसरों को भ्रष्ट बता रहे हैं। वो ये भूल जाते हैं कि इन अफसरों पर कमान उन्हीं के हाथों में हैं, ऐसे में अफसर पर एक उंगली उठाते समय चार उंगलियां उनकी ओर अपने आप उठ जाती हैं। विधायक जसवंत जाटव के बाद अब विधानसभा स्पीकर ने स्वास्थ्य महकमे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। चलो, अच्छा है विपक्ष बोलता है तो उसकी बात को ये कहकर नजरअंदाज कर दिया जाता है कि इनका काम ही आरोप लगाना है। अब तो आपके माननीय ही बोल रहे हैं, सुन रहे हैं ना मामा जी....।
तीन पैग वोदका, काम मेरा रोज का...
आपने हनी सिंह का वो रैप सॉन्ग तो सुना ही होगा चार बोतल वोदका.....काम मेरा रोज का...। ऐसा ही कुछ सीन इन दिनों एक महिला आईएएस के साथ दिख रहा है मैडम दिन में भी लिटिल-लिटिल पैग मारने में गुरेज नहीं करतीं। दरअसल मैडम बॉलीवुड इंडस्ट्री से कुछ ज्यादा ही प्रभावित हैं, इसलिए उनके लिए ये सब कुछ आम है। मैडम के रोज के वोदके वाले मामले पर अब उनके प्यून भी चर्चा करने लगे हैं, ऐसे में मामला बाहर तो आना ही है। नाम जानना चाहते हैं तो आप अपने हरिराम को सक्रिय कीजिए, सब पता लग जाएगा।
अब तक 56...
देश में जब से 56 इंच सीने का जुमला फिजाओं में क्या तैरा, तब से 56 का आंकड़ा महत्वपूर्ण हो गया है। इन दिनों अब तक 56 का मामला पीएचक्यू में खूब गूंज रहा है। दरअसल, एक आईपीएस मैडम ने अपने बंगले पर 56 जवानों को काम पर लगा रखा है। इसका खुलासा उनकी विरोधी महिला आईपीएस अफसर ने किया है। उन्होंने इसे इतना प्रचारित कर दिया कि अब उन मैडम को अब तक 56 के नाम से जाने जाने लगा है। आपको बता दें कि खुद मुख्यमंत्री बैठक कर बंगलों पर अनाधिकृत रूप से पुलिस जवानों को बंगलों पर काम कराने को लेकर नाराजगी जता चुके हैं, उन्होंने इसकी रिपोर्ट भी तलब की थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सेवारत अफसर तो छोड़िए, रिटायर अफसरों के यहां जवान चाकरी कर रहे हैं। कहते हैं ना... जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
ठेकेदार को करोड़ों का फटका
जल संसाधन विभाग के टेंडर में शामिल होना एक बड़े ठेकेदार को भारी पड़ गया। ठेकेदार ने विभाग के नियमों के अनुसार पाइप खरीदी कर ली, लेकिन जैसे ही सप्लाई करने का समय आया, तो बड़े साहब ने पाइप की श्रेणी बदल दी। अब ठेकेदार अपने टेंडर और कैबिनेट डिजिसन के कागज लेकर मंत्रालय में भटक रहा है कि मैंने तो सरकार के आदेश पर करोड़ों के पाइप खरीद लिए। अब किसी को रातों रात सपना आ गया कि दूसरी श्रेणी के पाईप लगाना है तो इसमें मेरा क्या दोष। ठेकेदार के पक्ष से विभाग के मुखिया से लेकर मंत्री सहमत हैं, लेकिन मामला बड़े साहब का है। अब उन्हें कौन समझाए।