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BHOPAL. मध्य प्रदेश के एक्टिविस्ट और जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) नेता डॉ. आनंद राय को 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन पर झाबुआ-रतलाम विधायक जीएस डामोर की शिकायत के बाद केस दर्ज हुआ था। राय पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत आरोप थे। मामला सांसद गुमानसिंह डामोर के वाहन पर हमले से जुड़ा है। इस केस में डॉ. आनंद राय 15 नवंबर से जेल में बंद थे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट की नियम-शर्तों के आधार पर जमानत दी है। इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने राय की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने आनंद राय की ओर से पैरवी ने की, जबकि याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सुमीर सोढ़ी ने दाखिल की थी।
आनंद राय के खिलाफ रतलाम में दर्ज हुआ था मामला
रतलाम के बिलपांक में विकास पारगी ने आईपीसी की धारा 294, 341, 353, 332, 146, 147, 336, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1) (डी), 3(1) (एस) और 3(2) (ए) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर 15 नवंबर 2022 को FIR हुई थी। आरोप है कि बिरसा मुंडा जयंती समारोह से लौटते समय विकास पारगी, सांसद डामोर, विधायक और कलेक्टर के काफिले में पीछे थे। उन्हें जयस के कुछ कार्यकर्ताओं ने रोका और पथराव किया। इस वजह से कलेक्टर के गनमैन को चोटें आई थी। शिकायत में आनंद राय समेत 40-50 हमलावरों का नाम दर्ज था।
राजनीतिक द्वेष के तहत दर्ज किया था केस- आनंद राय
डॉ. आनंद राय ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कोई स्पष्ट आरोप नहीं है। इसके बाद भी राजनीतिक द्वेष की वजह से यह केस दर्ज हुआ और गिरफ्तार किया गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 12 दिसंबर को जमानत देने से इनकार कर दिया था। याचिका में आरोप लगाया था कि सरकार और अधिकारी व्यापमं घोटाले को उजागर करने का बदला ले रहे हैं और झूठा केस दर्ज किया गया।
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