Jabalpur. जबलपुर में नगर निगम की लैब केवल सड़कों की मोटाई नापने के लिए रह गई हैं। जबकि गुणवत्ता जांचने की जिम्मेदारी निजी लैब्स उठा रही हैं। नगर निगम मुख्यालय के अंदर स्थित लैब में सुईपटक सन्नाटा छाया रहता है। यहां बहुत ही कम सैंपल जांच के लिए आते हैं। जो आते हैं उनमें भी केवल सड़कों की मोटाई मापने के लिए। यहां निर्माण सामग्री की गुणवत्ता जांच की व्यवस्था नहीं है। ठेकेदार भी इंजीनियरिंग कॉलेज की लैब से जांच कराना बेहतर समझते हैं।
पार्षदों के द्वारा वार्डों में सड़कों से लेकर नालियों और पुलिया का काम करवाया जा रहा है। दूसरी तरफ निगम भी अपने खजाने से करोड़ों रुपए खर्च करके अधोसंरचना का काम करवा रहा है। इस तरह शहर में करोड़ों की सड़कें बनवाई जा रही हैं लेकिन गुणवत्ता की जांच नियमों के तहत होना अनिवार्य है, लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि निगम की गुणवत्ता प्रयोगशाला में टेस्टिंग के लिए मात्र आधा दर्जन सैंपल ही साल भर में आए। जिनमें से 1 फेल भी हुआ।
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वर्तमान में शहर में कई करोड़ के काम चल रहे हैं। नियमों के तहत गुणवत्ता जांच होनी चाहिए। हकीकत यह है कि नगर निगम ने साल 2012 में प्रोजेक्ट उत्थान के तहत नगर निगम परिसर में सड़क निर्माण सामग्री की जांच के लिए लैब स्थापित की थी। तब निर्माणाधीन सड़क की गुणवत्ता उसकी मोटाई की जांच की जाती रही। फिर जैसे-जैसे समय गुजरा जांच होना बंद हो गई। अब लैब में रखी लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं। कर्मचारी भी अपना टाइम काटकर घर लौट जाते हैं महज हाजिरी का रजिस्टर ही भरा जा रहा है।
निजी लैब्स में हो जाता है घालमेल
दरअसल निजी लैब्स में गुणवत्ता जांच कराने के दौरान घालमेल हो जाता है। तभी तो गारंटी पीरियड में भी निगम की सड़कों दुर्दशा देखी जा सकती है। हाल ही में बनाई गई कई सड़कें ऐसी हैं जिनका निर्माण हुए कुछ महीने भी नहीं बीते हैं और उनके धुर्रे उड़ रहे हैं। नगर निगम निजी लैब की गारंटी पर काम कराने भी तैयार हो जाता है। रिपोर्ट के आधार पर ही ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है।