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ये कैसी नर्मदा भक्ति! नालों के पानी से नर्मदा हो रही मैली,  रेत के अवैध उत्खनन से नर्मदा की छाती भी छलनी

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Jitendra Shrivastava
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ये कैसी नर्मदा भक्ति! नालों के पानी से नर्मदा हो रही मैली,  रेत के अवैध उत्खनन से नर्मदा की छाती भी छलनी

BHOPAL. जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर में नर्मदा मां के जयकारे तो बहुत लगते हैं, लेकिन नर्मदा जल के प्रदूषण पर रोक नहीं लग सकी। इसके अलावा नर्मदा में अन्य नालों का पानी भी मिल रहा है। नर्मदा जल बरसों से प्रदूषित हो रहा है और यह सामने दिख रहा है इसके बाद भी नर्मदा को प्रदूषित होने से रोकने के ठोस प्रयास अब तक नहीं हुए। जबलपुर और मंडला में जहां नालों का पानी मिलने से नर्मदा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है वहीं नरसिंहपुर में किनारों पर गहरे गड्ढे करने के बाद अब बीच नदी में से भी रेत का अवैध उत्खनन लगातार जारी है। सीहोर में उद्योगपतियों की लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी के चलते मोक्षदायिनी कहलाने वाली मां नर्मदा में कारखानों का गंदा पानी जा रहा है जिससे पवित्र जल दूषित होने लगा है।





जबलपुर में नर्मदे हर के जयकारे तो बहुत लगते हैं, लेकिन नदी के प्रदूषण पर रोक नहीं 





नर्मदा प्रकटोत्सव पर बरसों से लोग धूमधाम से नर्मदा का पूजन करते आ रहे हैं। चुनरी चढ़ा रहे हैं, लेकिन नर्मदा में नालों के पानी को जाने से रोकने पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। वैसे तो नर्मदा के उद्गम अमरकंटक से ही नर्मदा में नालों का पानी मिलना शुरू हो जाता है इसके बाद भी शासन और प्रशासन का ध्यान नहीं गया। अब तक पिछले तीन महापौर ने एसटीपी लगाकर इसे रोकने प्रयास किए जिसमें करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन वह नाकाफी है। अभी भी ठोस प्रयास की जरूरत है।





जबलपुर में नर्मदा में इस तरह मिल रहे हैं नाले

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नर्मदा में खंदारी नाला, शाहनाला, परियट और गौर नदी से गंदगी मिल रही है। इसके अलावा ग्वारीघाट में नर्मदा के बड़े तट, दारोगाघाट, खारीघाट में नालों का पानी मिल रहा है। यहां बसी कालोनी के सीवेज का पानी भी नर्मदा में मिल रहा है। तिलवाराघाट में शाहनाला, खंदारी नाले का पानी मिल रहा है। 





अब तक किए गए प्रयासों में 1 करोड़ 65 लाख रुपए खर्च 





नालों के पानी के ट्रीटमेंट और रिसाइकिलिंग के लिए 2012 में दरोगाघाट में 150 केएलडी कैपेसिटी का सीवेज ट्रीटमेंट एंड रिसाइकिलिंग प्लांट (एसटीआरपी) लगाया गया। वर्ष 2017 में यहीं पर 400 केएलडी कैपेसिटी का नया एसटीपी लगाया गया। अब तक कुल 550 केएलडी कुल कैपेसिटी हो गई है। नालों के पानी को नर्मदा में मिलने से रोकने उनका ट्रीटमेंट और रिसाइकिलिंग करने अब तक तीन महापौर ने कार्य किए। जिसमें एसटीआरपी लगाए गए। पूर्व मेयर सुशीला सिंह के कार्यकाल में 47 लाख पूर्व मेयर प्रभात साहू के कार्यकाल में 50 लाख पूर्व मेयर स्वाति गोडबोले के कार्यकाल में 1 करोड़ 65 लाख रुपए खर्च हुए।

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जिम्मेदारों और जनप्रतिनिधियों ने इस तरह रखी अपनी बातें







  • पूर्व पार्षद: मनीष दुबे का कहना है कि मैं नर्मदा तीर्थ समिति का अध्यक्ष भी हूं और नगर निगम का पूर्व एमआईसी भी रहा हूं लेकिन सच तो यह है कि नर्मदा में प्रदूषण को रोकने बातें हुई प्रयास नहीं दिखे। नर्मदा जन्मोत्सव पर हम स्वच्छता की बातें करते हैं, लेकिन बेसिक काम नालों के पानी को रोकने का, पूजन के नाम पर नर्मदा को प्रदूषित होने से रोकने का नहीं हो पा रहा है।



  • प्रदूषण नियंत्रण विकास समिति अध्यक्षः मां नर्मदा प्रदूषण नियंत्रण विकास समिति के अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा का कहना है कि ग्वारीघाट में हम खड़े हैं, यहां रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मुख्य घाट से लेकर भटौली तक करीब 10-12 नालों का पानी नर्मदा में मिल रहा है। इसे रोकने प्रशासन और जनप्रतिनिधि कुछ नहीं कर पा रहे हैं। यहां एक एसटीपी मुख्य घाट पर लगा है जो पर्याप्त नहीं है।
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  • महापौरः महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू का कहना है कि मैंने नर्मदा जल को स्वच्छ करने की शपथ ली थी, इसे पूरा करूंगा। अब तक नर्मदा शुद्धिकरण के लिए एसटीपी लगाने, फिल्ट्रेशन के लिए 16 करोड़ के टेंडर हो चुके हैं। आने वाली दीवाली के पूर्व यह प्लांट लग जाएंगे। इसके बाद नर्मदा जल प्रदूषित नहीं होगा।


  • नगर निगम ईईः नगर निगम में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर कमलेश श्रीवास्तव का कहना है कि नर्मदा में नालों का पानी रोकने प्रयास चल रहा है। दरोगा घाट में 550 केएलडी का एसटीआरपी चल रहा है। इससे नाले का पानी ट्रीट करके नर्मदा में चला जाता है। तिलवाराघाट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अभी लगा है इसे चालू होना है। सिद्धघाट में 100 केएलडी का एसटीपी लगाया जाना प्रस्तावित है। इसका वर्क आर्डर हो गया है। खारीघाट में ब्रह्मश्री कॉलोनी में सीवर लाइन डाली जा रही है। यहां 1 एमएलडी का पंपिंग स्टेशन लगाया जाएगा। जिसमें यहां का पानी पंप करके एसटीपी में ले जाकर ट्रीट किया जायेगा।


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    नर्मदा नदी के किनारों पर बने घाटों पर पसरी गंदगी, नालों का नर्मदा में मिलना उन दावों पर सवालिया निशान लगाती है, जो यह कहते हैं की नर्मदा सरंक्षण के कार्य हो रहे हैं। मध्य प्रदेश के मंडला जिले में जीवनदायनी मां नर्मदा का जल प्रदूषित हो रहा है। चुनावी माहौल में नर्मदा संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे तो कई किए गए पर सालों बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। जिले में नर्मदा नदी में घरों के और नाले की गंदगी सीधे नर्मदा नदी में मिल रही है।





    शहर के मुख्य 16 नाले नर्मदा को प्रदूषित कर रहे हैं





    घाट के चारों और गंदगी का आलम पसरा हुआ है। इससे न केवल नर्मदा भक्तों की आस्था को चोट पहुंच रही है। बल्कि, नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के सरकारी प्रयास और दावों की भी पोल खुलती नजर आ रही है। जानकारी के अनुसार शहर के एक-दो नहीं बल्कि शहर के मुख्य 16 नाले नर्मदा नदी को लगातार प्रदूषित कर रहे हैं। इन नालों के माध्यम से 24 वार्डों व आसपास ग्राम पंचायत के घरों से निकलने वाली हर तरह की गंदगी सीधे नर्मदा नदी में मिल रही है। इसके साथ ही नर्मदा में लगातार दोहन से उसके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। जल प्रदूषण के कारण आज नर्मदा में रहने वाली 28 जलीय प्रजातियों का अस्तित्व भी लगभग समाप्त हो चुका है।

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    नागरिकों का कहना- ठोस कदम उठाने चाहिए





    मण्डला के राजकुमार साहू का कहना है कि नर्मदा को सहेजने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है। यहां नाले का पानी भी सीधे नर्मदा नदी में मिल रहा है, जिससे नर्मदा का जल प्रदूषित हो रहा है। हम लोग ये पानी पीते भी है, इससे कई लोग बीमार भी हो जाते हैं। 





    अधिकारी का कहना है- काम चल रहा है





    नर्मदा में नालों के मिलने से हो रहे प्रदूषण को लेकर नगर पालिका के सीएमओ गजानंद नागफाड़े का कहना है कि इसका एक मात्र हल सीवर लाइन है। शहर से जुड़ने वाले ग्रामीण इलाकों में करीब 95 प्रतिशत काम हो चुका है और शहर में भी काम चल रहा है, जो कि दो साल के अदंर पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि लगभग 139 करोड़ रुपए के इस सीवर लाइन प्रोजेक्ट में 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता जर्मनी और शेष 30 प्रतिशत वित्तीय अनुदान राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा।





    नरसिंहपुर... रेत निकालकर नर्मदा को कर रहे छलनी





    नर्मदा का जोर से जयकारा लगाने वाले और लोगों के सामने नर्मदा मैया के भक्तों कहे जाने वाले ही नर्मदा को तिल तिल कर मार रहे हैं। नर्मदा का श्रृंगार कही जाने वाली रेत का अवैध कारोबार करके नर्मदा के अस्तित्व को समाप्त करने में लोग लगे हुए हैं। लगातार रेत का अवैध उत्खनन नर्मदा के लिए अस्तित्व के लिए कई सवाल खड़े कर रहा है। तटों पर नहीं बची रेत तो नदी के अंदर जेसीबी और नाव से रेत निकाल रहे हैं। माफिया अब नदी के अंदर से जेसीबी के पंजे डाल कर खनन कर रहा है। जहां लोगों के आने जाने सिलसिला बना रहता है वहां जेसीबी नहीं चलाते वहां नाव के जरिए नदी के अंदर से रेत निकाली जा रही है।





    बिगड़ रही नदी में पानी को थामने वाली सतह





    नदी के अंदर जेसीबी के पंजे जब रेत निकालते हैं तो इससे नदी के अंदर कि उस  सतह को खतरा उत्पन्न हो गया है जो  जमीन के अंदर पानी को थामे रखती है। यह सतह क्षतिग्रस्त हो रही है जिससे नदी देर सबेर रिसाव की वजह से सूखना शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों के विरुद्ध जेसीबी और नाव के जरिए अवैध खनन से नर्मदा भी उन नदियों की तरह आने वाले वर्षों में सूखी दिखाई पड़ेगी जो नदियां लगभग सूख गई है l





    जलीय जीव जंतुओं और वनस्पति को खतरा, बढ़ता है शैवाल 





    खनन की वजह से नदी का जल प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है। रेत के लिए जेसीबी और नाव के बढ़ते दखल से नदी के जलीय जीव जंतु विलुप्त हो रहे हैं। बड़ी संख्या में यह असमय काल कवलित हो गए हैं। आज से कुछ दशक पहले नर्मदा के दोनों तटों पर पाई जाने वाली कई औषधियां, जड़ी बूटियां और वनस्पतियां भी अब देखने को नहीं मिलती। यह वनस्पतियां भी पूरी तरह विलुप्त होने की कगार पर आ चुकी हैं। यही वजह है कि इन वनस्पतियों की कमी से जल प्रवाह के प्रभावित होने से पानी के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और इससे नर्मदा में भी हर साल बड़ी मात्रा में शैवाल देखा जाता है।





    सीहोर... उद्योगों से निकल रहे दूषित पानी से नर्मदा अपवित्र





    मोक्षदायिनी कहलाने वाली मां नर्मदा की पवित्रता अब धीरे-धीरे खतरे में पड़ती नजर आ रही है, सीहोर के बुधनी में नर्मदा किनारे लगे उद्योग कारखाने हजारों लोगों को रोजगार तो दे रहे हैं, परंतु उद्योगपतियों की थोड़ी सी लापरवाही, एवं प्रशासन की अनदेखी के चलते मोक्षदायिनी कहलाने वाली मां नर्मदा में कारखानों का दूषित पानी जा रहा है जिससे मां नर्मदा का पवित्र जल दूषित होने लगा है, यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि मां नर्मदा में आस्था रखने वाले हजारों श्रद्धालु हर वर्ष यहां आस्था की डुबकी लगाते हैं, एवं इसका जल भी पीते हैं,  परंतु कारखानों के द्वारा छोड़ा गया दूषित पानी कई तरह की शारीरिक समस्याओं को पैदा कर रहा है, इस दूषित पानी की बदौलत किसानों की फसलों पर भी असर पड़ रहा है, परंतु  स्थानीय प्रशासन का अभी तक इस और ध्यान तक नहीं गया है।





    सीएम ने नर्मदा को स्वच्छ बनाने सेवा यात्रा भी निकाली





    सीहोर जिले में  नर्मदा नदी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र में है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई जगह मां नर्मदा की कसम खाते भी नजर आते हैं, पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी को साफ स्वच्छ बनाने के लिए नर्मदा सेवा यात्रा भी निकाली थी, जिसमें क्षेत्र की जनता सहित प्रशासन ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, परंतु आज प्रशासन की अनदेखी के चलते नर्मदा नदी का पवित्र जल दूषित हो रहा है, बहरहाल अब देखना यह होगा कि प्रशासन नर्मदा नदी की स्वच्छता को लेकर इन उद्योगपतियों के ऊपर कोई कड़ी कार्रवाई करेगा या फिर यूं ही कारखानों का दूषित पानी नर्मदा नदी में जाता रहेगा।





    कलेक्टर बोले- प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से चर्चा करेंगे





    जब इस संबंध में सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा कर समस्या का निदान कराया जाएगा।





    (जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर और सीहोर से रिपोर्टर्स का इनपुट )



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