भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत के ग्रीनबेल्ट पर हुए अतिक्रमण को लेकर हुई करवाई पर एनजीटी ने मुख्य सचिव से माँगा जवाब

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Rahul Sharma
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भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत के ग्रीनबेल्ट पर हुए अतिक्रमण को लेकर हुई करवाई पर एनजीटी ने मुख्य सचिव से माँगा जवाब

Bhopal. कलियासोत का जिन्न फाइलों से एक बार फिर बाहर आ गया है. बीते साढ़े आठ साल में यह जिन्न रह रहकर बाहर आता रहा है. इन साढे 8 सालों में राजधानी भोपाल की एकमात्र नदी  कलियासोत को बचाने के लिए शासन अढ़ाई कोस भी नहीं चल सका है. पर्यावरणविद डॉ सुभाष सी पांडे द्वारा लगाई गई एग्जीक्यूशन याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने 10 फरवरी को याचिका स्वीकार करते हुए कलियासोत मामले पर शासन से जवाब मांगा है. कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट पर हुए अतिक्रमण को लेकर अब तक क्या कार्रवाई हुई इसे लेकर एनजीटी ने प्रदेश के मुख्य सचिव यानी CS समेत टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम भोपाल को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब माँगा है. मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को है.



द सूत्र ने कलियासोत बचाने चलाया था अभियान



पर्यावरणविद डॉ सुभाष सी पांडे ने साल 2012 में कलियासोत को बचाने के लिए एनजीटी में याचिका लगाई थी. जिसके बाद एनजीटी ने 20 अगस्त 2014 को कलियासोत नदी के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. पर इसका शत-प्रतिशत पालन कभी हुआ ही नहीं. नवंबर 2021 में द सूत्र ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए राजधानी भोपाल की एकमात्र नदी कलियासोत को लेकर 12 दिनों तक लगातार न केवल पूरे खुलासे किए बल्कि कलियासोत को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए आम नागरिकों के बीच जाकर मुहिम भी चलाई.



2014 में NGT का दिया आदेश और हुआ क्या...




  • कालियासोत नदी की किनारे 33 मीटर का सीमांकन, चिन्ह भी लगाए जाएं.


  • हुआ क्या : सीमांकन कर पत्थर लगाए गए थे, पर अब वे पत्थर कई जगह से हट गए हैं, तो कुछ ने उन्हें निकालकर नदी से सटकर लगा दिया ताकि उनकी जगह ग्रीनबेल्ट में न दिखे, विराशा हाइट्स में पत्थर को तोड़ दिया गया.

  • नदी के दोनों और 33 मीटर पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाए.

  • हुआ क्या : नदी के दोनों 33 मीटर ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं हुआ लेकिन इसके नाम पर अतिक्रमण जरूर हो गए. विराशा हाइट्स के पास नदी के मुहाने पर एक निजी फार्म हाउस बन गया, तो वही आकृति हाईराइज सोसाइटी में पार्क बना दिया गया, उत्तर अमरनाथ कॉलोनी में गौशाला चल रही है.

  • इस नदी में केवल ट्रीटेड पानी ही आए, आसपास की कालोनियों से इसमें गंदगी ना मिले.

  • हुआ क्या : कलियासोत नदी में उत्तर अमरनाथ कॉलोनी, सर्व धर्म, मंदाकिनी कॉलोनी समेत कई जगह सीधे अनट्रीटेड पानी नदी में मिल रहा है, इससे नदी के आसपास का भोजन बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है.

  • 33 मीटर के दायरे में आए निर्माण को तोड़ा जाए, ग्रीन बेल्ट के दायरे में नए निर्माण भी ना हो.

  • हुआ क्या : मन्दाकिनी कॉलोनी से होते हुई सलैया की ओर कई नए अतिक्रमण हुए हैं. सागर प्रीमियम प्लाजा में कई फ्लेट इसकी जद में हैं, यहाँ से कई लोग फ्लेट छोड़कर जा चुके हैं तो कई अपने साथ हुई धोखाधड़ी को लेकर बिल्डर की शिकायत कर लड़ाई लड़ रहे हैं.



  • सिर्फ कलियासोत नहीं गंगा तक को मेला कर रहे हैं



     कलियासोत नदी पर अतिक्रमण करने और उसमें गंदा पानी छोड़ने वाले केवल मध्य प्रदेश की राजधानी की इकलौती नदी को ही गंदा नहीं कर रहे बल्कि गंगा तक को मेला करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. दरअसल कलियासोत डैम से निकलकर कलियासोत नदी 35 किलोमीटर दूर जाकर भोजपुर के पास बेतवा में मिलती है. बेतवा का पानी यमुना में मिलता है और यमुना गंगा की सहायक नदी है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि हम कलियासोत नदी को गंदा करते हैं तो वह अंत में जाकर गंगा को भी प्रदूषित करेगी.



    संरक्षण की जगह उल्टा अतिक्रमण और हो गया



    याचिकाकर्ता डॉक्टर सुभाष सी पांडे ने बताया कि 20 अगस्त 2014 को एनजीटी के आदेश के बाद कलियासोत नदी का संरक्षण की बजाए उल्टा उस पर अतिक्रमण और ज्यादा हो गया. इसके कई कारण है, सबसे बड़ा कारण जिम्मेदारों की चुप्पी साधना. एनजीटी ने अपने ऐतिहासिक आदेश में जो बात कही थी उसका पालन नहीं हुआ, उस जगह सीमांकन कर पत्थर लगाए गए थे. जिन्हें या तो तोड़ दिया गया या नदी से सटकर लगा दिया गया ताकि संबंधितों का अतिक्रमण ना दिखे.


    National Green Tribunal एनजीटी Bhopal Kaliasot river Notice issued to the government कलियासोत नदी के ग्रीन बेलट पर अतिक्रमण नदी में मिलाया जा रहा गंदा पानी