संजय गुप्ता, INDORE. नई दिल्ली में नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन को लेकर उठे विवाद को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने गुरुवार रात को इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी भूल बताया। उन्होंने कहा कि हम सेंट्रल विष्टा का विरोध नहीं कर रहे हैं, जो नया संसद भवन बना है, पहली बार देश में आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी है और उन्हें नहीं बुलाना राष्ट्रपति पद का अपमान है।
संविधान के 79 आर्टिकल में प्रावधान का दिया हवाला
संविधान के 79 आर्टिकल में प्रावधान है कि संसद के बारे में जो भी काम होंगे बिना उनकी सहमति के नहीं हो सकते हैं। यह मोदीजी की बहुत बड़ी भूल है, अभी भी समय है इसमें परिवर्तन कर सकते हैं और 28 मई को उन्हीं के हाथों ही इसका उद्घाटन कराया जा सकता है।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के लिए बोले- वहां मेरा कोई उम्मीदवार नहीं
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष को लेकर चल रही सरगर्मी पर मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि यह तो बीजेपी का मुद्दा है, मेरा इससे कोई वास्ता नहीं। फिर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वैसे भी वहां मेरा कोई उम्मीदवार इस पद के लिए नहीं है। सिंह खंडवा से इंदौर आए थे और यहां से फिर प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
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दो दिन पहले भी इंदौर आए थे दिग्गी
इसके पहले विधानसभा सीटों की समीक्षा के लिए भी मंगवार को इंदौर आए थे। इस दौरान उन्होंने दो हजार के नोट को लेकर बयान दिया था कि इसे हटाना था तो फिर लाए ही क्यों थे। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा शिवपुरी में माफी मांगने के बयान पर कहा था कि अच्छा है उन्हें गलती महसूस हो रही है। हालांकि दिग्विजय सिंह केवल सांवेर सीट की ही समीक्षा करके लौट गए थे क्योंकि इंदौर में शहराध्यक्ष चार माह से नहीं होने के चलते यहां विधानसभा दो, चार, पांच की समीक्षा करने की योजना उन्होंने टाल दी, वहीं सांवेर में भी संगठन से वह खुश नहीं दिखे, हालांकि विधायक तुलसी सिलावट को गद्दार कहकर उन्हें हराने की बात जरूर कही थी।