अब आयुध निर्माणियों की विभागीय परीक्षा में धांधली, एडमिट कार्ड के इंस्ट्रक्शन में कोडिंग के जरिए नकल, कैट में पहुंचा मामला

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Rajeev Upadhyay
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अब आयुध निर्माणियों की विभागीय परीक्षा में धांधली, एडमिट कार्ड के इंस्ट्रक्शन में कोडिंग के जरिए नकल, कैट में पहुंचा मामला

Jabalpur. आयुध निर्माणियों में पदोन्नति के लिए डिपार्टमेंटल परीक्षाएं लेने का प्रावधान है। बीते दिनों आयोजित हुई इस विभागीय परीक्षा में अब जाकर नकल होने का खुलासा हुआ है। दरअसल परीक्षा में बेहतर योग्यता रखने वाले परीक्षार्थियों के बनिस्बत कमजोर कैंडिडेट्स ने ज्यादा अंक प्राप्त किए थे। बाद में वायरल हुई एक पीडीएफ ने इस पूरे खेल का खुलासा कर दिया है। दरअसल परीक्षा के लिए जारी हुए एडमिट कार्ड के दिशानिर्देशों में कोडिंग की गई थी और परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूल कर आंसर की मुहैया कराई गई। 




कैट में पहुंचा मामला



आयुध निर्माणी में प्रमोशन के लिए आयुध निदेशालय ने ऑल इंडिया लेवल पर 26 मार्च से लिमिटेड डिपार्टमेंटल प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कराई थी। सूत्र बता रहे हैं कि इस बार प्रवेश पत्र के साथ दिशानिर्देश की कॉपी कैंडिडेट्स को दी गई थी। जिसमें कोडिंग के जरिए सारे प्रश्नों के उत्तर छिपाए गए थे। खुलासा होने के बाद कुछ कैंडिडेट इस मामले को लेकर कैट पहुंच गए हैं। 30 मार्च को मामले की सुनवाई होनी है। 




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  • दिशानिर्देशों में बीच के अक्षर किए गए बोल्ड



    दरअसल साधारण भाषा में लिखे गए दिशा निर्देशों में बीच-बीच के अक्षर बोल्ड प्रिंट हुए थे। जो एक ट्रिक के जरिए आंसर की में तब्दील हो रहे थे। अनेक परीक्षार्थी परीक्षा केंद्र में इसी तरह के निर्देश पत्र के साथ पहुंचे थे और ट्रिक इस्तेमाल कर पेपर को सॉल्व किया। वहीं दूसरी ओर नकल को रोकने के लिए की गई चाक-चौबंद व्यवस्था धरी की धरी रह गई। 



    अलग-अलग तरह के दिशानिर्देश वाला पेपर लेकर पहुंचे थे कैंडिडेट



    दरअसल पहले दिन लेबर अकाउंटिंग और फैक्ट्री अकाउंटिंग का पेपर हुआ था। सूत्र बताते हैं कि परीक्षार्थी परीक्षा में अलग तरह का दिशा-निर्देश वाला पेपर लेकर पहुंचे थे। खास बात यह थी कि निर्देश वाले पर्चे में तीनों सेट के लिए अलग-अलग पैराग्राफ में कोडिंग की गई थी। परीक्षार्थी को कोई भी पर्चा मिलता वह आसानी से जवाब तलाश कर सकता था। हर शब्द के पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे शब्द बोल्ड थे। जिसके जरिए परीक्षार्थी समझ सकते थे कि पहले शब्द में जो अक्षर बोल्ड है, मतलब पहले प्रश्न का उत्तर वहीं है जिस सीक्वेंस वाला अक्षर बोल्ड था। 



    निजी फर्म ने सैट किया था पेपर



    इस मामले में सबसे ज्यादा शक इसलिए हो रहा है कि क्योंकि इस साल से परीक्षा का पैटर्न बदला गया था। बोर्ड की जगह फील्ड यूनिट को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। दूसरी बड़ी वजह यह है कि पेपर किसी निजी फर्म द्वारा बनाए गए। बीपीएमएस के जनरल सेकेट्री मुकेश सिंह ने बताया कि इटारसी में पेपर से पहले लिफाफा खुला मिला था। परीक्षार्थियों ने आपत्ति उठाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायतें बोर्ड को भेजी गईं हैं। 


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