देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं ,लेकिन पिछले चुनाव की तरह इस बार भी आरक्षित वर्ग भाजपा शासित सत्तारूढ़ शिवराज सरकार से नाराज नजर आ रहा है। हालत यह है कि उनके द्वारा ग्वालियर चम्बल के कई जिलों में संभावित भाजपा प्रत्याशियों को हराने की सामूहिक रूप से कसमें खाई जा रही हैं। यद्यपि बीजेपी नेता पिछले चुनाव में आरक्षित वर्ग की नाराजगी से हुए नुक़सान की बात तो स्वीकारते हैं, पर आगामी चुनावों में किसी प्रकार के नुक़सान की आशंका को सिरे से खारिज कर रहे हैं ।वहीं कांग्रेस आरक्षित वर्ग में पैदा हो रहे असंतोष को सरकार की असफलता बता रही है।
पिछले चुनाव में बीजेपी भुगत चुकी है खामियाजा
प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को ग्वालियर चम्बल संभाग में बड़ा नुक़सान हुआ था। नतीजा कांग्रेस की सरकार बनी हकांकि वह गुटबाजी और अपनों की नाराजगी के चलते जल्द गिर भी गई। उस वक्त माना जा रहा था कि 2 अप्रैल 2018 को हुई दलित हिंसा और सीएम शिवराज सिंह चौहान के एक बयान के चलते सभी वर्गों में सरकार के प्रति नाराजगी थी जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ा था।
इस बात को खुद भाजपा नेता भी स्वीकारते हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सांसद विवेक नारायण शेजवलकर मानते है कि 20018 में जो परिस्थिति बनी थी उसका लाभ लोगों ने उठाया था । कुछ लोग और दल सिर्फ जाति की राजनीति कर चुनाव में उसका लाभ उठाने के लिए सक्रिय रहते हैं लेकिन अभी 2018 जैसी कोई स्थिति नहीं है। शेजवलकर दावा करते है कि बीजेपी सरकार हर वर्ग की भलाई के लिए काम कर रही है जिसका लाभ हमें अगले चुनावों में मिलेगा।
कांग्रेस की जातियों के घटनाक्रम पर पैनी निगाह
लेकिन कांग्रेस आगामी चुनावों के मद्देनजर इन वर्गों में अपनी अंदरुनी स्तर पर लोगों में अपनी पैठ बढ़ा रही है । वह आगामी चुनाव में भाजपा सरकार से अपनी सरकार गिराने का राजनीतिक बदला लेने को भी तैयारी में जुटी है ।इसकी वजह आसानी से समझी जा सकती है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार को गिराने के लिए पार्टी अपनों को कम बल्कि भाजपा को ज्यादा जिम्मेदार ठहराती है। यही वजह है कि कांग्रेस नेता हर मंच से भाजपा को जी भरकर कोसते हैं उनकी नाकामियां बढ़ चढ़कर गिनाते हैं साथ ही शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल को असफल बताते हैं। कांग्रेस जानती है कि वह अगले चुनाव की बैतरणी भी आरक्षित वर्गों के सहारे ही पार कर सकती है सो इस वर्ग से जुड़ी हर गतिविधि पर बारीकी से निगाह रखे हुए है।
कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक कहते हैं कि बीजेपी के खोखले दावों की पोल अब हर वर्ग के बीच खुलने लगी है । झूठ बोलकर बरगलाकर लोगों वोट हासिल करना और फिर भूल जाना ही बीजेपी का मूल चरित्र है । पाठक कहते है - जैसे जैसे चुनाव आएंगे खुद बीजेपी के लोग ही झूठे वादों के कारण उसके खिलाफ खड़े दिखाई देंगे।
ओबीसी महासभा ने बीजेपी को हराने के संकल्प दिलाया
अब 2023 में विधानसभा चुनाव होना हैं। राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दीं हैं, लेकिन आरक्षित वर्ग एक बार फिर सरकार से नाराज लग रहा है।कुछ मामले ऐसे सामने आए जिनको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा के लिए all is well नहीं है। ग्वालियर चंबल के कुछ जिलों में विरोध के सुर मुखर हो रहे हैं.. भाजपा से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी नाराज हैं। पिछले दिनों श्योपुर में आयोजित ओबीसी महासभा की महापंचायत में भगवा झंडों की होली जलाई गई और संभावित भाजपा प्रत्याशियों को हराने की कसमें तक खाई गईं हैं.. इसके अलावा मुरैना में कुशवाहा समाज ने सीएम के नाम हाल ही में विभिन्न मांगो को लेकर एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा है, जिसमें मांगे पूरी नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है
ओबीसी महासभा के नेता धर्मेंद्र कुशवाहा कहते है कि एससीएसटी और पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के साथ मारपीट हो रही है । पीटने वालो को बीजेपी नेताओं का संरक्षण है इसलिए उन पर कोई कार्यवाही नही हो रही । यदि यह सिलसिला नही रुका तो ओबीसी महासभा भोपाल में सीएम हाउस पर बड़ा आंदोलन भी करेंगे।
वर्गों की नाराजी से बीजेपी चिंता बढ़ी
कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में चुनावी बिसात बिछ रही है। हर राजनीतिक पार्टी खुद को सभी वर्गों का हितैषी बताने में जोर शोर से जुट गई है। मगर समाज के विभिन्न वर्गों में पनप रहा असंतोष सत्तारूढ़ शिवराज सरकार के लिए खतरे की घंटी है ऐसे में भाजपा और सरकार के सामने इन नाराज वर्गों को समझाना या साधना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं।