Sidhi. कांग्रेस पार्टी ने विंध्य क्षेत्र में हाल ही में दो जिलाध्यक्षों की नई नियुक्ति की है। सीधी में ज्ञान सिंह को तो सिंगरौली ग्रामीण में ज्ञानेंद्र द्विवेदी को संगठन की कमान सौंपी गई है। आगामी चुनावों को देखते हुए यह फेरबदल किया गया है। सवाल ये है कि नई नियुक्तियां क्या पार्टी में जान फूंक पाएंगी या फिर नाम का परिवर्तन रहेगा ?
सीधी में युवा को कमान
सीधी में युवा नेता ज्ञान सिंह को पार्टी की कमान सौंपी गई है। रुद्रप्रताप सिंह बाबा इसके पहले अध्यक्ष रहे हैं। वे उम्रदराज तो हो ही रहे थे साथ ही पिछले कुछ महीनों से बीमार भी थे। स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण ही वे कई बार पदमुक्त होने की इच्छा भी जता चुके थे लेकिन पार्टी नेता उन्हें मुक्त नहीं कर रही थी। दरअसल नए अध्यक्ष की तलाश पूरी नहीं हो पा रही थी इसलिए मामला अटका हुआ था।अंततः युवा नेता ज्ञान सिंह पर मुहर लग गई। लम्बे समय से कांग्रेस में सक्रियता और विभिन्न पदों में कार्य करने के अनुभव के दम पर उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सिंगरौली में ज्ञानेंद्र कितने प्रभावी
सिंगरौली जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष ज्ञानेंद्र द्विवेदी को बनाया गया है। वे न तो ज्यादा युवा हैं और न ज्यादा बुजुर्ग। संगठन में काम करने का लम्बा तजुर्बा है। इतना ही नहीं सभी गुटों के लिए सर्वमान्य भी हैं। वे सिंगरौली जिले के देवसर के मूल निवासी हैं पर सीधी में भी एक पांव जमा रहता है। यानि दोनों जिलों के वे रहवासी हैं। अब तो उन्हें सिंगरौली का ही होकर रहना होगा। सिंगरौली में कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर है और बीजेपी का ही बोलबाला है। तीन के तीनों विधायक बीजेपी के ही हैं और सांसद भी। सबका साथ मिला तो वे संगठन की कमजोरी दूर कर ले जाएंगे वरना बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी नाम की ही होगी। युवाओं का कांग्रेस से जुड़ना और नेताओं की गलबहियां जरूरी हैं।
सीधी में युवाओं की संगठन में कितनी रहेगी भागीदारी
ज्ञान सिंह युवा हैं। संसाधनों की कमी भी उनके पास नहीं है। अध्यक्ष युवा हैं तो जाहिर है टीम में युवाओं की भागीदारी भी ज्यादा संख्या में रहेगी। पूर्व के संगठन में नाम के अधिकांश पदाधिकारी ज्यादा रहे जिससे संगठन भी नाम का रहा। पुराने किनारे होंगे तभी काम बन सकेगा, वरना अध्यक्ष बदलने भर से पार्टी की नैया पार होने वाली नहीं।
कांग्रेस संगठन माने राहुल-कमलेश्वर
सीधी, सिंगरौली जिले में कांग्रेस संगठन का मतलब अजय सिंह राहुल और कमलेश्वर पटेल ही हैं। कोई कुछ भी कहे पर इनकी सहमति के बिना सहमति के कुछ भी नहीं होता। सिंगरौली अध्यक्ष दोनों नेताओं के लिए मान्य हैं लेकिन सीधी अध्यक्ष राहुल के ज्यादा करीबी माने जाते हैं अपेक्षा कमलेश्वर के। इसलिए इनके लिए दोनों नेताओं को साधना भी एक चुनौती होगी।