कोविड काल में वसूली गई 20 लाख 62 हजार फीस SPS ने वापस लौटाई, अब इस केस की अन्य मामलों में दी जा रही नजीर

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Rahul Garhwal
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कोविड काल में वसूली गई 20 लाख 62 हजार फीस SPS ने वापस लौटाई, अब इस केस की अन्य मामलों में दी जा रही नजीर

राहुल शर्मा, BHOPAL. कवि कुंवर नारायण की एक प्रसिद्ध कविता है... कोई दुख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं... वही हारा जो लड़ा नहीं...। इस गणतंत्र दिवस द सूत्र प्रदेश के ऐसे संगठन और शख्सियतों से आपको रूबरू करा रहा है जिनके ऊपर कविता की ये लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है। द सूत्र का हमेशा ये मानना रहा है कि लोकतंत्र की खूबसूरती एक दिन के मतदाता बनने में नहीं बल्कि हमेशा जागरुक नागरिक बने रहने में है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजधानी भोपाल के माय पेरेंट्स एसोसिएशन ने जिनके जज्बे ने ना केवल एक नई इबारत लिखी, बल्कि समाज को एक नई दिशा भी दी।



सागर पब्लिक स्कूल ने कोरोना काल में की अवैध वसूली



कोरोना काल में बच्चों से ऑनलाइन तैराकी और स्मार्ट और कम्प्यूटर क्लास के बहाने सागर ग्रुप के सागर पब्लिक स्कूल SPS ने पेरेंट्स से जमकर अवैध वसूली की। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अवैध वसूली माय पेरेंट्स एसोसिएशन को कतई मंजूर नहीं थी। वे ना तो सागर ग्रुप के आगे झुके और ना ही उसके रसूख के आगे। कोर्ट की अवमानना की याचिका एसोसिएशन ने लगाई और करीब 21 महीने की लड़ाई के बाद पेरेंट्स की जीत हुई।



माय पेरेंट्स एसोसिएशन के आगे झुका सागर ग्रुप



माय पेरेंट्स एसोसिएशन ने अपने 118 बच्चों की बढ़ी हुई 20 लाख 62 हजार फीस ना केवल वापस ले ली, बल्कि कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर कोर्ट के सामने सागर ग्रुप को झुकना तक पड़ा और माफी तक मांगनी पड़ी। अब इस केस की नजीर देश प्रदेश के अन्य मामलों में भी दी जा रही है।



क्या था मामला, क्या रही चुनौती इसे लेकर द सूत्र ने माय पेरेंट्स एसोसिएशन के सेकेटरी और पेशे से वकील शैलेष बावा से खास बातचीत की।



सागर ग्रुप का बड़ा नाम है, उसके खिलाफ लड़ाई की शुरूआत कैसे हुए ?



शैलेष बावा - कोविड काल में लोगों की परेशानी को समझते हुए हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2020 को निर्णय दिया था कि कोई भी स्कूल कोविड काल में सिर्फ ट्यूशन फीस ही ले सकेगा। हमने कई बार सागर पब्लिक स्कूल को इन आदेशों का हवाला दिया कि हमसे जो एक्स्ट्रा फीस ली है या तो वापस कर दें या उसे अगले सेक्शन के लिए एडजस्ट कर दें, पर एसपीएस हाईकोर्ट के आदेश का मानने को तैयार ही नहीं था जिसके बाद एसोसिएशन ने विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय के कमिश्नर, जिला शिक्षा अधिकारी से मिले पर सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला। जिसके बाद हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका लगाई जिसमें 21 महीने बाद हमारी जीत हुई। बच्चों से ली गई अतिरिक्त फीस सागर पब्लिक स्कूल ने लौटाई और अपनी गलती भी मानी।



सागर ग्रुप का रसूख है, इस दौरान कभी आपने कोई प्रेशर फेस किया ?



शैलेष बावा - माय पेरेंट्एस एसोसिएशन से जुड़े पेरेंट्स पर बिल्कुल प्रेशर बनाया गया। एसोसिएशन से जुड़े पेरेंट्स के बच्चों को परेशान किया जाता था, ऑनलाइन क्लास बंद कर दी जाती थी। कई बार तो पेरेंट्स को धमकियां तक मिली पर हमने कभी अपना मोर्चा नहीं छोड़ा।



पूरे मामले में किस तरह की चुनौतियां आपको दिखीं ?



शैलेष बावा - लॉकडाउन में अधिकारियों के पास जाना पड़ता था। मैं खुद पेशे से वकील हूं, भोपाल जिला कोर्ट में भी केस होते थे उन्हें छोड़कर जाना पड़ता था। क्योंकि ये एक ऐसा मुद्दा था जो एक बहुत बड़े वर्ग से सीधे तौर पर जुड़ा था। कोविड काल में पेरेंट्स के ऊपर बहुत बड़ा अन्याय हो रहा था, इसलिए हमने इसे प्राथमिकता देते हुए इस लड़ाई को आगे बढ़ाया।



मामला सिर्फ एक स्कूल जुड़ा है, तो ये दूसरों के लिए कैसे नजीर है ?



शैलेष बावा - हाईकोर्ट का ये एक ऐतिहासिक फैसला था। इस फैसले का रिफरेंस लेकर हर वो पेरेंट्स जिसको कोविड काल में लूटा गया, अवैध वसूली की गई, वो कोर्ट की शरण में जा सकता है और पूरा संभव है कि उसे न्याय भी जल्द मिल जाएगा। हाल ही में हैदराबाद के एक मामले में भी इस केस का रिफरेंस लेकर स्टूडेंट को फीस वापस करवाई है।


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