इंदौर में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों पर संकट के आसार, एस्मा पर फैसला नहीं ले पा रही सरकार; निजी डॉक्टरों को बुलाने की तैयारी

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Rahul Garhwal
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इंदौर में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों पर संकट के आसार, एस्मा पर फैसला नहीं ले पा रही सरकार; निजी डॉक्टरों को बुलाने की तैयारी

संजय गुप्ता, INDORE. शासकीय अस्पताल, जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज के सभी शासकीय डॉक्टर जिसमें जूनियर डॉक्टर भी शामिल हैं, 17 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। इनकी संखया इंदौर में 1200 है और मध्यप्रदेश में करीब 10 हजार है। वहीं इस हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमराने का संकट आ गया जिससे मरीजों की जान पर बन सकती है।



एस्मा पर फैसला नहीं ले सकी सरकार



भोपाल स्तर से अधिकारी अभी तक फैसला नहीं ले सके हैं कि एस्मा लगाना चाहिए या नहीं। लगातार चरणबद्ध प्रदर्शन और गुरुवार को थोड़ी देर के बंद भी सरकार सुस्त है। उधर अधिकारियों ने इमरजेंसी व्यवस्थाएं कम से कम चालू रहें, इसके लिए उधार की व्यवस्थाएं करने की तैयारी कर ली है।



इस तरह संभालने में जुटे स्थानीय अधिकारी



संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि हम लगातार सभी निजी मेडिकल कॉलेज, निजी अस्पतालों के संपर्क में हैं। निजी मेडिकल कॉलेजों से डॉक्टर की व्यवस्था हो रही है जिससे कम से कम इमरजेंसी सेवाओं को बनाकर रखा जा सके। इसके लिए सभी को अलर्ट किया जा रहा है। उधर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने द सूत्र से कहा कि प्रशासन पूरी व्यवस्थाएं जुटाने में लगा है, ताकि किसी मरीज को परेशान नहीं उठाना पड़े। सभी सरकारी अस्पतालों की आपात व्यवस्था को संभालने के लिए लगे अमला लगा हुआ है।



आखिर क्या हैं डॉक्टरों की मांगें



चिकित्सक संघ के डॉ. माधव हसानी ने बताया कि सरकार की सुस्ती का आलम है, हम एकदम से हड़ताल नहीं कर रहे हैं, लगातार चरणबद्ध बात हो रही है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है। हमारी मांग है कि करियर डायनमिक तय हो यानी डॉक्टर जब सेवा में आता हो तो आगे तय हो कि कब उन्हें किस पद पर पदोन्नत किया जाएगा। जैसे कि अधिकारियों के लिए तय होता है, पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो और ब्यूरोक्रेसी का हस्तक्षेप खत्म हो।



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क्या कहता है महासंघ



चिकित्सक महासंघ का कहना है कि वो अपने सदस्यों के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। आंदोलन, सरकार का डॉक्टर्स के हितों के प्रति उदासीनता, न्यूनतम संसाधनों में कार्य करवाने की नीति (मानव संसाधन तथा अन्य संसाधन) और चिकित्सकों के प्रति असंवेदनशीलता के विरुद्ध, चिकित्सक महासंघ का बिगुल है। आंदोलन की सफलता, मध्यप्रदेश और देश में, चिकित्सकों का भविष्य तय करेगा। 17 तारीख से सुबह 8 बजे से पूर्ण रूप से कार्य बंद जाएगा जिसमे रूटीन और इमरजेंसी सेवाएं भी बाधित रहेगी।


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