Bhopal. महाभारत का युद्ध होने से पहले युधिष्ठिर ने कुरुक्षेत्र में ऐलानिया कहा था कि अब भी किसी भी महारथी को पाला बदलना हो, वह बदल सकता है। जिस पर कौरवों के सौतेले भाई युयुत्सु ने कौरवों का साथ छोड़कर पांडवों की ओर रथ बढ़ा दिया था। इधर मध्यप्रदेश में चुनाव के ऐलान में अभी काफी वक्त है लेकिन घात और प्रतिघात का जख्म लिए कई युयुत्सु पाला बदलने की फिराक में बैठे हुए हैं। बातचीत का सिलसिला जारी है, माना जा रहा है कि कल पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी पाला बदलकर कांग्रेस का खेमा ज्वाइन कर लें। इस सबके बीच कमलनाथ के बयान ने नई उहापोह की शुरूआत कर दी है। उन्होंने बीजेपी नेताओं की नाराजगी पर कहा कि आगे-आगे देखते जाइए आप
बुजुर्ग नेताओं की उपेक्षा ने बढ़ाया सिरदर्द
असल में चुनावी बयार में बीजेपी में खुदको उपेक्षित महसूस करने वाले बीजेपी के कई महारथी बगावत के सुर बुलंद करते जा रहे हैं। दीपक जोशी के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने भी मोर्चा खोल रखा है। पार्टी के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने से भी नेता हिचकिचा नहीं रहे हैं। बीजेपी नेता विजेंद्र सिसोदिया ने ट्वीट के जरिए तंज कस दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- कई रंग हैं, घुली हुई भांग है, कई आ रहे हैं, कुछ जा रहे हैं। पहले भड़का रहे हैं, फिर समझा रहे हैं। समझ गया तो श्रेय लेंगे, नहीं माना तो निकाल देंगे। कई रंग हैं- कुछ जा रहे हैं।
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उपेक्षा का शिकार हैं सिसोदिया
दरअसल विजेंद्र सिसोदिया भी उन नेताओं में शामिल हैं जो खुदको कथित रूप से बीजेपी में उपेक्षित महसूस करते हैं। इससे पहले सत्यनारायण गुरू ने भी पार्टी पर यह कहकर निशाना साध दिया था कि बीजेपी को वरिष्ठ नेताओं की हाय खा जाएगी। रघुनंदन शर्मा भी पार्टी दफ्तर के उद्घाटन के समय से ही नाराज बताए जाते हैं। फेहरिस्त काफी लंबी है अब देखना यह होगा कि खुदको पार्टी विद डिफरेंस कहने वाली बीजेपी अपने इन खांटी नेताओं को कैसे मना पाती है। या फिर यह सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। जैसा गुजरात मॉडल में किया गया था।
गुजरात मॉडल की भी चर्चा
देखा जाए तो कर्नाटक में भी बीजेपी ने अपनी नीति के चलते सदानंद गौड़ा जैसा पुराना नेता खो दिया। हालांकि गुजरात के बाद लगातार 3 राज्यों में पार्टी को इस स्ट्रेटजी से फायदा ही हुआ है। ऐसे में माना यही जा रहा है कि बीजेपी मध्यप्रदेश में भी अपनी वही स्ट्रेटजी दोहराएगी। कर्नाटक चुनाव का परिणाम यदि बीजेपी के पक्ष में रहा तो इस स्ट्रेटजी को और बल मिल सकता है।