संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अरविंद बागड़ी के आने के बाद हुए विवाद और बागड़ी के पुतला जलाने को लेकर कांग्रेस ने अब विनय बाकलीवाल के साथ ही उनके साथ समर्थकों को नोटिस जारी किया है। इसमें सात दिन में जवाब देने के आदेश दिए गए हैं। बाकलीवाल से पूछा गया है कि नया शहराध्यक्ष बनने के बाद उनके खिलाफ अनुचित नारे लगाने, पुतले जलाने की घटना हुई, यह कांग्रेस की रीति-नीति के खिलाफ है, यह कृत्य अनुशासनहीनता में आता है। इस मामले में सात दिन में जवाब दें। इसी तरह समर्थक नेता तेजप्रकाश राणे, संतोष वर्मा, संजय बाकलीवाल, पुखराज राठौड़, नीलेश सैन शैलू, इम्तियाज बेलिम, गणपत जारवाल और जिनेश झांझरी को भी अनुशासनहीनता संबंधी नोटिस जारी किया गया है।
अनुशासन समिति उपाध्यक्ष सीपी शेखर ने दिए नोटिस
मप्र कांग्रेस कमेटी के अनुशासन समिति के उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने नोटिस दिए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि कुल आठ लोगों को नोटिस दिए गए हैं, जिसमें विनय बाकलीवाल भी शामिल हैं। सभी से सात दिन में जवाब मांगा गया है। वहीं नोटिस में कहा गया है कि सात दिन में नोटिस का जवाब दें कि इस अनुशासनहीनता के कारण क्यों ना आपको पार्टी की सदस्यता से निष्कासित किया जाए।
यह खबर भी पढ़ें
कमलनाथ ने लगाई थी फटकार अनुशासनहीनता नहीं चलेगी
कांग्रेस द्वारा शहराध्यक्ष विनय बाकलीवाल की जगह अरविंद बागड़ी को शहराध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी। बागड़ी को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने गांधी भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें फूलछाप बताते हुए पुतला भी जलाया। विरोध प्रदर्शन के बीच बागड़ी ने शाम को पद संभाला, लेकिन इसके बाद ही उनकी पदस्थापना को होल्ड करते हुए बाकलीवाल को ही प्रभार दे दिया। इसके बाद बाकलीवाल अपने समर्थकों के साथ पूर्व सीएम कमलनाथ से मिलने के लिए भोपाल चले गए, जहां उन्हें जमकर फटकार लगी और कमलनाथ ने यहा कि यह अनुशासनहीनता सहन नहीं की जाएगी। इसके बाद समर्थक लौट आए। बाद में कमलनाथ ने बंद कमरे में बाकलीवाल को भी समझाइश दी। इसी दौरान बाकलीवाल को भी शहराध्यक्ष पद के प्रभार पद से हटाते हुए जिला कांग्रेस प्रभारी महेंद्र जोशी को ही रोजमर्रा के कामों के लिए प्रभार दे दिया और अब यह नोटिस जारी किए गए हैं।
पर्दे के पीछे समझाइश देकर होगा मामला खत्म
वहीं जानकारों के अनुसार बाकलीवाल कमलनाथ गुट के ही है और बताया जा रहा है कि बागड़ी को शहराध्यक्ष बनाने को लेकर दिल्ली के नेताओं ने कमलनाथ को विश्वास में नहीं लिया और ऊपर से ही यह पोस्टिंग हो गई, जिसे खुद कमलनाथ ने सही नहीं माना और उन्हीं की आपत्ति के बाद बागडी की पदस्थापना होल्ड की गई। ऐसे में कमलनाथ आठ माह बाद होने वाले चुनाव को देखते हुए खुद भी इंदौर जैसे अहम जिले में अपने गुट को कोई नुकसान नहीं होने देंगे, लेकिन यह मामला जिस तरह से तूल पकड़ा, ऐसे में चुनाव के पहले पार्टी और नेताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाना जरूरी था और साथ ही दिल्ली में भी संदेश देना जरूरी था कि मप्र कांग्रेस अनुशासनहीनता को लेकर सख्त है। इसी को देखते हुए यह नोटिस जारी हुए हैं, जिसे केवल कागजी खानापूर्ति माना जा रहा है।