मेहगांव विधानसभा सीट पर टिकट पाने का फैक्टर जाति, चुनाव में मुद्दे और पार्टी नहीं प्रत्याशी की जाति और छवि देखकर वोट देती है जनता

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Rahul Garhwal
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मेहगांव विधानसभा सीट पर टिकट पाने का फैक्टर जाति, चुनाव में मुद्दे और पार्टी नहीं प्रत्याशी की जाति और छवि देखकर वोट देती है जनता

BHIND. मेहगांव, भिंड जिले की वो विधानसभा सीट है जहां चुनाव में मुद्दे और पार्टी काम नहीं करती बल्कि यहां कैंडिडेट की जाति और व्यक्तिगत छवि ही काम करती है। मेहगांव में ददरौआ धाम जैसा प्रसिद्ध स्थल है। ददरौआ धाम, हनुमान जी का मंदिर है जिन्हें डॉक्टर हनुमान कहा जाता है। यहां कई लाइलाज बीमारियों का इलाज होता है। इसलिए यहां लाखों लोग आते हैं।





मेहगांव विधानसभा सीट का सियासी मिजाज





मेहगांव सीट से जुड़ा एक मिथक था जो 2020 के उपचुनाव में टूट गया। 1967 में यहां से जनसंघ के टिकट पर राय सिंह भदौरिया ने चुनाव जीता था। 1972 में रायसिंह भदौरिया ने पाला बदलते हुए कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उनकी बुरी तरह से हार हुई। इसके बाद 1977 में भी जनता ने नकार दिया। 1980 में रायसिंह भदौरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत मिली। जब 2020 का उपचुनाव हुआ तो इस वाकये का जिक्र हुआ लेकिन जनता ने ओपीएस भदौरिया को पाला बदलने के बाद भी चुनाव जिताया। बीजेपी अब तक इस सीट से 3 चुनाव जीत चुकी है और कांग्रेस भी 3 चुनाव जीत चुकी है। तीन बार निर्दलीयों ने चुनाव जीता।





मेहगांव विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण





मेहगांव में टिकट पाने का फैक्टर जाति ही है। ठाकुर ब्राह्मण के अलावा अनुसूचित वर्ग बाहुल्य सीट है। इसलिए बीएसपी भी हर बार यहां से चुनाव लड़ती है और बीजेपी कांग्रेस की राह में मुश्किलें पैदा करती है।





मेहगांव विधानसभा सीट का सियासी समीकरण





ये भी एक दलबदल वाली सीट है। ओपीएस भदौरिया के बीजेपी में आने के बाद अब यहां के स्थानीय बीजेपी नेता अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित है। चौधरी मुकेश चतुर्वेदी और राकेश शुक्ला यहां से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। अब इन दोनों के अलावा ओपीएस भदौरिया भी तीसरे दावेदार हो चुके हैं। इधर कांग्रेस में चेहरे का संकट है क्योंकि कांग्रेस ने उपचनाव में हेमंत कटारे को टिकट दिया था। ऐसे में टिकट को लेकर यहां दोनों पार्टियों के सियासी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।





मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे





मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है। बेरोजगारी, सड़कें और पानी जैसे मुद्दों को लेकर जनता मुखर है। इन तमाम मुद्दों को लेकर जब बीजेपी और कांग्रेस नेताओं से बात की जाती है तो वो अपने-अपने तरीके से विकास की दलीलें देते हैं।





मेहगांव के प्रबुध्दजनों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर कुछ और मुद्दे निकलकर सामने आए..





द सूत्र ने मेहगांव विधायक से पूछे सवाल







  • 4 साल में आपने इलाके के विकास के लिए कितनी राशि स्वीकृत की?



  • अपने इलाके में करवाए कोई 4 बड़े विकास कार्यों के बारे में बताएं?


  • किसानों की समस्याएं दूर करने के लिए क्या किया?


  • शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आपने विधायक निधि से कितनी राशि खर्च की?


  • मंत्री पद होने के बावजूद आपके इलाके में सड़कों की हालत जर्जर है, आपने कितनी सड़कें बनवाई?






  • मेहगांव की जनता का मूड जानने के लिए क्लिक करें.. मेहगांव विधानसभा सीट पर क्या है जनता का मिजाज, आज चुनाव हुए तो कौन जीतेगा ?





    सवालों से भागे मेहगांव विधायक और मंत्री ओपीएस भदौरिया





    इन सभी सवालों को लेकर जब द सूत्र ने मंत्री ओपीएस भदौरिया से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो सका और भदौरिया ने लिखित में भी इन सवालों का जवाब नहीं दिया। यानी मेहगांव विधायक और ओपीएस भदौरिया सवालों से भागते नजर आए।





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