उज्जैन/शाजापुर/धार. दिवाली (Diwali) के एक दिन बाद शुक्रवार को प्रदेश के कई शहरों में अनूठी परंपराएं (Traditions) निभाई गई। इस दिन उज्जैन (Ujjain) और धार (Dhar) में आस्था (Faith) का अलग ही रूप दिखा। यहां लोग जमीन पर लेट गए। इसके बाद गाय लोगों को कुचलते हुए चली गई। वहीं, शाजापुर (Shajapur) में गोहरी पर्व में गाय के गोबर पर बच्चों को लिटाया गया। यहां मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे बीमार नहीं होते हैं।
पीढ़ियों से चल रही परंपरा
उज्जैन के भीड़ावद गांव में दिवाली के दूसरे दिन दर्जनों लोग मन्नत लेकर आते हैं और जमीन पर लेट जाते हैं। फिर उनके ऊपर गाय छोड़ दी जाती हैं। दर्जनों गाय जमीन पर लेटे लोगों के ऊपर से गुजर जाती हैं। इस मंजर को देखने के लिए हर साल इस गांव में हजारों लोग जमा होते हैं। यहां ये परंपरा पीढ़ियों से चल रही है।
शाजापुर में अनूठी परंपरा
जिले में गवली समाज के लोगों ने पड़वा मनाया। इसमें गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की। इस बाद बच्चों को गोर्वधन पर्वत (Govardhan hill) पर लिटाने की अनूठी परंपरा निभाई गई। यहां एक दिन के बच्चे से लेकर युवाओं तक को गोबर से बने गोर्वधन पर्वत पर लिटाया गया। समाज के लोगों में मान्यता है कि इससे बच्चों को किसी तरह की बीमारी नहीं होती। यह परंपरा समाज में सैंकड़ों वर्षों से प्रचलित है।
धार में लोगों के ऊपर से गुजरी गाय
जिले में भी उज्जैन की तरह अनोखी परंपरा को लोगों ने धूमधाम से मनाया। यहां के सरदापुर की गोपाल कॉलोनी में गोवर्धन पूजा कर गाय गोहरी का पर्व मनाया गया। गोहरी पर्व के लिए सुबह गांव के लोग शीतला माता मंदिर में इकठ्ठा हुए। इसके बाद लोग जमीन पर लेट गए। लोगों के ऊपर से गाय को गुजारा गया। यहां मान्यता है कि जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है, वो लोग जमीन पर लेटते हैं।