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BHOPAL. केंद्र हो या राज्य सरकार गरीबों को अपने घर का सपना दिखाती आई हैं। पीएम आवास यानी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई हद तक एक आम व्यक्ति का ये सपना साकार भी हुआ है। इस सपने को साकार करने के लिए सरकार ना केवल आर्थिक मदद करती है, बल्कि जिनके पास जमीन नहीं है उन्हें घर बनाने के लिए जमीन का टुकड़ा भी देती है। मध्यप्रदेश के इछावर में सड़क बनाने के लिए पीएम आवास योजना पर बुलडोजर चला दिया गया।
पीएम आवास योजना के मकानों पर चला बुलडोजर
इछावर में एक सड़क बनाने के लिए सरकार ने पीएम आवास पर बुलडोजर चला दिया है। पूर्व राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा के गढ़ इछावर में ये कारनामा हुआ है। पीएम आवास के लिए स्वीकृत सरकार के 1.20 लाख और अपना घर बनाने के लिए गरीब द्वारा लगाए गए 1 लाख सब गए पानी में चले गए हैं।
मकान बनाने के लिए 2013 में दिया गया था पट्टा
इछावर के ग्राम भाऊखेड़ी के सुनील वर्मा को 2013 में शासन ने पट्टा दिया था। 2020-21 में पीएम आवास योजना में इनका नाम आया तो केंद्र सरकार ने इन्हें 72 हजार और राज्य सरकार से 48 हजार कुल 1 लाख 20 हजार रुपए मिले। इतने कम पैसों में मकान नहीं बन सकता था तो इन्होंने 1.40 लाख रुपए का इंतजाम कर 2 लाख 60 हजार में रहने लायक मकान बना लिया, लेकिन सड़क की जद में आने से इनका मकान तोड़ दिया गया।
सरकार ने अतिक्रमण वाली जमीन का पट्टा कैसे दिया
सुनील वर्मा ने कहा कि जब हमने अधिकारियों से पूछा कि पट्टा तो आपने ही दिया था तो ये अतिक्रमण में कैसे आ सकता है, तब अधिकारियों ने जवाब दिया कि हमने पट्टा स्वीकृत किया है तो हम उसे निरस्त भी कर सकते हैं। ये अकेले सुनील वर्मा का दर्द नहीं है, बल्कि भाऊखेड़ी के एक दर्जन ग्रामीणों की भी यही कहानी है जिनके पीएम आवास को तोड़ दिया गया है।
ये है पूरा मामला
इछावर विधानसभा क्षेत्र में हाइवे सड़क का निर्माण चल रहा है। ब्रज गोपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी भाऊखेड़ी जोड़ से लेकर अमलाह तक करीब 18 किलोमीटर का 52 फीट चौड़ा हाइवे निर्माण कर रही है। हाइवे ग्राम भाऊखेड़ी के बीचों-बीच से भी निकल रहा है। सड़क की चौड़ाई में भाऊखेड़ी के आने वाले करीब 165 घरों पर कार्रवाई की गई है, इनमें एक दर्जन पीएम आवास योजना के घर भी शामिल हैं।
एसडीएम दफ्तर के सामने फूट-फूटकर रोईं महिलाएं
कार्रवाई की जद में आए लोगों का आरोप है कि पहले सूचना नहीं दी गई। समय रहते सूचना मिलने पर वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती थी। मुआवजे और रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की मांग को लेकर ग्रामीण हाल ही में एसडीएफ दफ्तर भी पहुंचे थे। यहां महिलाएं फूट-फूटकर रोईं। ग्रामीणों बताया कि ना मुआवजा दिया गया और ना ही रहने के लिए कोई नया घर। लोगों का कहना है कि बैंकों से लोन लेकर दुकानें बनाई थीं, अब बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे।
एसडीएम साहब, इन सवालों का जवाब तो देना होगा
जब इस मामले में इछावर एसडीएम विष्णु प्रसाद यादव से संपर्क किया तो उन्होंने ऑन कैमरा बात करने से इनकार कर दिया। एसडीएम ने इतना जरूर कहा कि ग्रामीण मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जिसका निर्णय उच्च स्तर पर हो सकता है। बड़े अधिकारियों को इसके बारे में बता दिया है पर एसडीएम साहब ये मामला सिर्फ मुआवजे का नहीं है। सवाल तो ये है कि ग्रामीणों को सड़क की जद में आने वाले पट्टे दिए ही क्यों गए? सवाल ये भी है कि यदि ये अतिक्रमण की जमीन थी तो यहां पीएम आवास योजना के मकान स्वीकृत कैसे हो गए? अतिक्रमण के नाम पर जिन पीएम आवास योजना के मकानों को तोड़ा गया वहां सरकार के 1.20 लाख और गरीब के 1 लाख रूपए बर्बाद हो गए, इसका जिम्मेदार कौन है और इसकी भरपाई अब कैसे होगी? ये वो सवाल हैं जिनका शासन को जवाब देना चाहिए।