बैतूल सीट पर काम के आधार पर जनता देती है वोट, हर चुनाव में राजनीतिक दल बदलते हैं चेहरा, किसी भी पार्टी का एकछत्र राज नहीं

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Vivek Sharma
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बैतूल सीट पर काम के आधार पर जनता देती है वोट, हर चुनाव में राजनीतिक दल बदलते हैं चेहरा, किसी भी पार्टी का एकछत्र राज नहीं

BETUL. बैतूल को ताप्ती नदी के उद्गम स्थल के रुप में जाना जाता है। मुगल काल में अखंड भारत के केन्द्र बिन्दु पर बसा जिला है बैतूल प्राकृतिक सौदर्य से भरपूर इस इलाके में उच्च क्वालिटी की सागौन लकड़ी पाई जाती है। कहा तो यह जाता है कि यहां की लकड़ी का उपयोग व्हाउट हाउस में भी हुआ है यहां की गुड मंडी प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी है। बैतूल की जनता कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के उम्मीदवारों को काम के अनुसार मौका देती आई है। यहां की जनता का मिजाज समझ पाना राजनैतिक दलों के लिए मुश्किल काम है। साल 2018 में यहां से कांग्रेस के निलय डागा विधानसभा पहुंचे तो वहीं साल 2003 से लेकर 2013 तक हुए तीन चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की... बीजेपी में हर बार यहां से चेहरा बदला गया है। अमूमन यही हाल कांग्रेस का भी रहा है। 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी निलय डागा ने बीजेपी के हेमंत खंडेलवाल को करीब 20 हजार वोट से हराया था। 



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सियासी समीकरण



 बैतूल में किसी भी पार्टी का एकछत्र राज नहीं है। यहां जनता का वोट काम के आधार पर पड़ता है। राजनीतिक दल भी यहां हर चुनाव के बाद चेहरा बदलने में यकीन रखती है। यही कारण है कि यहां जातिगत समीकरण से ज्यादा विधायक के कार्य कराने की क्षमता और और उसकी सजगता को ध्यान में रखते हुए चुनाव होता है। वर्तमान कांग्रेस विधायक निलय डागा के लिए कोई बड़ी चुनौती देखने में नहीं आती है। यहां बीजेपी के लिए निलय को कड़ी चुनौती देना मुश्किल काम हैं। जनता के बीच भी निलय का साफ छवि कांग्रेस के लिए फायदेमंद है।



जातिगत समीकरण 



 बैतूल विधानसभा सीट पर कुनबी, पवार जाति और आदिवासी वोट बड़ी संख्या में है लेकिन विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरण ज्यादा प्रभाव नहीं डालता यही वजह हैं कि दोनों ही प्रमुख दल टिकट वितरण के दौरान जातिगत समीकरण की बजाए सक्षम और लोकप्रिय कैंडिडेट पर दांव लगाते हैं।



मुद्दे 



इस इलाके में रोजगार एक बड़ा मुद्दा है तो वहीं बैतूल-भोपाल फोरलेन का अधूरा काम भी जनता के लिए परेशानी का कारक है। शहर में रहड़ी-पटरी वाले स्थायी गुमठियां और हॉकर्स कॉर्नर न मिलने से परेशान हैं। तो बीजेपी यहां किसान कर्जमाफी को मुद्दा बना रही है। बीजेपी का कहना है कि 2018 में झूठा वादा करके कांग्रेस ने सीट हथियाई थी। वहीं विधायक निलय डागा पर विधायक निधि से शहर के विकास कार्य न कराने का आरोप भी बीजेपी ने लगाया है। इन सब मुद्दों पर राजनीतिक दलों के नुमाइंदों ने क्या कुछ कहा आइए आपको सुनवाते हैं।

इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और इलाके की आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए।




  •  4 साल में इलाके में करवाए कोई 4 बड़े काम बताएं ?


  •  मूलभूत सुविधाओं के लिए कितनी राशि खर्च की?

  •  इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कितनी राशि खर्च की

  •  रोजगार के लिए युवा वर्ग परेशान है, क्या कदम उठाए ?

  • कमलनाथ सरकार के समय कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ ?



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