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Jabalpur. जबलपुर में एक गरीब आदमी कितना मजबूर हो जाता है उसकी बानगी जिला अस्पताल में देखने को मिली। जब पुरूषोत्तम नाम का बुजुर्ग अपनी पत्नी के शव के पास बैठकर रात भर रोता रहा। वह रो इसलिए नहीं रहा था कि पत्नी की मौत हो गई थी, बल्कि वह इसलिए रो रहा था कि उसके पास पत्नी के कफन-दफन के लिए भी रुपए नहीं थे।
भीख मांगकर करता है गुजारा
बंडा निवासी पुरूषोत्तम अपनी पत्नी के साथ भिक्षाटन करके गुजर-बसर करता था। पत्नी को कैंसर हो गया तो वह उसका इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचा था। जहां इलाज के दौरान पत्नी ने दम तोड़ दिया। अस्पताल के स्टाफ ने पुरूषोत्तम से शव को ले जाने के लिए कहा तो उसके हांथ पांव फूल गए। वह इस बात के लिए रोता रहा कि आखिर वह अंतिम संस्कार के लिए रुपए कहां से लाएगा।
गरीब नवाज कमेटी ने की मदद
इस बात की खबर जब अस्पताल के स्टाफ को लगी तो उन्होंने बेसहारा और लावारिसों का कफन-दफन करने वाली संस्था गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली को फोन कर बता दी। कमेटी ने पुरूषोत्तम की पत्नी का अंतिम संस्कार कराने में मदद की। उन्होंने उसी के हाथों हिंदू रीतिरिवाज से शव का अंतिम संस्कार कराया।
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गले में हो गया था कैंसर
पुरूषोत्तम की पत्नी चुल्ला बाई गले के कैंसर से पीड़ित थी। इसके लिए उन्होंने पन्ना के कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन राहत नहीं मिल रही थी। जिसके बाद वे जबलपुर पहुंचे और जिला अस्पताल में इलाज के लिए पत्नी को दाखिल कराया था।
3 दिन से था भूखा प्यासा
पुरुषोत्तम ने बताया कि उसने 3 दिन बड़ी मुश्किल से काटे। जिला अस्पताल में कभी-कभार तो समाजसेवी खाना खिला देते थे लेकिन 3 दिन से उसने कुछ खाया पिया नहीं था। गरीब नवाज कमेटी ने बुजुर्ग को खाना भी खिलाया और वापस पन्ना लौटने के लिए किराया भी दिया है।