मप्र में 16 महीने से बंद पड़ा पोर्टल; फीस का ब्यौरा अपलोड नहीं, बजट के अनुसार एडमिशन का निर्णय नहीं ले पा रहे पेरेंट्स- MP News

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Rahul Sharma
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मप्र में 16 महीने से बंद पड़ा पोर्टल; फीस का ब्यौरा अपलोड नहीं, बजट के अनुसार एडमिशन का निर्णय नहीं ले पा रहे पेरेंट्स- MP News

राहुल शर्मा, BHOPAL. मध्यप्रदेश के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने फीस के नाम पर पेरेंट्स को लूटने की खुली छूट दे दी है। विभाग के जिस पोर्टल पर प्राइवेट स्कूलों को अपनी फीस अपलोड करना थी, वह पोर्टल ही जनवरी 2022 यानी 16 महीने से बंद पड़ा है। पोर्टल के बंद होने से प्राइवेट स्कूलों को पेरेंट्स को लूटने का मौका तो मिल ही गया है। जबकि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 की धारा 9 की उपधारा 2 में यह स्पष्ट लिखा है कि यदि नियमों का कहीं उल्लंघन हो रहा है तो जिला समिति जिसमें कलेक्टर और डीईओ रहते हैं, स्वयं संज्ञान लेकर जांच कर सकेंगे, पर अधिकारी ऐसा कर नहीं रहे हैं। पोर्टल पर फीस अपलोड करने का मकसद ही यही था कि पेरेंट्स आने वाले सत्र की फीस देख लें और यह उनके बजट के हिसाब से पॉकेट फ्रेंडली न हो तो अपने बच्चे को उस स्कूल से निकालकर दूसरे अन्य किसी स्कूल में दाखिला दिलवा दें, लेकिन यह लाभ तो तब मिलता न जब पोर्टल चालू होता। यहां तो पोर्टल ही 16 महीने से बंद पड़ा हुआ है।  



सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी नहीं कोई डर



फीस वृद्धि के मामले में पालक महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी प्राइवेट स्कूल अपनी फीस का ब्यौरा पोर्टल पर 2 सप्ताह में दर्ज करेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इसके लिए 6 सप्ताह का समय मांगा जो कोर्ट ने दे भी दिया। अक्टूबर 2021 में यह समय खत्म हो गया, लेकिन पोर्टल के बंद होने तक जनवरी 2022 में केवल 58.5 फीसदी प्राइवेट स्कूल ही पोर्टल पर अपनी फीस अपलोड कर सके थे। उसके बाद से यह पोर्टल स्थाई रूप से बंद हो चुका है। 



पोर्टल पर खुल ही नहीं रही लिंक



मध्यप्रदेश एजुकेशन पोर्टल को जब आप ओपन करते हैं तो डेशबोर्ड पर आपको कई आप्शंस दिखाई देंगे। जब आप इसमें मध्यप्रदेश निजी विद्यालय विनियमन क्रियान्वयन प्रणाली पर क्लिक करेंगे तो यह लिंक ओपन ही नहीं होगा। लिंक पर क्लिक करने के बाद एक नया विंडो ओपन होगा जिसमें 404 - File or directory not found. लिखा आता है। यह वही लिंक है जिस पर जनवरी 2022 तक प्राइवेट स्कूलों की फीस का ब्यौरा दिख रहा था।  



बिना परमीशन 10 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ा सकते फीस



मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 मध्यप्रदेश में 2020 से लागू है। जिसके अनुसार प्राइवेट स्कूल हर साल सिर्फ 10 फीसदी ही फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। इससे अधिक फीस वृद्धि के लिए इसी एक्ट के तहत गठित जिला कमेटियों को आवेदन करना होगा। कमेटी 3 साल की आडिट रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर ही फीस बढ़ाने की अनुमति देगी। वहीं अधिनियम की धारा 9 की उपधारा 1 और 7 के अनुसार यदि कोई पेरेंट्स फीस वृद्धी संबंधी शिकायत करता है और वह शिकायत सही पाई जाती है, तो स्कूल को बढ़ी हुई फीस स्टूडेंट को वापस करना होगी। जिला समिति उस स्कूल पर 2 से 6 लाख तक का जुर्माना भी लगा सकती है। 



नर्मदापुरम में समेरिन्टर्स स्कूल ने बढ़ाई दोगुनी तक फीस 



प्राइवेट स्कूल किस तरह शासन की नाकामियों का फायदा उठाते हैं, अब हम आपको इसका एक उदाहरण बताते हैं। नर्मदापुरम (पहले नाम होशंगाबाद) में समेरिन्टर्स स्कूल एक नामी गिरामी नाम है। पूरे जिले में इस स्कूल की अलग-अलग शहरों में 8 ब्रांच है। इस शैक्षणिक सत्र इस स्कूल ने फीस दोगुनी कर दी। पेरेंट्स ने बताया कि समेरिन्टर्स स्कूल पिपरिया में 2017-18 से अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। प्रवेश के समय स्कूल को आईसीएसई से मान्यता प्राप्त बताया। जिसमें प्रतिवर्ष फीस वृद्धि भी की गई। इसके बाद शैक्षणिक सत्र 2023-24 में ट्यूशन फीस में अत्यधिक फीस वृद्धि कर दी गई। पिछले वर्ष जो फीस 1500 रुपए प्रतिमाह थी, इस वर्ष 3100 रुपए कर दी गई है। एक्टीविटी फीस पिछले वर्ष 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए कर दी। इस वर्ष 4000 रुपए से 5000 रुपए कर दी बस की फीस 600 से 1200 रुपए कर दी गई। 



जिन्होंने पहले नहीं की कोई कार्रवाई अब उन्हें ही जांच की जिम्मेदारी



अचानक फीस में हुई बेतहाशा वृद्धि के बाद जब स्कूल प्रबंधन से कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला और स्थानीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की तो पेरेंट्स ने जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर से इसकी शिकायत की। कलेक्टर ने जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को कहा। डीईओ एसपीएस बिसेन ने बताया कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी, विकासखंड स्रोत समन्वयक, जनपद शिक्षा केंद्र को जांच के आदेश दिए हैं। जबकि इस पूरे मामले की शिकायत पेरेंट्स पहले ही इन स्थानीय अधिकारियों को कर चुके थे। इन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद ही पेरेंट्स कलेक्टर के पास गुहार लेकर पहुंचे थे, लेकिन घूम फिरकर वापस इन्हीं अधिकारियों के पास जांच आ गई है। पेरेंट्स ने बताया कि जब भी स्कूल प्रबंधन से फीस संबंधी बात की जाती है तो वह कहते हैं कि यदि पढ़ाने की क्षमता नहीं है तो टीसी लेकर जा सकते हैं।

जब इस पूरे मामले में द सूत्र ने समेंरिन्टर्स स्कूल डायरेक्टर आशुतोष शर्मा का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। व्हॉट्सएप पर मैसेज किया पर मैसेज पढ़ने के बाद भी कोई रिप्लाई नहीं दिया। 



स्कूलों को बचाने ही पोर्टल करा दिया बंद



पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पांडे का सीधा आरोप है कि सरकार का प्राइवेट स्कूलों को खुला संरक्षण है। जिन स्कूलों ने अपनी तीन साल की पोर्टल पर फीस अपलोड की, उससे पेरेंट्स को यह पता चलने लगा कि इन्होंने एक साल में कितनी फीस बढ़ाई। जिसके आधार पर शिकायतें होने लगी। बढ़ती शिकायतों को देख और प्राइवेट स्कूलों को इससे बचाने के लिए पोर्टल ही बंद कर दिया गया। अब जब पोर्टल ही नहीं खुलेगा तो कोई भी पेरेंट्स कैसे स्कूल की फीस देख सकेगा। हालांकि, प्रबोध पांडेय का यह भी कहना है कि बीते तीन साल की फीस का ब्यौरा हर स्कूल को अपनी खुद की वेबसाइट पर भी अपलोड करना था, जो किया ही नहीं गया।



(इनपुट- नर्मदापुरम से राजेंद्र मालवीय)


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