बैतूल में प्रशासन की नाक के नीचे हुआ बेशकीमती सरकारी जमीन का सौदा, चर्च को लीज पर दी जमीन पर बन रहीं दुकानें और कॉम्प्लेक्स

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Rahul Garhwal
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बैतूल में प्रशासन की नाक के नीचे हुआ बेशकीमती सरकारी जमीन का सौदा, चर्च को लीज पर दी जमीन पर बन रहीं दुकानें और कॉम्प्लेक्स

शशांक सोनकपुरिया, BETUL. बैतूल में प्रशासन की नाक के नीचे करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी जमीन का सौदा हो गया और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। जब ईओडब्लू में मामले की शिकायत की गई तो इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा हुआ। खास बात ये है कि ये सरकारी जमीन चर्च को लीज पर दी गई थी और इस जमीन पर दुकानें और कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं। जमीन का खेल करने में चर्च के पदाधिकारियों के साथ-साथ कांग्रेस नेता शामिल हैं।



सौदेबाजी का खेल



छिंदवाड़ा की मिशनरी सोसाइटी द इवेंजीलिकल लूथरन चर्च यानी ईएलसी छिंदवाड़ा को स्कूल चलाने के लिए ये जमीन सरकार ने लीज पर दी है। अब इस स्कूल की बिल्डिंग के ही पास दुकानों का निर्माण हो रहा है। लीज पर मिली सरकारी जमीन पर दुकानें कैसे बन रही हैं। दरअसल, इस बेशकीमती जमीन की सौदेबाजी का ये पूरा खेल खेल गया है। बकायदा 1 हजार रुपए के स्टाम्प पर सौदा हुआ है. जिसकी कॉपी द सूत्र के पास है।



स्टाम्प पर क्या लिखा है?




  • 24 फरवरी को 2 भागीदारों के बीच आपसी समझौता हुआ


  • भागीदार नंबर 1 है अरुण गोठी और पुलकित मालवी

  • भागीदार नंबर 2 है ईएलसी चर्च की ओर से सुरेंद्र कुमार सुक्का और मुकेश मोजेस प्रिसिंपल 

  • समझौते की जो शर्तें हुई वो इस तरह थी

  • भागीदार नंबर दो यानी ईएलसी छिंदवाड़ा इस जमीन का मालिक है और आगे लिखा है कि दुकानों का यहां निर्माण होगा और भागीदार नंबर 1 इस जमीन पर खुद की कंपनी और ईएलसी का बोर्ड लगा सकेगा और दुकानों की संयुक्त बुकिंग होगी। बुकिंग में दोनों भागीदारों के साइन होगें। जो भी पैसा आएगा वो दोनों भागीदारों के ज्वॉइंट अकाउंट में आएगा और आपसी सहमति से ये पैसा निकाला जा सकेगा।



  • प्रिंसिपल ने आरोपों से पल्ला झाड़ा



    अब यहां सवाल ये है कि ये तो सरकारी जमीन है तो फिर ईएलसी छिंदवाड़ा ने इसे खुद के स्वामित्व वाली जमीन क्यों बताया। यही सवाल जब मौजूदा प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने खुद माना कि ये तो लीज वाली जमीन है और जब पूछा कि फिर समझौता कैसे हो गया तो प्रिंसिपल ने सभी आरोपों से पल्ला झाड़ लिया। दूसरी तरफ द सूत्र ने भागीदार नंबर 2 यानी पुलकिल मालवीय और अरुण गोठी से संपर्क किया तो अरुण गोठी का कहना है कि कहीं किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है और वो तो प्रमोटर हैं, केवल दुकान बनाने का उनका काम है, सबकुछ कागजों पर है।



    ईओडब्ल्यू को हो चुकी है मामले की शिकायत



    ये जमीन शैक्षणिक गतिविधियों के लिए सरकार ने दी थी। ना तो इसका लैंड यूज बदला जा सकता है और ना ही कमर्शियल यूज हो सकता है। इसलिए इस मामले की शिकायत ईओडब्लू को हो चुकी है। शिकायत के बाद मौके पर काम रोक दिया गया है और बैतूल नगर पालिका ने बिल्डिंग परमिशन निरस्त कर दी है। इस मामले में द सूत्र ने ईओडब्ल्यू एसपी राजेश मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी है। दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है। इसके साथ ही जो लोग इस मामले से जुड़े हैं उनसे पूछताछ भी की जाएगी। प्रारंभिक जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।



    जमीन का लैंड यूज बदला तब अधिकारी क्या कर रहे थे?



    पूरे खेल में सवाल जिला प्रशासन पर है। जमीन की सौदेबाजी होगी, जमीन का लैंड यूज बदल दिया गया तो फिर अधिकारी क्या कर रहे थे। एक-एक जिम्मेदार से द सूत्र ने पूछा। कलेक्टर अमनवीर सिंह बैस का कहना था कि जानकारी सामने आई थी जिसके बाद जांच करवाई गई थी। इसकी जानकारी आप अपर कलेक्टर साहब से ले लीजिये और इस मामले में ईओडब्ल्यू ने संज्ञान लिया था जिसके बाद काम पर रोक लगा दी गई है। अब अपर कलेक्टर श्यामेंद्र जायसवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि नजूल अधिकारी ने पूरी जांच कर ली है, आप उनसे मिलकर विस्तृत जानकारी ले सकते हैं। इसके बाद एडिशनल कलेक्टर एस के मंडराह से बात की तो उन्होंने कहा मैं क्या कहूं, इस बारे में कलेक्टर से बात कीजिए। यानी सभी अधिकारी टोपी एक-दूसरे के सिर पर रख रहे हैं। चूक तो अधिकारियों ने ही की है इसलिए कोई मुंह खोलना नहीं चाहता।


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