BHOPAL. राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सातवां धर्म-धम्म सम्मेलन 3 मार्च, शुक्रवार से शुरू हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता मौजूद रही। राष्ट्रपति मुर्मु ने सम्मेलन का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं। यह सम्मेलन मानवता की दिशा में एक बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए सार्थक प्रयास है। राज्यपाल पटेल ने कहा, यह सम्मेलन युद्ध और पीड़ा से कराहते विश्व को शांति का मार्ग दिखाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा, धर्म-धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन-2023 का उद्घाटन@rashtrapatibhvn#MPWelcomesPresidenthttps://t.co/cNaJpyB4PC
— Jansampark MP (@JansamparkMP) March 3, 2023
इन्होंने की सम्मेलन में सहभागिता
यह सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा। सम्मेलन 'नए युग में मानववाद' के सिद्धांत पर केंद्रित है। 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान और 5 देशों के संस्कृति मंत्री शामिल हुए। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को मंच प्रदान करने वाले सम्मेलन में भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की सहभागिता है।
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राष्ट्रपति ने कहा- धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार, सांची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट इंडिक स्टडीज तथा इंडिया फाउंडेशन की मैं सराहना करती हूं। महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने हमें दुख से निकलने का मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया।
राज्यपाल ने कहा- मानवता के कल्याण के लिए शांति, प्रेम एवं विश्वास जरूरी
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा विश्व जाति और मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखती है और इसे बढ़ावा देती है। हमारी मान्यता इस विश्वास में निहित है कि विश्व सबके लिए है और युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है। मानवता के कल्याण के लिए शांति, प्रेम और एक-दूसरे के प्रति विश्वास जरूरी है। ऋषियों का चिंतन ही आज के समय में समाधान का रास्ता प्रस्तुत करता है। इस वार्षिक सम्मेलन का उद्देश्य दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच विचारों के परस्पर विनिमय के माध्यम से सद्भाव को बढ़ावा देना है।
मुख्यमंत्री ने कहा- सम्मेलन मप्र में होना, हमारा सौभाग्य
सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि धर्म-धम्म सम्मेलन भोपाल में हो रहा है। धर्म-धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है। एक ही चेतना सब में है। आज विद्वानों के चिंतन से जो अमृत निकलेगा, मुझे विश्वास है कि वो विश्व को दिग्दर्शन देगा। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया- सियाराम मय सब जग जानी, अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।
4 मुख्य सत्र में 25 विद्वानों का होगा संबोधन
तीन दिवसीय सम्मेलन में 4 मुख्य सत्र होंगे। 25 विद्वान विचार रखेंगे। इसी दौरान 15 समानांतर सत्र भी होंगे, जिसमें सम्मेलन की थीम 'नए युग में मानववाद का सिद्धांत' पर केंद्रित 115 शोध-पत्र पढ़े जाएंगे।