BHOPAL. मध्यप्रदेश में जिस प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, उससे ही ईएसबी यानी इम्प्लॉय सलेक्शन बोर्ड (पहले नाम व्यापमं और पीईबी) ने ही नहीं बल्कि स्कूल शिक्षा विभाग तक करोड़ों कमाकर बैठा है। युवा 51 हजार पद पर भर्ती की मांग पर अड़े हैं और अब तक सरकार ने प्रथम काउंसलिंग में 7400 पद पर भर्ती की है और द्वितीय काउंसलिंग में 7500 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है। कुल मिलाकर प्रदेश में सवा लाख खाली पदों के खिलाफ सिर्फ 12 प्रतिशत यानी करीब 15 हजार पदों पर ही भर्ती हो रही है और युवा इसी का विरोध कर रहे हैं।
2020 में अकेले वर्ग-3 से स्कूल शिक्षा विभाग को मिले 5.5 करोड़
ईएसबी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में सबसे ज्यादा आवेदन शिक्षक पात्रता परीक्षा में ही आए। यहां स्कूल शिक्षा विभाग ने 2 बार की परीक्षाओं में विभागीय शुल्क भी ईएसबी से वसूल करवाया, जबकि अन्य परीक्षाओं में ये शुल्क नहीं वसूला गया। अनारक्षित वर्ग से 100 रुपए और आरक्षित वर्ग से 50 रुपए विभागीय शुल्क के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग ने लिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि शिक्षक पात्रता परीक्षा 2020 वर्ग-3 में 5.50 करोड़ और शिक्षक पात्रता परीक्षा 2023 वर्ग 1 और 3 में 4.50 करोड़ से ज्यादा की अतिरिक्त राशि वसूल की गई। सिर्फ 2 बार की परीक्षा में ही स्कूल शिक्षा विभाग ने 10 करोड़ रुपए विभागीय शुल्क के नाम पर कमा लिए।
पूरी शिक्षक भर्ती से ईएसबी ने कमाए 56.20 करोड़
ईएसबी यानी इम्प्लॉय सलेक्शन बोर्ड ने पूरी शिक्षक भर्ती से 56 करोड़ 20 लाख 92 हजार रुपए कमाए हैं। उच्चतर माध्यमिक यानी वर्ग-1 की परीक्षा 2 लाख 20 हजार अभ्यर्थियों ने दी थी। माध्यमिक शिक्षक यानी वर्ग 2 की परीक्षा 4 लाख 78 हजार 620 अभ्यर्थियों ने दी। वहीं वर्ग-3 यानी प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 7 लाख 99 हजार अभ्यर्थियों ने दी।
विवादों के बाद भी कमाई पर कोई असर नहीं
एमपी प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (MPTET) वर्ग-3 के पेपर का स्क्रीनशॉट मार्च 2022 में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। आरोप लगे कि वायरल पेपर परिवहन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह राजपूत के कॉलेज से हुआ था। इसके बाद MPPEB ने मामले की जांच कराई। जिसके बाद मामले को क्लीन चिट दे दी गई और 30 सितंबर 2022 को रिजल्ट जारी कर दिया गया। परीक्षा के लिए 2 बार आवेदन बुलाए गए। 2020 में जब आवेदन बुलाए तब 27 करोड़ 29 लाख और 2022 में आवेदन बुलाने पर 6 करोड़ 9 लाख यानी कुल 33 करोड़ 48 लाख रुपए फीस के तौर पर मिले।
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मंत्री ने कांग्रेस को बताया दोषी
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ये सब कांग्रेस सरकार के समय शुरू हो गया था। आने वाली परीक्षाओं में अब ये दिक्कत नहीं रहेगी। हालांकि यहां पर सवाल अब भी वही खड़ा है कि जिन बेरोजगारों से विभागीय शुल्क के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग करोड़ों की वसूली कर चुका है, क्या उन अभ्यर्थियों को पैसा वापस लौटाया जाएगा।