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Jabalpur. जबलपुर में मिशनरी संस्था मेथोडिस्ट चर्च को आवंटित जमीनों की बंदरबांट के मामले में अदालत ने आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि मैथोडिस्ट चर्च के बिशप एमए डेनियल, कार्यपालिक सचिव मनीष एस गिडियन और कोषाध्यक्ष एरिक पी नाथ पर आरोप है कि उन्होंने संस्था को आवंटित जमीनों को नियम विरुद्ध और षड़यंत्रपूर्वक बिल्डरों को बेच दिया। विशेष न्यायाधीश पीसी एक्ट एके सक्सेना की अदालत ने तीनों की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी है। मामला ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज किए गए अपराध से संबंधित है। सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी की है कि आर्थिक आधारों पर पंजीबद्ध अपराध का सीधा संबंध सामाजिक परिवेश से होता है। यदि इस प्रकृति के प्रकरणों में उदारतापूर्ण रवैया अपनाया गया तो इस तथ्य का अत्यंत विपरीत प्रभाव समाज पर पड़ता है।
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अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सारिका यादव ने अग्रिम जमानत का विरोध किया। वहीं आपत्तिकर्ता अमित सिंह की ओर से अधिवक्ता क्रिस्टोफर एंथनी ने अग्रिम जमानत न दिए जाने पर बल दिया। दलील दी गई कि आरोपियों ने जबलपुर में क्रिश्चियन हाईस्कूल के लिए मिली लीज की भूमि पर व्यावसायिक निर्माण किया। भू-भाटक जमा नहीं किया गया। इस तरह आर्थिक अपराध कर शासन को क्षति कारित की गई। अतः अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।
दलील दी गई कि आरोपियों ने छल-कपट और धोखाधड़ी की है। वे आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। लिहाजा यदि अग्रिम जामनत का लाभ मिला तो इसी तरह की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं आवेदकों की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि दुकानों का निर्माण नगर निगम, जबलपुर से नक्शा पास कराकर किया गया था।
बता दें कि जबलपुर में क्रिश्चियन हाई स्कूल को आवंटित जमीन पर दशकों से दर्जनों दुकानें काबिज हैं, वहीं दीक्षित प्राइड नामक आलीशान मार्केट बनाया गया है। जिसके प्रथम तल पर एक अस्पताल भी संचालित है। आरोप है कि इस पूरी जमीन को षडयंत्रपूर्वक नियमविरूद्ध तरीके से बिल्डरों को बेचा गया।